दौसा का यह ऐसा मंदिर, जहां अंग्रेजों ने की थी चोरी, फिर हुआ यह चमत्कार! डर से भागे चोर

Last Updated:April 09, 2025, 13:50 IST
आभानेरी की चांद बावड़ी और हर्षद माता का मंदिर विश्व विख्यात हैं. आठवीं सदी में बने इस मंदिर को राजा जयचंद ने बनवाया था. मंदिर की मूर्ति नीलम से बनी थी और अंग्रेजों ने इसे क्षतिग्रस्त कर दिया था.X
हर्षद माता मंदिर
हाइलाइट्स
हर्षद माता का मंदिर आठवीं सदी का है.अंग्रेजों ने मंदिर की नीलम मूर्ति क्षतिग्रस्त की थी.चैत्र नवरात्र में मंदिर में विशेष मेला लगता है.
दौसा. राजस्थान के पर्यटक स्थलों में से एक आभानेरी की चांद बावड़ी भी विश्व विख्यात है. यहां चांद बावड़ी पर विदेशी पर्यटक भी आते हैं. अगर कोई मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन करने के लिए आता है तो चांद बावड़ी भी अवश्य देखता है. चांद बावड़ी के साथ ही यहां हर्षद माता का मंदिर भी बना हुआ है यहां हर्षद माता मंदिर से जुड़ी रोचक कहानी भी है. रोचक कहानी यह है कि यहां अंग्रेजों के द्वारा मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था जो आज भी क्षतिग्रस्त स्थिति में ही है.
हर्षद माता का मंदिर आठवीं सदी का बना हुआ है. इस मंदिर को राजा जयचंद के द्वारा बनवाया गया था. यहां साथ राजाओं नाराज किया है. अंतिम राजा जयचंद थे जिनके द्वारा ही यह बनवाया गया था. अरशद माता की आठवीं सदी से ही मानता है तभी से पूजा अर्चना की जाती है. आठवीं सदी के बाद राजा जयचंद यहां से चले गए थे तो मोहम्मद गोरी के द्वारा मंदिर को तोड़ दिया गया था.
यहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि हर्षद माता की मूर्ति नीलम से बनी हुई थी और जब भी कोई घटना होती थी तो पहले ही आवाज लगा कर बता देती थी. हर्षद माता की मूर्ति के मुंह से आवाज आती थी. और यहां आने वाले मन्नतें पूर्ण होती थी और आज भी यहां सच्चे मन से अगर कोई पूजा अर्चना करता है और माता से जो भी कुछ मांगा जाता है वह मिलता है.
तीसरी बार में हुई खंडितयहां के स्थानीय पुजारी ने बताया कि जब मोहम्मद गौरी माता जी की मूर्ति की चोरी करने के लिए आया था तब हमारे बाबा जिंदा थे और हमारे बाबा को हर्षद माताजी ने आवाज लगाई थी कि श्रवण लाल सो रहा है यह जग रहा है. तब श्रवण लाल लालटेन हाथ में लेकर मंदिर पर आए तो चोरी करने आने वाले लोग उतर कर चले गए. दोबारा फिर से घूम कर आए हैं तो फिर श्रवण लाल को माताजी ने आवाज लगाई और श्रवण लाल आए लेकिन चोर फिर चले गए, तीसरी बार में जब चोर आए तब मूर्ति को खंडित किया गया.
तीसरी बार जब माता जी की मूर्ति को चोरी करने के लिए लोग आए थे तब माता जी ने आवाज नहीं लगाई और मूर्ति की नाक को खंडित कर दिया गया था. और जब माता जी को उखाड़ कर ले जाने की कोशिश की तो मूर्ति नीचे गिर गई और इतना तेज धमाका हुआ कि सारा गांव नींद से जाग गया था. जब तक सारा गांव यहां आया तब तक अंग्रेज माता जी की मूर्ति का आधा हिस्सा लेकर यहां से भाग गए थे.
चैत्र के नवरात्रों में लगता है माता जी का मेलासुभाष चंद्र शर्मा ने बताया कि यहां नवरात्र में विशेष कार्यक्रम का आयोजन होता है. चैत्र के नवरात्र में माता जी के मेला का आयोजन होता है. अष्टमी के दिन यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है. माता जी को भोग लगाया जाता है. मेले में यहां जगह-जगह पर दुकान लगाई जाती है और विशेष इंतजार मत यहां किए जाते हैं. सुभाष चंद्र शर्मा का कहना है कि यहां हर्षद माता के दर्शन करने के लिए देश ही नहीं विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं और बारीकी से यहां मंदिर की बिक्री पड़ी आकृतियों को भी देखते हैं और विशेष पूजा अर्चना भी भी करते हैं. यहां माता जी का लक्ष्मी का स्वरूप है.
Location :
Dausa,Dausa,Rajasthan
First Published :
April 09, 2025, 13:50 IST
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दौसा का यह ऐसा मंदिर, जहां अंग्रेजों ने की थी चोरी, फिर हुआ यह चमत्कार!
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