‘सदियों से जीवित है यह परंपरा, फसलों की निराई गुड़ाई के साथ बजते है लोकगीतों के तार’-This tradition has been alive for centuries, the strings of folk songs sound along with the weeding of crops

बाड़मेर. ग्रामीण अंचलों में आज भी एक अनोखी परम्परा जीवित है, जहां किसान परिवार मिलकर फसलों की निराई-गुड़ाई करते हैं और लोकगीतों के साथ इसका आनंद लेते हैं. यह है ‘लाह परम्परा’ जो सामाजिक एकता और सहयोग का प्रतीक है. इस परम्परा में किसान परिवार बिना किसी मजदूरी लिए मिलकर फसलों की निराई गुड़ाई करते हैं और इसके बदले में केवल प्यार और सहयोग प्राप्त करते हैं.
आधुनिकता के दौर में एक तरफ जहां लोग फसलों की निराई-गुड़ाई, कटाई के लिए तरह-तरह की मशीनों का उपयोग करते नजर आते हैं. वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अंचलों में दशकों से चली आ रही लाह परंपरा के तहत आज भी लोकगीतों के साथ किसान परिवार मिलजुलकर बिना किसी मजदूरी लिए खेत में खड़ी फसल की निराई-गुड़ाई कर रहे हैं.
बुजुर्गों में भी रहता है जोशमुख्य रूप से पश्चिमी राजस्थान में लाह की परंपरा है, जिसमें किसान एक दूसरे का फसल की निराई-गुड़ाई के साथ साथ कटाई में भी सहयोग करते हैं. लाह परंपरा के तहत सरहदी बाड़मेर जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित लुणु कला गांव में जुम्मा खान के एक खेत में सामूहिक फसल की निराई-गुड़ाई के दौरान नाचते गाते बुजुर्गों में भी एक अलग सा जोश दिखाई दिया है. भिणत के साथ लय और ताल से ताल मिलाकर नाचते-गाते देखते ही देखते कई बीघा में फसल की निराई-गुड़ाई कर दी गई है.
भणातियो के लिए होता है सामूहिक भोज का आयोजनलाह से किसान को अतिरिक्त खर्चे से बचाना और आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है. जिस किसान के यहां लाह का आयोजन होता है, उनकी ओर से सहयोग करने वाले सभी किसानों के लिए मारवाड़ी अंदाज में भोज का आयोजन किया जाता है. जिसमें बाजरे की रोटी, भरपूर देसी घी-गुड़ का चूरमा और देसी साग खिलाकर आवभगत की जाती है. इसे ग्रामीणों की भाषा में भाणतियो के लिए लाह की लहर कहा जाता है.
बरसों पुरानी लाह परंपरा आज भी है कायमकिसान हयात खान ने लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए कहा कि लाह परंपरा पूर्वजों से चली आ रही है. इस परम्परा के तहत हंसी-खुशी गाते-नाचते सामूहिक रूप से फसल की निराई-गुड़ाई व कटाई कर ली जाती है और इस दौरान थकान भी महसूस नहीं होती है. वहीं बुजुर्ग किसान गफूर खान बताते है कि इससे बिना मजदूरी लिए किसान की मदद की जाती है जिससे उसे आर्थिक नुकसान से बचाया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : August 18, 2024, 23:38 IST