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इस होटल के किचन में काम करते थे एक्टर पंकज त्रिपाठी, यहीं मिली थी ‘गुरु’ की चप्पल

उधव कृष्ण/पटना. बिहार में बड़े-बुजुर्गों के मुंह से अक्सर यह कहावत सुनने को मिलती है कि जो जितना सहता है उतना ही लहता है. इसका अर्थ यह है कि जो अपने जीवन में जितना ज्यादा संघर्ष करता है, उनको उसी के अनुरूप परिणाम भी मिलता है. बॉलीवुड के स्टार अभिनेता बिहार के लाल पंकज त्रिपाठी की कहानी भी कुछ इसी तरह की है. पंकज अपने करियर के शुरुआती दौर में 3-4 सालों तक पटना के मौर्या होटल में बतौर किचन सुपरवाइजर भी काम कर चुके हैं. उसी दौरान मनोज वाजपेयी के चप्पल से सबंधित एक किस्सा उन्होंने टीवी पर भी शेयर किया था.

क्यों रख ली थी मनोज वाजपेयी की चप्पल?
गैंग्स ऑफ वासेपुर का ‘कुरैशी’ और मिर्जापुर के ‘कालीन भइया’ के रूप में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके पंकज जब होटल मौर्या में किचन सुपरवाइजर थे, तब एक बार मनोज वाजपेयी उसी होटल में ठहरे थे. भूलवश उनकी रबड़ की चप्पल चेक आउट के समय रूम में ही छूट गई थी. पंकज को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने हाउस कीपिंग से कहकर उस चप्पल को अपने गुरु का खड़ाऊं मानकर अपने पास ही रख लिया था. पंकज त्रिपाठी ने बताया था कि वह मनोज वाजपेयी को गुरु जैसा मानते हैं.

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दिन में थिएटर तो रात में करते थे काम
होटल मौर्या के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर बीडी सिंह बताते हैं कि पंकज उन दिनों संघर्ष कर रहे थे. यहां के किचन में सुपरवाइजर के रूप में वे अपनी जिम्मेदारी रात को निभाते और दिन में अक्सर थिएटर किया करते थे. बीडी सिंह की माने तो पंकज रात की ड्यूटी करना ही पसंद करते थे. काम सीखने के दौरान उन्हें 08 से 12 हजार रुपए प्रति महीने के बीच सैलेरी मिलती थी.

किचन के सभी स्टाफ खासकर जुगेश, चंदन एवं अन्य लोगों ने बताया कि जब भी पंकज त्रिपाठी पटना आते हैं, तो उन लोगों से मिलने जरूर पहुंचते हैं. एक अन्य स्टाफ ने बताया कि सभी लोग पंकज त्रिपाठी के गांव उनके पिताजी के श्राद्ध क्रम में भी सम्मिलित होने गए थे. भले ही पंकज आज सुपरस्टार बन गए हों, पर उनका व्यवहार उनसब के प्रति आज भी पुराने दोस्त वाला ही है.

Tags: Bihar News, Bollywood news, Entertainment news., Local18, Pankaj Tripathi, PATNA NEWS

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