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भीलवाड़ा में 412 सालों से निभाई जा रही है ये परंपरा, इसके तहत पहली बार हुआ इतना भव्य कार्यक्रम, देखते रह गए लोग

Last Updated:March 28, 2025, 14:39 IST

Bhailwara News: राजस्थान की संस्कृति और परंपराएं काफी खास हैं और इन्ही परंपराओं के तहत भीलवाड़ा के मांडल कस्बे में 412 साल पुरानी नाहर नृत्य की परंपरा इस बार बड़े धूमधाम से मनाई गई. यह नृत्य हर साल भगवान और राज…और पढ़ेंX
मांडल
मांडल महोत्सव 2025 

हाइलाइट्स

भीलवाड़ा में 412 साल पुरानी नाहर नृत्य परंपरा मनाई गईमुगल बादशाह शाहजहां के समय से नाहर नृत्य की शुरुआत हुईमांडल स्टेडियम में पहली बार भव्य नाहर नृत्य महोत्सव आयोजित हुआ

भीलवाड़ा –  राजस्थान का मेवाड़ अपनी परंपराओं के लिए खास महत्व रखता है. इसी परंपरा के तहत भीलवाड़ा जिले के मांडल कस्बे में 412 साल पुरानी नाहर नृत्य की परंपरा इस साल भी भव्य उत्सव के रुप में बड़े ही धूमधाम से मनाई गई. यह नृत्य हर साल सिर्फ एक बार भगवान और राज परिवार के सामने प्रस्तुत किया जाता है. इसकी शुरुआत मुग़ल सम्राट शाहजहां के मांडल में ठहरने के दौरान उनके मनोरंजन के लिए हुई थी. तब से यह नृत्य संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर का अहम हिस्सा बन गया है. वहीं इस साल नाहर नृत्य महोत्सव मांडल स्टेडियम में खुशी के साथ मनाया गया. इस शानदार नृत्य को देखने के लिए हजारों लोग आए। इस बार यह महोत्सव न केवल परंपराओं का प्रदर्शन था, बल्कि आधुनिक तकनीक और सांस्कृतिक धरोहर का बेहतरीन समागम बन गया.

ऐसे हुई नाहर नृत्य की शुरुआतराजस्थान लोक कला केंद्र मांडल के अध्यक्ष रमेश बलिया ने बताया, कि करीब 412 साल पहले 1614 में शाहजहां मांडल पहुंचे थे. उनका पड़ाव उदयपुर जाते समय रास्ते में यहां था. शाहजहां मेवाड़ महाराणा अमर सिंह से संधि करने उदयपुर जा रहे थे, तभी मुगल बादशाह शाहजहां मांडल में रुके थे. बताते हैं कि यह नाहर नृत्य नरसिंह अवतार का रूप है. 1614 में मुगल बादशाह शाहजहां के समक्ष उस समय मांडल गांव वालों ने अपने नरसिंह अवतार का प्रदर्शन कर शाहजहां को मंत्रमुग्ध कर दिया था. वहीं इस बार गुरुवार को 412वें नाहर नृत्य का आयोजन मांडल महोत्सव के रूप में किया गया. आगे वे कहते हैं, कि नाहर नृत्य की खासियत यह है कि यह राम और राज के सामने ही प्रस्तुत होता है.

पहली बार बड़े स्तर पर हुआ महोत्सवमांडल विधायक उदय लाल भडाणा ने कहा, कि मांडल की जो प्राचीन परंपरा नाहन नृत्य है उसे हम पहली बार एक महोत्सव के रूप में मांडल स्टेडियम में मना रहे हैं. इस बार हमने इसको मांडल महोत्सव 2025 का नाम दिया है. पहले यह आयोजन गांव के बीचों- बीच आयोजित किया जाता था, लेकिन गांव में बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए हमने आसपास के सभी गांव के रहने वाले बड़े बुजुर्ग और युवाओं से गहन चिंतन करके यह फैसला लिया कि इस बार इस आयोजन को बड़े स्तर पर आयोजित किया जाए और जगह को देखते हुए हमने मांडल के खेल स्टेडियम को चुना, ताकि भीलवाड़ा जिले के लोगों के साथ ही इस उत्सव में भाग लेने वाले लोग आराम से इसका लुफ्त उठा सकें. आगे वे कहते हैं, इस नृत्य के दौरान सभी कलाकार भगवान नरसिंह के रूप में होते हैं और भारी गर्मी में जब लाइट चली जाती है तो कोई भी व्यक्ति थोड़ी गर्मी सहन नहीं कर पाता, लेकिन फिर भी यह कलाकार अपने चारों तरफ रुई को लपेटकर शेर का रूप धारण करते हैं, और यह नाहर नृत्य करते हैं. आगे वे कहते हैं हम इस संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं.

Location :

Bhilwara,Rajasthan

First Published :

March 28, 2025, 14:39 IST

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भीलवाड़ा की ये परंपरा है बहुत पुरानी, पहली बार हुआ है यहां इतना भव्य कार्यक्रम

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