अक्षय तृतीया पर बना रहा ये खास योग, पैसों को होगी बारिश, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

कृष्णा कुमार गौड़ जोधपुर. हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया के पर्व का विशेष महत्व होता है. हिंदी कैलेंडर के अनुसार हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है. इस बार 10 मई को अक्षय तृतीया के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं.अक्षय तृतीया के दिन 100 साल बाद गजकेसरी योग और धन योग बन रहे हैं. वहीं दूसरी ओर इस दिन सूर्य और शुक्र की मेष राशि में युति हो रही है, जिससे शुक्रादित्य योग बन रहा है. इसके साथ ही मीन राशि में मंगल और बुध की युति से धन योग, शनि के मूल त्रिकोण राशि कुंभ में होने से शश योग और मंगल के अपनी उच्च राशि मीन में रहकर मालव्य राजयोग और वृषभ राशि में चंद्रमा और गुरु की युति से गजकेसरी योग बन रहा है.
इस दिन सोने-चांदी से बने आभूषण की खरीदारी और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करने का विधान होता है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोने-चांदी की चीजों की खरीदारी से व्यक्ति के जीवन में खुशियां और धन संपदा हमेशा बनी रहती है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र में गजकेसरी योग को बहुत शुभ योग माना जाता है.यह गजकेसरी राजयोग गुरु और चंद्रमा की युति से बनता है.100 साल बाद अक्षय तृतीया पर गजकेसरी राजयोग बन रहा है.पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया 10 मई को है. इसे अक्षय तृतीया और आखा तीज कहा जाता है.
स्नान- दान करने से पूरी होती है हर मनोकामनाइस दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है. ग्रंथों के मुताबिक इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी. इस दिन किया गया जप, तप, ज्ञान, स्नान, दान, होम आदि अक्षय रहते हैं. इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है. अक्षय तृतीया विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त माना गया है. वैसे तो इस दिन बिना मुहूर्त निकाले शुभ कार्य, विवाह करना, सोना-चांदी खरीदना, नए कार्य करने से जैसे काम किए जा सकते हैं. इस दिन किए गए व्रत-उपवास और दान-पुण्य से अक्षय पुण्य मिलता है. साल में चार अबूझ मुहूर्त आते हैं. इन मुहूर्त में विवाह आदि सभी मांगलिक कार्य बिना शुभ मुहूर्त देखे किए जा सकते हैं. ये चार अबूझ मुहूर्त हैं – अक्षय तृतीया, देवउठनी एकादशी, वसंत पंचमी और भड़ली नवमी. ये चारों तिथियां किसी भी शुभ काम की शुरुआत करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई हैं.
अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्तपंचांग के अनुसार इस साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 मई को सुबह 4:17 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 11 मई को देर रात 2:50 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार अक्षय तृतीया का पर्व 10 मई 2024 को मनाया जाएगा. 10 मई को अक्षय तृतीया के दिन पूजा का सुबह 5: 33 मिनट से लेकर दोपहर 12:18 मिनट तक रहेगा.
तीर्थ स्नान और अन्न-जल का दानडा. अनीष व्यास ने बताया कि इस शुभ पर्व पर तीर्थ में स्नान करने की परंपरा है. ग्रंथों में कहा गया है कि अक्षय तृतीया पर किया गया तीर्थ स्नान जाने-अनजाने में हुए हर पाप को खत्म कर देता है. इससे हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं. इसे दिव्य स्नान भी कहा गया है.तीर्थ स्नान न कर सकें तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहा सकते हैं. ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है.
दान से मिलता है अक्षय पुण्यडा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर घड़ी, कलश, पंखा, छाता, चावल, दाल, घी, चीनी, फल, वस्त्र, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा और दक्षिणा सहित धर्मस्थान या ब्राह्मणों को दान करने से अक्षय पुण्य फल मिलता है. अबूझ मुहूर्त होने के कारण नया घर बनाने की शुरुआत, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा जैसे शुभ कामों के लिए भी ये दिन खास माना जाता है.
ब्रह्मा के पुत्र अक्षय का प्राकट्य दिवसडा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया को युगादि तिथि भी कहते हैं.अक्षय का अर्थ है, जिसका क्षय न हो.इस तृतीया का विष्णु धर्मसूत्र, भविष्य पुराण, मत्स्य पुराण और नारद पुराण में उल्लेख है. ब्रह्मा के पुत्र अक्षय का इसी दिन प्राकट्य दिवस रहता है.दान के लिए खास दिन इस दिन अत्र व जल का दान करना शुभ माना है. इस दिन प्रतिष्ठान का शुभारंभ, गृह प्रवेश व अन्य मंगलकार्य करना विशेष फलदायी रहता है.
भगवान विष्णु ने लिए कई अवतारडा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया को चिरंजीवी तिथि भी कहा जाता है, क्योंकि इसी तिथि पर भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था. परशुराम जी चिरंजीवी माने जाते हैं यानी ये सदैव जीवित रहेंगे. इनके अलावा भगवान विष्णु के नर-नरायण, हयग्रीव अवतार भी इसी तिथि पर प्रकट हुए थे.
विष्णु-लक्ष्मी की विशेष पूजाडा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि के बाद घर के मंदिर में विष्णु जी और लक्ष्मी जी पूजा करें.सबसे पहले गणेश पूजन करें. इसके बाद गाय के कच्चे दूध में केसर मिलाकर दक्षिणावर्ती शंख में भरकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमाओं का अभिषेक करें. भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को लाल-पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें. हार-फूल, इत्र आदि अर्पित करें. इस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं.
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FIRST PUBLISHED : May 7, 2024, 09:50 IST