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राजस्थान का यह वार म्यूजियम है खास, 1971 युद्ध के टैंक और हंटर विमान का हो जाएगा दीदार, भर देगा देशभक्ति का जोश

Last Updated:May 20, 2025, 20:05 IST

War Museum Jaisalmer: थार के सुनहरे रेगिस्तान में बसा स्वर्णनगरी जैसलमेर में स्थित वॉर म्यूजियम देशभक्ति और वीरता का एक जीवंत प्रतीक है. शहर से महज 12 किमी दूर स्थित यह संग्रहालय भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास …और पढ़ें1971 युद्ध के साक्षी रहे हथियारों को यहां किया स्थापित

धोरों की गोद में बसा स्वर्णनगरी का वार म्यूजियम ने देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बना ली है. जैसलमेर-जोधपुर मार्ग पर सैन्य क्षेत्र में स्थापित वॉर म्यूजियम अब पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख स्थान पा चुका है. देसी-विदेशी पर्यटकों के लिए यह स्थल वीरता और इतिहास का जीवंत उदाहरण बन गया है.

जैसलमेर-जोधपुर रोड़ पर स्थित है वॉर म्यूजियम

जैसलमेर का वॉर म्यूजियम थार के रेगिस्तान में देशभक्ति की एक जीवंत मिसाल है. 1971 के भारत-पाक युद्ध और लोंगेवाला की वीरगाथा को दर्शाता यह म्यूजियम, टैंक, हथियार और हंटर विमान जैसे युद्ध स्मारकों से सजा है. मेजर कुलदीप सिंह की शौर्य कथा हर दिल में जोश भर देती है. सुबह 9 से शाम 7 बजे तक खुलने वाला यह म्यूजियम हर भारतवासी को गर्व से भर देता है.

1971 युद्ध मे रही थी अहम भूमिका

पर्यटन सीजन में यह स्थल हजारों सैलानियों से गुलजार रहता है. खास बात यह है कि इसे 2016 में एशिया के सर्वश्रेष्ठ 25 संग्रहालयों में भी स्थान मिल चुका है. इस म्यूजियम में 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध की झलकियां दर्शाई गई है.

म्यूजियम में हर कोई टैंक,विमान और हथियार की लेता है जानकारी

सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहने वाला यह म्यूजियम न केवल सैन्य इतिहास प्रेमियों बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव है, जो भारत की वीरता और बलिदान की कहानियों को करीब से जानना चाहता है. हाल ही में हुए भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के बाद यहां लोगों की भीड़ बढ़ी है. यहां 1971 के भारत-पाक युद्ध की वीर गाथाओं को सुनकर लोग जोश से लबरेज हो जाते है.

देशी और विदेशी पर्यटकों की रहती है रेलमपेल

लोंगेवाला हॉल और इंडियन आर्मी हॉल में युद्ध से जुड़े फ़ोटो, हथियार और विजयी टैंक प्रदर्शित किए गए है. शेरमन, टी-59, विजयंत और टी-55 टैंकों के साथ रिकवरी व्हीकल और हंटर विमान को भी यहां सजाया गया है. यहां आने वाला हर पर्यटक इसे देखकर गर्व की अनुभूति करता है.

2015 से यहां तिरंगा शान से लहरा रहा

संग्रहालय परिसर में 15 मीटर ऊंचे पोल पर लहराता विशाल तिरंगा दूर से ही वीरता और देशभक्ति  के साथ दिल में नया जोश और जज्बा पैदा करता है. मौजूदा समय में वार म्यूजियम सैन्य गाथाओं का संग्रहालय नहीं, बल्कि जैसलमेर भ्रमण का अविस्मरणीय हिस्सा बन गया है. 24 अगस्त 2015 को लेफ्टिनेंट जनरल अशोक सिंह ने युद्ध संग्रहालय को राष्ट्र को समर्पित किया था.

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