डूंगरपुर के इस वृद्ध ने दूध बेचकर जोड़े 7 लाख, सारे पैसे कर दिए दान, गांव के स्कूल को बना दिया ज्ञान मंदिर

Last Updated:March 06, 2025, 13:56 IST
धाणी घटाऊ गांव के पशुपालक मादू रेबारी को भले ही संतान सुख न मिला हो, लेकिन उन्होंने गांव के बच्चों के भविष्य को संवारने का संकल्प लिया है.उनकी यह शिक्षा सेवा अन्य भामाशाहों के लिए प्रेरणा बन गई है और उनके योगदा…और पढ़ेंX
मादू रेबारी
हाइलाइट्स
मादू रेबारी ने स्कूल को 7 लाख रुपये दान किए.गांव के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने का संकल्प लिया.मादू की पहल से अन्य भामाशाह भी प्रेरित हुए.
डूंगरपुर. वृद्धावस्था में जब अधिकांश लोग अपने सुख-साधनों में व्यस्त होते हैं, तब डूंगरपुर जिले के दोवड़ा ब्लॉक स्थित धाणी घटाऊ गांव के 65 वर्षीय पशुपालक मादू रेबारी ने शिक्षा के लिए अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है. उन्होंने दूध बेचकर पाई-पाई जोड़ी और अपने गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय को कक्षा-कक्ष और हॉल निर्माण के लिए 7 लाख रुपये दान में दे दिए. उनका सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि गांव के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके और वे पक्की छत के नीचे पढ़ाई कर अपना भविष्य संवार सके.
विद्यालय में भवन की समस्या
विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक कुल 58 विद्यार्थी हैं, लेकिन वहां केवल चार कक्षा-कक्ष है. इनमें से एक प्रधानाध्यापक व स्टॉफ के लिए तथा एक भंडारगृह के लिए प्रयोग हो रहा है. दो कक्षों में आठ कक्षाओं को संचालित करना मुश्किल हो रहा था. इस समस्या के समाधान के लिए स्कूल प्रशासन ने भामाशाहों को प्रेरित करने की योजना बनाई. पहले गांववालों ने मिलकर 2.5 लाख रुपये जुटाए, जिससे हॉल के पिलर और आरसीसी निर्माण कार्य शुरू किया गया, लेकिन धन की कमी के कारण निर्माण अधूरा रह गया.
स्कूल निर्माण के लिए दान कर दिए 5 लाख
इसी दौरान स्कूल के पूर्व प्रधानाचार्य महेश व्यास ने मादू रेबारी को इस स्थिति से अवगत कराया. जब उन्होंने सुना कि स्कूल भवन की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है, तो उन्होंने बिना देर किए अपनी कमाई में से 3 लाख रुपये ज्ञान संकल्प पोर्टल के माध्यम से दान कर दिए. इसके बाद अलग-अलग कार्यों के लिए 4 लाख रुपये और दिए. कुल मिलाकर अब तक मादू रेबारी स्कूल को 7 लाख रुपये दान कर चुके हैं. उनकी दी गई राशि से बने हॉल को ‘माधुर्य’ नाम दिया गया है.
स्कूल के बच्चे ही मेरी संतान
मादू रेबारी का परिवार अब सिर्फ गांव के बच्चे हैं. उनकी पत्नी का निधन आठ साल पहले हो गया था, और उनकी कोई संतान नहीं है. पशुपालन और दूध बेचकर गुजर-बसर करने वाले मादू गांव के बच्चों को ही अपनी संतान मानते हैं. वे अक्सर स्कूल जाते हैं, बच्चों के साथ समय बिताते हैं और वागड़ी भाषा में कहानियां सुनाते हैं. उन्होंने बताया कि अगर भविष्य में स्कूल को उनकी मदद की जरूरत होगी, तो वे हर संभव प्रयास करेंगे.
मादू से प्रेरित होकर अन्य भामाशाह भी आगे आए
मादू रेबारी की पहल से प्रेरित होकर गांव के अन्य भामाशाह भी आगे आए. लक्ष्मण ननोमा, गौतम रेबारी, जय किशन रेबारी, डूंगर रेबारी और प्रभु ने स्कूल के लिए आधा-आधा बीघा जमीन दान कर दी. वहीं, लक्ष्मण रेबारी ने स्कूल में पेयजल समस्या के समाधान के लिए 2.10 लाख रुपये की राशि दान की .इसके अलावा, अन्य भामाशाहों ने भी स्कूल निर्माण कार्य के लिए स्वेच्छा से सहयोग किया.
Location :
Udaipur,Rajasthan
First Published :
March 06, 2025, 13:56 IST
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