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‘बर्ड विलेज’ के तौर पर उदयपुर के इस गांव की है पहचान, दुर्लभ पक्षियों का है बसेरा, ग्रामीण ही करते हैं देख-रेख

Last Updated:May 21, 2025, 14:19 IST

Udaipur Menar Bird Village: उदयपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित मेनार गांव 200 से अधिक प्रजाति की पक्षियों का बसेरा है. मेनार को अब “बर्ड विलेज” कहा जाने लगा है. यहां वेट लैंड की लंबी श्रृंखला मौजूद है. अब इसे…और पढ़ेंnews 18

मेनार वेटलैंड कॉम्प्लेक्स में दो प्रमुख झीलें ब्रह्मा और ढांढ के साथ कई छोटे-बड़े तालाब शामिल हैं. हर सर्दियों में यह इलाका करीब 200 प्रजातियों के प्रवासी और स्थानीय पक्षियों का बसेरा बनता है. हाल ही में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी और राजस्थान वन विभाग द्वारा किए गए बर्ड सेंसस में हिमालयन गिद्ध, मिस्र गिद्ध, सिनेरीयस वल्चर, फेरुगिनस पोचार्ड, डाल्मेटियन पेलिकन, एशियन वूली नेक्ड स्टॉर्क और ब्लैक-टेल्ड गॉडविट जैसे दुर्लभ पक्षियों की पुष्टि हुई है.

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इस अद्भुत जैव विविधता के पीछे स्थानीय समुदाय की वर्षों पुरानी संरक्षण परंपरा है. यहां शिकार और मछली पकड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध है. तालाबों के शांत पानी को भी नहीं छेड़ा जाता है, ताकि पक्षियों का प्राकृतिक परिवेश बना रहे.

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स्थानीय निवासी उमेश मेनारिया बताते हैं, ये झीलें बारिश और खेतों से बहकर आए पानी से बनती हैं. हम इनसे पानी नहीं निकालते क्योंकि यह पक्षियों और मवेशियों के लिए है. वर्ष 2023 में इस वेटलैंड कॉम्प्लेक्स को कानूनी संरक्षण भी मिला, जिससे भूमि उपयोग में बदलाव पर रोक लग गई.

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इससे कुछ ग्रामीणों में यह आशंका है कि कहीं इससे उनकी पारंपरिक चराई और मिट्टी निकालने की आज़ादी पर असर न पड़े. वहीं, खेरोदा वेटलैंड के पास प्रस्तावित 765 केवी ग्रिड स्टेशन को लेकर भी ग्राम पंचायत ने आपत्ति जताई है.

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पक्षी प्रेमी और शिक्षक दर्शन मेनारिया ने बीते वर्षों में यहां की प्रजातियों को चिन्हित कर दस्तावेज़ बनाना शुरू किया. वे बताते हैं कि जब आप किसी पक्षी को पहचानने लगते हैं, तो वो केवल प्राणी नहीं रहता, एक पहचान बन जाता है. मेनार अब सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि एक मिसाल बन गया है, जहां प्रकृति और इंसान मिलकर जैव विविधता को संजो रहे हैं.

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इस गांव की खासियत यह भी है कि यहां के ग्रामीण खुद इन विदेशी पक्षियों की देख-रेख करते हैं. वही किसी भी शिकारी को इस क्षेत्र में घुसने नहीं दिया जाता. ग्रामीणों ने अपने स्तर पर गांव के युवकों की अलग-अलग टीम बना रखी है, जो तालाब के अलग-अलग हिस्सों में इन पक्षियों की देखरेख करते हैं. यही वजह है कि हर साल यहां आने वाले विदेशी पक्षियों की तादाद बढ़ती जा रही है

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दर्लभ पक्षियों का सुरक्षित पनाहगाह है यह गांव, ‘बर्ड विलेज’ के तौर पर है पहचान

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