Rajasthan

किसान बोले- फुर्सत नहीं; बीएलओ ने उठाई गेंती, खुद सड़क खोदने लगे, एसआईआर अभियान का अनोखा वीडियो वायरल

टोंक. राजस्थान में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के तहत वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने का काम जोर-शोर से चल रहा है. इस काम में लगे बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को घर-घर जाकर फॉर्म भरवाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. कई जगह लोग काम के बीच फॉर्म भरने से इनकार कर रहे हैं, लेकिन टोंक जिले के पीपलू क्षेत्र से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो न सिर्फ बीएलओ की लगन और निष्ठा को सलाम करती है, बल्कि किसानों की मजबूरी को भी बयां करती है.

यह मामला पीपलू तहसील के ककराज खुर्द गांव भाग संख्या-71 का है. यहां सरकारी स्कूल डारडा तुर्की में कार्यरत शारीरिक शिक्षक रतन लाल जाट को 6 अक्टूबर से SIR का काम सौंपा गया. उन्हें ककराज खुर्द और खेडूल्ला गांव के लगभग 900 मतदाताओं से फॉर्म-6, 7, 8 आदि भरवाने की जिम्मेदारी दी गई है. रतन लाल अब तक 900 में से करीब 800 फॉर्म भरवा चुके हैं.

बीएलओ ने फॉर्म भरवाने के लिए अपनाया अनोखा तरीका

एक दिन रतन लाल जब ककराज खुर्द के खेतों में पहुंचे तो वहां कुछ युवा किसान सड़क खुदाई कर पानी की पाइप लाइन डालने का काम कर रहे थे.  बीएलओ ने फॉर्म भरने की बात की तो किसानों ने साफ इनकार कर दिया. उनका कहना था कि खेती-किसानी के मौसम में उन्हें अपने काम से फुर्सत नहीं है, दूसरे काम से उनकी रोजी-रोटी नहीं चलने वाली. बस फिर क्या था, रतन लाल ने युवा किसान के हाथ से गेंती ली और खुद ही सड़क खोदने का काम शुरू कर दिया. वे बार-बार कहते रहे कि मैं आपका काम कर दूंगा, आप मेरा काम कर दो. इस अनोखे अंदाज से किसान भी हैरान रह गए और अंततः फॉर्म भरने को राजी हो गए. पूरी घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें रतन लाल गेंती चलाते और पसीना बहाते नजर आ रहे हैं.

बीएलओ रतन लाल और किसान के बीच हुआ संवाद

बीएलओ: यार परेशान मत करो, मैं बहुत परेशान हो गया हूं. मैं दस बार तेरे घर गया, लेकिन तू कहीं मिला ही नहीं

किसान: मैं क्या करूं भैया, हमें तो अपने काम से मतलब है. दूसरे काम से हमारी रोजी-रोटी चलेगी क्या?

बीएलओ:  इस काम को करना भी जरूरी है

दूसरा किसान: अरे यहां कागज उठाकर आ गए, हटो यहां से… काम करने दो.

बीएलओ: ज्यादा दिमाग मत लगाओ, मेरा काम कर दो. मेरे जैसा आदमी दोबारा यहां नहीं आएगा. यह सरकारी काम है, हर हाल में करना है. मुझे इस काम में टॉप भी आना है.

किसान: चुप रह गया और काम करता रहा.

बीएलओ: गेंती हाथ में लेकर खुदाई शुरू करते हुए बोला- देखो मैं तुम्हारा काम कर रहा हूं. अब तुम मेरा काम कर दो. आत्महत्या करना गलत है भाई, फॉर्म भरवाना कोई इतना टफ काम नहीं है. ठान लो तो हो जाएगा.

किसान: बीएलओ के बात पर मुस्कराते हुए फॉर्म भरने के लिए राजी हो गया और कागर लेकर बैठ गया.

फॉर्म भरवाना टफ काम नहीं है, आत्महत्या करना गलत है

रतन लाल जाट ने कहा कि एसआईआर का काम बहुत ज्यादा टफ नहीं है. बस थोड़ा एक्स्ट्रा समय देना पड़ता है. घर-घर जाना पड़ता है, लोगों को समझाना पड़ता है. कुछ लोग तो इतना परेशान हो जाते हैं कि आत्महत्या तक कर लेते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि आत्महत्या करना बहुत गलत है. यह इतना मुश्किल काम भी नहीं है कि इसके लिए जान दे दें. मानसिक रूप से अगर निश्चय कर लें कि यह काम करना ही है, तो हो जाएगा. मैंने 900 में से 800 फॉर्म भरवा लिए हैं, बाकी भी जल्दी ही पूरे हो जाएंगे.

खेलकूद में स्टेट और नेशनल लेवल पर जीत चुके हैं मेडल

रतन लाल मूल रूप से नानेर (टोंक) के रहने वाले हैं. उनका जन्म जन्म 2 अगस्त 1990 को हुआ है. उनके माता-पिता किसान हैं, इसलिए खेती-किसानी की मजबूरी वे अच्छी तरह समझते हैं. 2005 से 2011 तक उन्होंने खेलकूद में स्टेट और नेशनल लेवल पर कई मेडल जीते. एथलेटिक्स ऑल इंडिया मेडलिस्ट रह चुके हैं. बीए, बीपीएड और एमपीएड की डिग्री ली है. 2016 में प्रतियोगी परीक्षा पास कर शारीरिक शिक्षक बने और तब से डारडा तुर्की स्कूल में तैनात हैं. रतन लाल की लगन और जज्बा सोशल मीडिया पर भी खूब सराहा जा रहा है. टोंक जिले के निर्वाचन विभाग ने भी उनकी मेहनत की तारीफ की है.रतन लाल जाट जैसे बीएलओ खाई को पाटने का अनोखा तरीका अपना रहे हैं.

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj