पैरों की शोभा और चाल में चार चांद लगाने वाला है यह पारंपरिक आभूषण, जानिए इसकी लोकप्रियता का कारण

Last Updated:December 02, 2025, 06:59 IST
राजस्थान पारंपरिक आभूषण: झांझर राजस्थान का पारंपरिक आभूषण है, जो पैरों में पहना जाता है और चलने पर मधुर झनकार करता है. यह चांदी से बना होता है और महिलाओं की चाल में नज़ाकत और मोहकता जोड़ता है. झांझर का उपयोग तीज, गणगौर, शादी और पारंपरिक नृत्यों में होता है. आज के दौर में मॉडर्न डिज़ाइन और ऑनलाइन बिक्री के चलते इसकी लोकप्रियता और बढ़ गई है.
राजस्थान की पारंपरिक संस्कृति में आभूषणों का एक विशेष महत्व है, और इन्हीं में से एक खूबसूरत व मनमोहक आभूषण है झांझर. झांझर पैरों में पहना जाने वाला एक पारंपरिक आभूषण है, जो चांदी से बनाया जाता है. चलते समय इससे निकलने वाली झन-झन की मधुर ध्वनि न केवल सौंदर्य बढ़ाती है, बल्कि एक सांस्कृतिक अनुभूति भी कराती है. इसे पहनने के बाद यह पैरों को और भी आकर्षक बना देती है. यह पायल या पैंजनी जैसा दिखता है, लेकिन इसका डिजाइन और ध्वनि इसे बिलकुल अलग पहचान देते हैं. महिलाओं की चाल में लय और मोहकता जोड़ने वाली झांझर आज भी राजस्थान में बेहद लोकप्रिय है. यह दिखने में इतनी सुंदर होती है कि किसी का भी मन मोहक कर देती है.

झांझर मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा पैरों में पहना जाता है. इसे पहनना शुभ माना जाता है और यह नारी शृंगार का महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह विशेष रूप चांदी के डिजाइन में बनाई जाती है. झांझर अंदर से खोखले चांदी के कड़े से बनी होती है, जिसमें छोटे-छोटे कड़े, मोती या नन्हे घुंगरू लगे होते हैं. ये घुंगुरू चलने पर मधुर आवाज उत्पन्न करते हैं. कुछ जगहों पर इसे ‘झांझरदार कड़ा’ भी कहा जाता है. झांझर पहनकर चलने पर जो मीठी झनकार निकलती है, वही इसकी पहचान है. यह ध्वनि न केवल सुनने में सुखद होती है बल्कि पारंपरिक वातावरण का एहसास भी करवाती है.

राजस्थानी संस्कृति में झांझर का विशेष महत्व है. ग्रामीण क्षेत्रों में इसका उपयोग रोज़मर्रा में भी होता है, जबकि शहरी महिलाओं के बीच यह फैशन और परंपरा का अनोखा संगम बनकर उभर रहा है. यह आभूषण राजस्थानी संस्कृति और लोकनृत्यों का महत्वपूर्ण हिस्सा है. तीज, गणगौर, विवाह और पारंपरिक पोशाकों के साथ इसे पहना जाता है.
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आज के आधुनिक दौर में भी झांझर की लोकप्रियता कम नहीं हुई, बल्कि पहले से कई गुना बढ़ गई है. इसके पीछे कई कारण हैं. युवतियों और महिलाओं में ट्रेंड फिर से एथनिक और ट्रेडिशनल ज्वेलरी का बढ़ रहा है.झांझर इसकी लिस्ट में सबसे आगे है. वही इंस्टाग्राम, रील्स और फोटोग्राफी में एथनिक ज्वेलरी का क्रेज बढ़ा है. झांझर फोटोशूट, ब्राइडल शूट और ट्रेंडिंग वीडियो में खूब दिखाई देती है. इसी के साथ ब्राइडल ज्वेलरी में हाई डिमांड है. दुल्हनों की पसंद फिर से पारंपरिक ओरिजिनल चांदी की ओर लौटी है. मेहंदी, सगाई, हल्दी और शादी के दिन झांझर पहनने का ट्रेंड लगातार बढ़ रहा है.

अब झांझर के कई माडर्न डिज़ाइन बाजार में उपलब्ध है. यह हैवी राजस्थानी डिज़ाइन, मॉडर्न बेल्ट-स्टाइल झांझर, लाइटवेट रोज़ाना पहनने वाली झांझर, कस्टम नाम वाली झांझर के रूप में लोकप्रिय हो रही है. इनकी वजह से युवतियां भी इन्हें बहुत पसंद करने लगी हैं. अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, इंस्टाग्राम स्टोर्स पर झांझर की सेल तेज़ी से बढ़ी है. मैट फिनिश, ऑक्सीडाइज़, और चांदी की झांझर की ऑनलाइन डिमांड पहले से कहीं अधिक है. झांझर की ऑनलाइन बिक्री ने इसकी लोकप्रियता में चार चांद लगा दिए हैं. यह किसी को भी आसानी से उपलब्ध हो जाती है. इस वजह से लोग को में उसकी सुंदरता और आसानी से उपलब्धता को लेकर क्रेज लगा हुआ है.

झांझर को नारी सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है. कई लोक कथाओं, गीतों और नृत्यों में झांझर की झनकार का उल्लेख मिलता है. यह महिलाओं की चाल में नज़ाकत, गरिमा और आकर्षण बढ़ाती है. झांझर एक ऐसा आभूषण है जो परंपरा, संगीत और सौंदर्य तीनों को एक साथ समेटे हुए है.इसकी झनकार लोक-संस्कृति की विरासत को जीवंत करती है. बदलते समय में भी झांझर अपनी लोकप्रियता बनाए हुए है, और यह साबित करती है कि कुछ पारंपरिक चीज़ें कभी पुरानी नहीं होती, बल्कि हर दौर में अपनी नई खूबसूरती के साथ चमकती रहती है.
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December 02, 2025, 06:59 IST
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महिलाओं की चाल में लय और मोहकता जोड़ती है यह आभूषण, जानें लोकप्रियता का कारण



