आज मशीनों से मिनटों में बनने वाला गुड़…पुराने समय में कई घंटों में बनकर होता था तैयार, जानें प्रक्रिया
नागौर. वर्तमान के समय में गुड और चीनी बनाने के लिए मशीनों का उपयोग किया जाता है. मशीन में गन्ने का रस डालने के बाद कुछ ही समय में गुड़ और चीनी अपने आप बनाकर बाहर आ जाती है. ऐसे में रोजाना काम आने वाले गुड़ और चीनी को बनाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है. लेकिन क्या आपको पता है कि पुराने समय में इस गुड़ और चीनी को बनाने के लिए कितने घंटे का समय लगता था और इसके बनाने की प्रक्रिया क्या रही होगी. आज की इस खबर में पुराने समय में गुड़ और शक्कर बनने की प्रक्रिया के बारे में हम आपको बताएंगे…
प्राचीन समय में गुड़ निकालने के लिए पत्थरों और बैलों के माध्यम से गुड़ या शक्कर बनाया जाता था. इस प्रक्रिया में काफी समय और मेहनत लगती थी. नागौर के बूढ़ी गांव में आज भी प्राचीन समय की यह प्रक्रिया सजीव है और लोग यह पारंपरिक तरीके से गुड़ बनाने में लगे हुए हैं. आपको बता दें कि पुराने समय में बूढ़ी गांव में नदी बहती थी, जिसके कारण यहां पर गन्ने की खेती होती थी, और इसके कारण लोग यहां पर गुड़ और शक्कर बनाने का काम किया करते थे. गुड़ बनाने के लिए लंबी प्रक्रिया होती थी.
इस प्रकार से बनाते थे गुड़बूढ़ी गांव के हरिराम बताते हैं कि जब यहां पर नदी निकलती थी, तो ग्रामीणों द्वारा गन्ने की खेती होती थी. उस दौरान गन्ने को छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़कर पत्थर के बनने में घीणे में डालकर उसमें एक बड़ा लकड़ा बीच में डालकर उससे बैलों को बांधकर गोल घुमाया जाता था, जिसके बाद गन्ने के रस को अलग करके और कचरे को अलग करके गन्ने के रस को गर्म करके गुड़ को तैयार किया जाता था. इस प्रकार, गन्ने को पत्थर के घाणे में डालकर गुड़ को तैयार किया जाता था.
अब नहीं होता इस तकनीक का प्रयोगवर्तमान समय में मशीनों के आगमन ने गुड़ बनाने की प्रक्रिया को काफी बदल दिया है, इससे उत्पादन की मात्रा बढ़ जाती है और समय और प्रयास में भी कमी होती है. हालांकि यह सच है कि प्राचीन समय में गुड़ बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली परंपरागत प्रक्रियाएं आजकल अधिकांश जगहों पर घाणी से गुड़ बनाने की प्रक्रिया अब बंद हो चुकी है, हालांकि कुछ स्थानों पर अभी भी इस प्रक्रिया से गुड़ बनाया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : November 20, 2024, 15:59 IST