श्मशान में है ये काली मां का मंदिर, यहां की रुद्राक्ष लेने से छूट जाता है बड़े से बड़ा नशा !

भीलवाड़ा: यूं तो आपने कई अलग अलग तरह मंदिर देखे होंगे लेकिन आज हम आपको भीलवाड़ा के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने आप में आम मंदिरों की तुलना में काफी अलग हैं. दरअसल यह मंदिर भीलवाड़ा शहर के एक श्मशान में स्थित है. जो श्मशान काली के नाम से जाना जाता हैं. यह मंदिर वास्तव में एक अनोखा मंदिर है. जहां आमतौर पर लोग श्मशान में जाने से पहले संकोच करते हैं. लेकिन यह एक ऐसा मंदिर है. जहां पर देर रात भी कोई श्रद्धालु पहुंच जाता है तो वह सोच विचार नहीं करता.
यहां दूर दूर से भक्त मनोकामनाएं लेकर पहुंचे हैं यहीं नहीं श्मशान में महिलाएं भी बिना किसी संकोच के दर्शन के लिए आती है.भीलवाड़ा शहर के पंचमुखी मोक्ष धाम में मां श्मशान काली के मंदिर में दिन तो क्या रात में भी श्रद्धालुओ की भीड़ लगी रहती है. यहां पर नवरात्री में अर्द्धरात्री को कईं अनुष्ठान किए जाते है. जिसमें भाग लेने भीलवाड़ा ही नहीं बल्कि कईं जिलो से श्रद्धालु पहुंचते है और पूर्चा अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं मांगते है.
रुद्राक्ष लेने से छूट जाता है नशा !भीलवाड़ा शहर के पंचमुखी मोक्षधाम में स्थित मसानिया भैरूनाथ मंदिर पुजारी रवि कुमार खटीक ने कहा कि पंचमुखी मोक्षधाम में प्राचीन मसानिया भैरूनाथ मंदिर में 7 वर्ष पहले काली माता का आगमन कलकत्ता कालीगढ़ से हुआ था. यह ऐसा स्थान है जो माता की दिन में पूजा अर्चना ना करके मध्यरात्री में की जाती हैं. यहां की मान्यता है कि जो नशे का आदी है उसे माता का रूद्राक्ष लेने मात्र से ही वह कुछ ही दिनों में नशा छोड़ देता है.
इसके साथ ही यहां पर आने वाली माता की गोद भराई भी होती है जिसमें माता का श्रीफल उनकी झोली डाला जाता है. इसके साथ ही जो निसंतान है उसको संतान की भी प्राप्ती होती है. यह राजस्थान का पहला ऐसा शमशान है जहां पर सभी देवी-देवताओं के मंदिर है. यहां भीलवाड़ा ही नहीं मध्यप्रदेश के साथ ही कईं प्रदेशों से भी भक्त आते है.
अर्द्धरात्री में होती है पूजा अर्चना पुजारी रवि खटीक कहते है कि पंचमुखी मोक्ष धाम भीलवाड़ा का सबसे पुराना मोक्षधाम है. यहां पर शमशान काली माता की 7 वर्ष पहले प्राण प्रतिष्ठा की थी. यहां की खासियत यह है कि अधिकतर मंदिर में सुबह शाम की पूजा अर्चना होती है मगर यहां पर अर्द्धरात्री में अनुष्ठान किए जाते है. जिसमें महिला, पुरूषो के साथ ही बच्चे भी शिरकत करते है.
कोलकाता से लाई गई प्रतिमा मंदिर के वरिष्ठ पुजारी संतोष कुमार खटीक का कहना है कि काली मां की प्रतिमा कोलकाता के कालीगढ़ से लाई गई हैं. इसका कुल वजन 500 किलो से अधिक है. मान्यता है की माता रानी का सिंदूर लगाने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. यह राजस्थान का अनोखा ऐसा मंदिर है. जहां शमशान में काली मां का मंदिर स्थापित है.
संतान की मनोकामना लेकर पहुंचते हैं भक्त टोडारायसिंह से मंदिर में दर्शन करने आई महिला आशा महावर ने कहा कि हम 5 साल से हर नवरात्री में हम यहां पर काली माता के दर्शन करने आते है. यहां से मैने संतान प्राप्ती का आशीर्वाद लिया था और मेरे एक पुत्र हुआ था. जिसके कारण हर वर्ष मैं उसे यहां दर्शन करवाने लेकर आती हुं इसके साथ ही मैने जब यहां पर कोई मनोकामना की वह पूरी हुई है वहीं युवती खुशी ने कहा कि मैं पिछले 4 सालों से यहां पर आ रही हुं और मेरी हर मनोकामनां पूर्ण हुई है.
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FIRST PUBLISHED : October 9, 2024, 15:20 IST