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डायबिटीज के मरीजों के लिए वरदान है ये चावल…वैज्ञानिक ने दी मरीजों को ये सलाह

अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ. सांभा मंसूरी चावल बैक्टीरियल ब्लाइट रोग के लिए प्रतिरोधी है और साथ ही साथ इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी काफी कम है, जो मधुमेह के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है. गौरतलब है कि ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) एक पैमाना है जो कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन या पेय को इस आधार पर रैंक करता है कि इसे खाने या पीने के बाद रक्त में ग्लूकोज कितना बढ़ता है.

सांभा मंसूरी धान दक्षिण भारत के प्रदेशों की उन्नत प्रजाति है. वहां पर किसान इसी की खेती करते हैं. इसका चावल खाने में स्वादिष्ट होता है तो साथ ही कम दिन में फसल होने से किसान को अधिक लागत नहीं लगानी पड़ती है. आज इस प्रजाति की उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना जैसे विभिन्न राज्यों में 1.5 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि मे इसकी खेती की जा रही है. यह कहना है सीएसआईआर-सीसीएमबी के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. हितेंद्र पटेल का, जो सीएसआईआर-सीमैप की ओर से आयोजित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर प्रोग्राम में शामिल होने पहुंचे थे.

औस फसलों की खेती भी फायदेमंदइस दौरान एनआईपीजीआर के वैज्ञानिक डॉ. अश्वेर्य लक्ष्मी ने बताया कि औस फसलों की खेती से किसान मुनाफा मूल्य संवर्धन के द्वारा ही प्राप्त कर सकता है और उसमे सीमैप का काफी योगदान किसानों मिल रहा है. उन्होंने सीएसआईआर-सीमैप के कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और विस्तार कार्यक्रमों की सराहना करते हुए दावा किया कि यह समकालीन किसान चुनौतियों पर काम कर रहा है.

विकसित चावल की किस्मों पर चर्चाआईसीएआर-आईआईआरआर के निदेशक डॉ. आरएम सुंदरम ने सांभा मंसूरी, डीआरआर धान-58, डीआरआर धान-60, डीआरआर धान-62 सहित संस्था द्वारा विकसित चावल की किस्मों के बारे पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि इन किस्मों में जैविक और अजैविक तनाव के प्रति प्रतिरोध जैसे गुण होते हैं और साथ ही साथ उत्पादन भी काफी ज्यादा मिलता है और इन्हें कम मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता होती है.

फूलों से बनेगी अगरबत्तीइस अवसर पर सीएसआईआर-सीमैप के साथ मेसर्स सौभाग्य फ़ाउंडेशन ट्रस्ट, आशियाना, लखनऊ की पूजा महरोत्रा और अमित महरोत्रा को विकलांग बच्चों और जेल में महिला बंदियों के साथ गरीब बेरोजगार युवकों को रोजगार देने और उन्हें फूलों से अगरबत्ती बनाने के लिए मेसर्स वेंकटेश्वरा कोओपरेटिव पावर एंड एग्रो प्रोसेसिंग लिमिटेड जो नाशिक महाराष्ट्र से अनिल कुमार पांडेय थे उन्होंने इन्हें जिरेनियम के वेस्ट और फूलों से निर्मित अगरबती और कोण बनाने की तकनीकी का हस्तांतरण किया.

Tags: Agriculture, Health News, Life18, Local18, Lucknow news, Uttar Pradesh News Hindi

FIRST PUBLISHED : May 15, 2024, 20:52 IST

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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