उंगली के इशारे पर नाचती है ये देशी पतंग! कलाकारी का हर कोई दीवाना, VIDEO

करौली. पतंगबाजी के शौक के साथ -साथ करौली में पतंग बनाने का कारोबार भी काफी पुराना है. करौली में आज भी कई परिवार ऐसे हैं, जिनकी हाथों से पतंग बनाते-बनाते कई पीढ़ियां अब तक गुजर चुकी है. आज हम आपको करौली के एक ऐसे ही मुस्लिम परिवार की कहानी बताने जा रहे हैं. इस परिवार के लोग लगभग 300 साल पहले और राजाशाही जमाने से ही हाथों से पतंग बनाते आ रहे हैं. वर्तमान में इस परिवार की चौथी पीढ़ी के लोग इस पुश्तैनी काम को संभाल रहे है.
सबसे खास बात यह है कि इस परिवार द्वारा हाथों से तैयार की गई पतंग की मांग रक्षाबंधन से लेकर जन्माष्टमी तक इतनी जबरदस्त रहती है कि पूर्ति तक नहीं हो पाती है. इस परिवार द्वारा बनाई गई देशी पतंग का जादू आसमान में कुछ ऐसा चलता है कि शहर के बाजरों में इनकी पतंग नाम से बिकती है. करौली में इस परिवार की पतंग मौला पतंग भंडार के नाम से प्रसिद्ध है. यहां के स्थानीय पतंगबाज भी इस परिवार द्वारा हाथों से तैयार की गई देसी पतंग को नंबर – 1 बताते हैं.
सबसे अलग है इसकी पतंग की क्वालिटीस्थानीय लोगों का कहना है कि इस परिवार द्वारा तैयार की गई पतंगों के राजा – महाराजा भी दीवानी रह चुके हैं. इसकी पतंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक तो यह स्वयं अपने हाथों से एक खास देसी पतंग बनाते हैं. और उस देसी पतंग में यह सिकी लकड़ी का इस्तेमाल करने के साथ अच्छी क्वालिटी का कागज लगाते हैं.
उंगली के इशारे से आसमान में नाचती इनकी पतंग तकरीबन 35 साल से इस परिवार की पतंग खरीदते आ रहे तौफीक खान बताते हैं कि मौला पतंग भंडार पर मिलने वाली देसी पतंग का कोई जवाब नहीं है. वह बताते है कि इस परिवार द्वारा दो प्रकार की खास पतंग हाथों से बनाई जाती है. जिसमें एक चील पतंग और दूसरी चौखुटी पतंग है. इसकी चौखुटी पतंग सबसे बढ़िया होती है. इस परिवार द्वारा हाथों से तैयार की गई यह खास पतंग डोर को एकदम खड़ी रखती है और आसमान में यह पतंग उंगली के इशारे पर नाचती है.
2 किलोमीटर तक इशारों में काम करती है पतंगमौला पतंग भंडार के पप्पू भाई का कहना है कि हमारे परिवार की तीन पीढ़िया पतंग बनाते-बनाते गुजर चुकी है. अब चौथी पीढ़ी के रूप में हमारे परिवार के सदस्य इस पुश्तैनी काम को संभाल रहे हैं. उनका कहना है कि हम हमारी पतंग में अच्छी सामग्री का इस्तेमाल करते हैं. इसलिए हमारे हाथों से बनाई गई पतंग आसमान में एक से दो किलोमीटर तक हाथों के इशारों में ही काम करती है. करौली के मौला पतंग भंडार पर मिलने वाली यही वह पतंग है जिसकी रक्षाबंधन से लेकर जन्माष्टमी तक बाजरों में जमकर डिमांड रहती है. हाथ के इशारों से उड़ने वाली इस पतंग की मांग इतनी रहती है की पूर्ति तक नहीं हो पाती है.
20 मिनट में तैयार होती है एक पतंगपप्पू भाई के मुताबिक, मौला पतंग भंडार की सबसे प्रसिद्ध, अच्छी क्वालिटी वाली देसी पतंग आठ बार हाथों में आने के बाद लगभग 20 मिनट में एक पतंग पुरी तरह बनकर तैयार होती है. पप्पू भाई का कहना है कि वैसे तो यह पतंग बांस की लकड़ी और कागज से बनकर तैयार होती है. लेकिन वह इसके लिए कोलकाता से खास प्रकार की बांस की लकड़ी मंगवाते है.क्योंकि पतंग बनाने के लिए केवल यहीं लकड़ी सबसे बेस्ट होती है.
बरेली के मांझे के साथ मिलती है कई प्रकार की पतंगमौला पतंग भंडार के पप्पू भाई का कहना है कि उनके यहां हाथ से बनने वाली पतंग के अलावा दर्जनों प्रकार की पतंग मिलती है. जिसमें एक पन्नी की, दूसरी पोना, तीसरी अध्धा पतंग सहित कई प्रकार की डिजाइनदार पतंग बरेली के प्रसिद्ध मांझे के साथ मिलती है. इन सभी पतंगों की कीमत ₹5 से शुरू होकर ₹100 तक रहती है.
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FIRST PUBLISHED : August 25, 2024, 09:44 IST