जालोर में बनने वाली यह शाही सब्जी मेवा से भी होती है महंगी, शीतला सप्तमी पर हर घर में होती है तैयार

Last Updated:March 20, 2025, 14:51 IST
जालोर में शीतला सप्तमी के पावन अवसर पर हर घर में पंचकूटा सब्जी बनाई जाती है. यह त्योहार ‘बासी भोजन’ की परंपरा से जुड़ा हुआ है.पंचकूटा शब्द का अर्थ है ‘पांच सामग्रियों से मिलकर बना व्यंजन’ यह सब्जी पूरी तरह सूखी…और पढ़ेंX
मारवाड़ की साही सब्जी पंचकूटा
हाइलाइट्स
शीतला सप्तमी पर जालौर में हर घर में पंचकूटा सब्जी बनती हैपंचकूटा सब्जी की कीमत 800 से 1500 रुपये किलो तक होती हैपंचकूटा सब्जी पांच सूखी वनस्पतियों से बनाई जाती है
जालोर:- राजस्थान का खानपान, यहां की जलवायु और पारंपरिक जीवनशैली से गहराई से जुड़ा हुआ है जालौर. यह जिला अपनी अनूठी परंपराओं के लिए जाना जाता है. यहां एक ऐसी सब्जी बनाई जाती है, जिसका स्वाद और कीमत दोनों ही इसे शाही व्यंजनों की श्रेणी में रखते हैं. दरअसल ये है पंचकूटा, जो सूखे मेवा से भी महंगी होती है. बता दें, कि शीतला सप्तमी के पावन अवसर पर जालोर के हर घर में पंचकूटा सब्जी बनाई जाती है. इस दिन बासी भोजन करने की परंपरा होती है. बता दें, कि पंचकूटा सब्जी को ठंडा खाने पर इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है. तो चलिए जानते हैं इसके बारे में
800 से 1500 रुपये किलो है इसका भावपंचकूटा शब्द का अर्थ है ‘पांच सामग्रियों से मिलकर बना व्यंजन’ यह सब्जी पूरी तरह सूखी होती है, जिससे इसे कई दिनों तक बिना खराब हुए स्टोर किया जा सकता है. यही कारण है, कि यह राजस्थान के शुष्क और मरुस्थलीय क्षेत्रों में सदियों से भोजन का अहम हिस्सा रही है. आज इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि यह ₹800 से लेकर ₹1500 प्रति किलो तक के भाव में बिकती है.
इन पांच चीजों से बनती है पंचकूटा सब्जीपंचकूटा सब्जी में मुख्य रूप से पांच सूखी वनस्पतियां होती हैं, जो राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में प्राकृतिक रूप से उगती हैं. ये सामग्रियां अलग-अलग मौसम में पाई जाती हैं, और इन्हें सुखाकर पूरे साल के लिए स्टोर किया जाता है. इनमें सांगरी की कीमत ₹1000 प्रति किलो ,कुमटिया की कीमत ₹400 प्रति किलो, गोंदा की कीमत ₹400 प्रति किलो, कैर की कीमत ₹800 प्रति किलो व सूखी लाल मिर्च की कीमत ₹800 प्रति किलो है. इनकी कीमत और दुर्लभता के कारण यह सब्जी शाही मानी जाती है, और इसे सूखे मेवों से भी अधिक महंगा बना देती है.
कैसे बनाई जाती है पंचकूटा सब्जीइसे बनाने के लिए सभी सूखी सामग्रियों को रातभर पानी में भिगोया जाता है. सुबह इन्हें हल्का उबालकर पानी से निकाल लिया जाता है, फिर सरसों के तेल में हींग, जीरा और साबुत मसालों के साथ इसे धीमी आंच पर पकाया जाता है. स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें काजू, बादाम और किशमिश भी डाली जाती है. तैयार होने के बाद यह 7 से 10 दिन तक खराब नहीं होती. वहीं, इस सब्जी से जुड़ी एक कहावत मारवाड़ में प्रचलित है, “कैर, कुमटिया, सांगरी, काचर, बोर, मतीर, तीनू लोकां नहं मिले, तरसे देव अखिर” . इसका अर्थ है, कि पंचकूटा सिर्फ राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र में मिलता है और इसका स्वाद इतना अनोखा है, कि देवता भी इसे चखने को तरसते हैं.
इसको लेकर ग्रहणी संतोष देवी ने लोकल 18 को बताया, कि शीतला सप्तमी के दिन जालोर में हर घर में पंचकूटा सब्जी बनाई जाती है. यह त्योहार ‘बासी भोजन’ की परंपरा से जुड़ा हुआ है, और पंचकूटा ठंडा खाने पर और भी स्वादिष्ट लगता है.
Location :
Jalor,Rajasthan
First Published :
March 20, 2025, 13:02 IST
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जालोर की रही है ये परंपरा, शीतला सप्तमी पर बनती है ये शाही सब्जी, जानें रेसिपी