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ये पेड़ आदिवासियों का एंटीसेप्टिक! कटने, फटने, जलने, ठंड में फटी एड़ियों का अचूक इलाज, जानें नुस्खा

Last Updated:December 22, 2025, 14:54 IST

Desi Antiseptic: यह पेड़ बालाघाट के सतपुड़ा पर्वतों में खूब पाया जाता है. वैसे इसे घर में लगाना भी आसान है. आदिवासी अंचल में प्राकृतिक एंटीसेप्टिक के रूप में इसका इस्तेमाल होता है, जो घाव, बुखार, माइग्रेन और किडनी स्टोन में लाभकारी है. जानें सब…

Desi Antiseptic: मध्य प्रदेश का बालाघाट सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा है. इन पहाड़ों पर घने वन हैं. ऐसे में यहां पर कई प्रकार की वनस्पतियां हैं, जिसके बारे में सिर्फ आदिवासी अंचलों के लोग जानते हैं. हम लोग कटे-जले और घावों पर कई तरह के एंटीसेप्टिक लगाते हैं, लेकिन आदिवासी लोग सदियों से एक ऐसे पेड़ का इस्तेमाल करते आ रहे हैं, जो खुद में एंटीसेप्टिक है.

मेहंदी के पेड़ में कई औषधीय गुण होते हैं. ये बात आदिवासी अंचल के लोग बड़े अच्छे से जानते हैं. ऐसे में आज भी इसका इस्तेमाल अलग-अलग तरीके से करते हैं. मेहंदी के पेड़ में पत्तियां और छोटे-छोटे फल होते हैं. इसके फल और पत्तियों का इस्तेमाल लोग अलग-अलग तरीके से करते हैं.

ठंड में करते हैं ऐसे इस्तेमालआदिवासी अंचल के मड़ावी बताते हैं कि ठंड में पैर फट जाते हैं, तो किसी प्रकार की क्रीम नहीं खरीदते बल्कि अपने प्राकृतिक उपचारों की तरफ ध्यान देते हैं. मेहंदी के पत्तों को पीसकर उसका लेप एड़ियों की दरारों में लगा देते हैं. तब मेहंदी के पत्ते ही एंटीसेप्टिक का काम करते हैं. इसके अलावा आदिवासी अंचल में लोग चोट लगने से लेकर कहीं जल जाए तो मेहंदी की पत्तियों के लेप से इलाज करते हैं. वहीं, इसके लेप को कपड़े में लगाकर घाव में बांध देते हैं, तब इससे जल्द ही आराम मिल जाता है.

कई पोषक तत्वों से भरपुर मेहंदी में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं, जिसके सेवन से कई रोगों में राहत मिलती है. दरअसल, यह माइग्रेनपथरी, माइग्रेन, बुखार, त्वचा संबंधी बीमारी, शरीर के घाव भरने, किडनी स्टोन की समस्या में औषधि का काम करती है.

आसानी से उग जाता पौधास्थानीय लोगों ने बताया कि ये पौधा बहुत आसानी से उग जाता है. इसके लिए वह सिर्फ उसकी एक डाल को पेड़ से अलग कर लेते हैं. फिर एक सिरे पर गोबर लगा कर उसे जमीन में गाड़ देते हैं. फिर उसमें समय-समय पर हल्की सिंचाई करते हैं. पौधा अपने आप बड़ा होने लगता है. ये न सिर्फ आयुर्वेदिक नजरिए से खास है, बल्कि आंगन में सजावट के काम आता है. लेकिन, इस पेड़ को दीमक से बचाना चाहिए. अगर जड़ में दीमक लग जाए, तो पेड़ का बचना मुश्किल हो जाता है.

About the AuthorRishi mishra

एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें

Location :

Balaghat,Madhya Pradesh

First Published :

December 22, 2025, 14:54 IST

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ये पेड़ आदिवासियों का एंटीसेप्टिक! कटने, फटने, जलने, ठंड में फटी एड़ियों का इलाज

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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