This tree of Rajasthan is a shelter for farmers, its leaves, fruits, roots, stem are very useful, it is also used in Vedic Mahayagya and marriage
काजल मनोहर/जयपुर. राजस्थान का राज्य वृक्ष खेजड़ी है. यह पेड़ राजस्थान के हर कोने में आसानी से मिल जाता है. तपती गर्मी में भी खेजड़ी का पेड़ हरा रहता है. किसान इस पेड़ को आश्रय दाता वाला वृक्ष कहते हैं. इस पेड़ के फल को सांगरी कहा जाता है जो पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है. खेजड़ी का फल सूखने पर इसे खोखा कहते हैं जो सूखा मेवा होता है. इस पेड़ की छांव घनी होती है. मई-जून की गर्मियों में भी यह पेड़ हरा रहता है. खेजड़ी के पेड़ों से मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है.
इस खेजड़ी से कई लाभ प्राप्त होते हैं. खेजड़ी के पत्तों को लूंग या लूम कहते हैं और ये मवेशियों के चारे के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. एक खेजड़ी के पेड़ से सालाना 30-35 किलोग्राम चारा मिल सकता है. इसके अलावा खेजड़ी के पेड़ की फलियों को सांगरी कहते हैं. सांगरी से सब्जी बनाई जाती है. यह सब्जी स्वादिष्ट होती है और इसे 3-4 दिनों तक खाया जा सकता है. सांगरी सूखने पर इसे खोखा कहा जाता है जो सूखा मेवा होता है. वहीं, खेजड़ी की लकड़ी बहुत मजबूत और फर्नीचर उपयोगी होती है. ईंधन के रूप में भी यह लकड़ी इस्तेमाल की जाती है. यज्ञ के दौरान भी खेजड़ी की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है.
खेजड़ी के औषधीय गुणखेजड़ी के पेड़ से कई तरह की औषधियां बनती हैं. आयुर्वेद में खेजड़ी की छाल का बहुत उपयोग है. आयुर्वेद में खेजड़ी को कफ और पित्त को दूर करने में फायदेमंद माना जाता है. इसके अलावा, खेजड़ी की छाल का काढ़ा खांसी और फेफड़ों की सूजन को दूर करता है. बिच्छू के डंक में भी खेजड़ी की छाल का लेप लगाने से आराम मिलता है.
राजस्थान का राज्य वृक्ष है खेजड़ीखेजड़ी को राजस्थान का राज्य वृक्ष घोषित किया गया है. सरकार इस पेड़ को सुरक्षित करने के लिए कई कदम उठा रही है. इसके महत्व को देखते हुए हिंदू धर्म में भी इस पेड़ को विशेष दर्जा मिला हुआ है. राजस्थान के कुछ भागों में इस वृक्ष की पूजा भी की जाती है.
धार्मिक महत्वखेजड़ी के वृक्ष को वैदिक यज्ञ में प्रयोग किया जाता है. इसे वेदों में पवित्र शमी वृक्ष कहा गया है. खेजड़ी की पूजा जन्माष्टमी, गोगा नवमी, दशहरा और पतवारी पूजन पर की जाती है. खेजड़ी की डाली को शादी के समय तोरण द्वार पर लाई जाती है. इस पेड़ के सूखे छिलकों का इस्तेमाल यज्ञ में किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : September 29, 2024, 18:01 IST
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