This temple of Maa Kalika is unique located in the crematorium, worship is done at midnight. – News18 हिंदी

रवि पायक/भीलवाड़ाः यूं तो आपने कई ऐसे मंदिर देखे होंगे जो एक खुले स्थान पर या फिर पहाड़ की चोटी पर स्थापित होते हैं. लेकिन राजस्थान के मेवाड़ के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले भीलवाड़ा में एक ऐसा मंदिर है. जिसका नाम सुनते ही आपकी रूह तक कांप जाएगी. दरअसल यह मंदिर भीलवाड़ा शहर के श्मशान में स्थित है.काली माता का यह मंदिर वास्तव में एक अनोखा मंदिर है. जहां आमतौर पर लोग श्मशान में जाने से पहले 10 बार सोचते हैं. लेकिन यह एक ऐसा मंदिर है. जहां पर देर रात भी कोई श्रद्धालु पहुंच जाता है तो वह सोच विचार नहीं करता. यहां दूर दूर से भक्त मनोकामनाएं लेकर पहुंचे हैं.
श्मशान में महिलाएं बिना किसी संकोच के दर्शन के लिए आ जाती है और किसी तरह का डर भी नहीं होता है.भीलवाड़ा शहर के पंचमुखी मोक्ष धाम में मां श्मशान काली के मंदिर में दिन तो क्या रात में भी श्रद्धालुओ की भीड़ लगी रहती है. यहां पर नवरात्री में अर्द्धरात्री को कईं अनुष्ठान किए जाते है. जिसमें भाग लेने भीलवाड़ा ही नहीं बल्कि कईं जिलो से श्रद्धालु पहुंचते है और पूर्चा अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं मांगते है.
अर्द्धरात्री में होती है पूजा अर्चना
श्मशान काली मंदिर के पुजारी रवि खटीक कहते है कि पंचमुखी मोक्ष धाम भीलवाड़ा का सबसे पुराना मोक्षधाम है. यहां पर शमशान काली माता की 4 से 5 वर्ष पहले प्राण प्रतिष्ठा की थी. जिन्हे कलकत्ता के कालीगढ़ से यहां पर लाया गया था. यहां की खासियत यह है कि अधिकतर मंदिर में सुबह शाम की पूजा अर्चना होती है मगर यहां पर अर्द्धरात्री में अनुष्ठान किए जाते है. जिसमें महिला, पुरूषो के साथ ही बच्चे भी शिरकत करते है. यहां की मान्यता है कि माता के चढ़े हुए सिंदुर को लगाने से घर में सुख शांति का वास होता है. यह पहला काली माता का ऐसा मंदिर है जो श्मशान में बना हुआ है.
देर रात में भी वक्त करते हैं माता रानी के दर्शन
श्मशान काली माता के दर्शन करने आए श्रद्धालु सुमित खंडेलवाल ने कहा कि कईं वर्षों से हम यहां पर आ रहे है और हमारी मनोकामनाओ को माता पूर्ण करती है. नवरात्री में यहां पर कईं कार्यक्रमो का आयोजन किया जाता है. जिसमे रात को रात्री जागरण व सुबह भंडारे को आयोजन होता है. कहते है रात में किसी शमशान में नहीं जाना चाहिए. मगर यहां तो रात में अगर बच्चा भी आता है तो उसका भय खत्म हो जाता है. मैने यहां पर कईं राज्यो और जिलो से भक्तो को आते देखा है. वहीं टोंक से आयी महिला श्रद्धालु आस्था ने कहा कि हम यहां पर कईं वर्षों से आ रहे है और हमने जो भी मनोकामना की वो पूरी हुई है. इसके कारण मैं अपने पूरे परिवार के साथ हर नवरात्री में यहां दर्शन करने आती हुं.
कोलकाता से लाई गई प्रतिमा
मंदिर के वरिष्ठ पुजारी संतोष कुमार खटीक का कहना है कि काली मां की प्रतिमा कोलकाता के कालीगढ़ से से लाई गई हैं. इसका कुल वजन 500 किलो से अधिक है. मान्यता है की माता रानी का सिंदूर लगाने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. यह राजस्थान का अनोखा ऐसा मंदिर है. जहां शमशान में काली मां का मंदिर स्थापित है.
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FIRST PUBLISHED : April 16, 2024, 16:00 IST