This village used to be the capital of kings hundreds of years ago – News18 हिंदी

सिरोही/ दर्शन शर्मा :- सिरोही जिले के आबूरोड से 5 किलोमीटर की दूरी पर बसी ऐतिहासिक चंद्रावती नगरी परमार शासकों की राजधानी हुआ करती थी. सैकडों वर्ष पूर्व बिना किसी आधुनिक यंत्र के यहां बनाई गई सुंदर प्रातिमाएं व निर्माण शैली देखकर हर कोई अचंभित ही जाता है कि बिना आधुनिक तकनीक के इस बारीकी से काम कैसे किया गया होगा.
विदेशी आक्रांताओं द्वारा यहां की प्रतिमाओं को तोड़ने के भी साक्ष्य नजर आते हैं. यहां के इतिहास, मन्दिरों की स्थापत्य शैली व भव्यता का चित्रों समेत वर्णन सुप्रसिद्ध ब्रिटिश इतिहासकार कर्नल टॉड ने अपनी पुस्तक “वेस्टर्न इण्डिया” में किया था. पुरातत्व विभाग द्वारा यहां वर्ष 2015 से 3 चरणों मे कराए गए उत्खनन खुदाई में निकली प्रतिमाओं, कलाकृतियों, बर्तन को चंद्रावती संग्रहालय में संजोकर रखा है. आलीशान भवन में सुविधायुक्त बने संग्रहालय में चंद्रावती नगरी व यहां के इतिहास की सम्पूर्ण जानकारी दी जा रही है.
वर्ष-1405 ईस्वी में सिरोही राज्य की स्थापना
चंद्रावती नगरी 7वीं से 13वीं शताब्दी तक संस्कृति एवं व्यापार का प्रमुख केंद्र थी. चन्द्रावती 11-12 वीं शताब्दी ईस्वी में परमार राजाओं की राजधानी हुआ करती थी. इस वंश में यशोधवल एवं धारवर्ष प्रतापी शासक हुए हैं. इस नगरी में बड़ी संख्या में शैव-वैष्णव एवं जैन मन्दिरों तथा राजप्रासादों का निर्माण हुआ. 1303 ई. तक यह नगरी परमारों के अधिकार में रही, इसके बाद यहां देवड़ा चौहानों का राज्य स्थापित हो गया. वर्ष-1405 ईस्वी में सिरोही राज्य की स्थापना होने तक यह स्थल देवड़ा चौहानों की राजधानी रहा.
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दिल्ली गुजरात मार्ग पर होने से आक्रांताओं की थी नजर
दिल्ली-गुजरात के मुख्य मार्ग पर स्थित होने के कारण इस समृद्धशाली नगरी चन्द्रावती को आक्रांताओं द्वारा अनेक बार लूटा गया. ऊंची दीवार, चौड़े मार्ग, चारों तरफ फैले हुए मंदिर व भवन विदेशी आक्रांताओं के लिए गुजरात विजय का आकर्षण था. आक्रांताओं ने यहां स्थित मन्दिरों को क्षतिग्रस्त किया. इन मन्दिरों के शिल्प एवं वास्तुखण्डों को चन्द्रावती संग्रहालय में संरक्षित किया गया है.
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FIRST PUBLISHED : April 27, 2024, 14:34 IST