Rajasthan

इस किले को लेकर लोगों की ये खास मान्यता, पत्थरों से घर बनाने से पूरी होती है मकान की कामना

Last Updated:April 09, 2025, 12:26 IST

माउंट आबू शहर से करीब 12 किलोमीटर दूर अचलगढ़ की पहाड़ी पर मूल रूप से परमार शासकों द्वारा किले का निर्माण किया था. बाद में आक्रांताओं के हमले के बाद इसे वापस मेवाड़ के महाराणा कुम्भा ने भव्य रूप में निर्माण करवाया …और पढ़ेंX
अचलगढ़
अचलगढ़ किले में पत्थरों से घर बनाते लोग

राजस्थान में राजा रजवाड़ों के समय से ऐतिहासिक किलों की अपनी कहानियां और किस्से है. आज हम आपको प्रदेश के प्रसिद्ध हिल स्टेशन माउंट आबू के प्रकाचीन किले से जुड़ी एक मान्यता के बारे में बताने जा रहे है. जिसके अनुसार अगर कोई वयक्ति यहां आकर पत्थरों से घर बनाता है, तो असल जिंदगी में उसकी मकान बनाने की ख्वाहिश भी पूरी होती है. अब ये किला खंडहर में हिंजर आता है, लेकिन इससे जुड़ी लोगों की मान्यता आज भी कायम है.

माउंट आबू शहर से करीब 12 किलोमीटर दूर अचलगढ़ की पहाड़ी पर मूल रूप से परमार शासकों द्वारा किले का निर्माण किया था. बाद में आक्रांताओं के हमले के बाद इसे वापस मेवाड़ के महाराणा कुम्भा ने भव्य रूप में निर्माण करवाया था. इस किले के निर्माण के पीछे गुजरात से मुगल शासकों के हमले को रोकने की सोच थी. पिछले कई वर्षों में इस जगह की देखरेख नहीं होने से किला अब खंडहर में नजर आता है, लेकिन इसे देखने के लिए इतिहास प्रेमी देष विदेश से यहां आते हैं.

पत्थरों से घर बनाने से पुरी होती है मकान की इच्छाअचलगढ़ के स्थानीय रहवासी दिलीप भाई ने लोकल 18 को बताया कि इस किले का निर्माण 1452 में महाराणा कुम्भा द्वारा करवाया गया था. किले के पास ही मां चामुंडा और मां काली का मंदिर है. यहां आने वाले लोगों की मान्यता है कि छोटे पत्थरों से जो व्यक्ति यहां इमारत बनाता है, उसकी घर बनाने की इच्छा पूरी होती है. आम दिनों में यहां रोजाना 500 से अधिक पर्यटक आते हैं. ये संख्या गर्मियों और दिवाली सीजन में बढ़ जाती है.

राजपूती कला का प्रतीक है अचलगढ़ किलाइस किले की ऊंची दीवारें, विशाल बुर्ज, सभा मंडप और सुंदर दरवाजे राजपूत कला और संस्कृति का प्रतीक हैं.अचलगढ़ किले में 2 मंडप हुआ करते थे. जिसमें सभा मंडप और पूजा मंडप शामिल है. किले में प्रवेश करने के लिए भव्य द्वार बना हुआ था आसपास आज भी पुराने समय के मकान नजर आते हैं. किले के पास ही बनी गोपीचंद की गुफा में राजा भृर्तहरि और गोपीचंद ने 12 बाररश तक तपस्या की थी.

Location :

Sirohi,Rajasthan

First Published :

April 09, 2025, 12:26 IST

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