Tradition Special: बर्तन पीटकर पशुओं को दौड़ाने की अनोखी परंपरा, सालों से देवासी समाज करते आ रहा पशुधन की पूजा
पाली. राजस्थान ऐतिहासिक स्थलों और अलग-अलग परपंराओं के लिहाज से अपनी अलग पहचान रखता है. पशुधन के स्वास्थ्य की कामना के लिए भी यहां एक अलग परंपरा है. पाली जिले के धनला गांव में दिवाली के कुछ दिन बाद बरसों से एक परपंरा बरकरार है. 200 घरों की आबादी वाले देवासी बाहुल्य मोहल्ले मे चरवाहे परिवारों द्वारा पशुधन के स्वस्थ रहने की कामना के लिए भेड़ और बकरियों को दौड़ाया जाता है. इस परपंरा के तहत बच्चों संग युवतियों और महिलाओं ने अपने हाथों से बर्तन बजाकर रेवड़ भड़काते हुए खूब उत्साह के साथ रस्म को निभाया.
रेवड़ भड़काने की यह विशेष परपंरा मोहल्ले की युवतियां और बच्चे बुजुर्ग महिलाओं के निर्देशन में देवासी समाज के गाजण माता मंदिर के पास घंटों तक डटे रहे. यहां से दर्जनों चरवाहे रेवड़ लेकर गुजरते हैं. जैसे ही रेवड़ का यहां से निकलना शुरू हुआ, तैयार बैठे बाल गोपालों ने बर्तन बजाकर पशुओं को भड़काने का काम शुरू किया.पीढ़ियों से निभाई जा रही यह परपंरा देवासी समाज के हरजीराम परमार जोजावर ने बताया कि चरवाहे परिवार पशुधन के स्वस्थ रहने की कामना को लेकर पीढ़ियों से इस प्रथा को उत्साह के साथ निभा रहे हैं. इस बार भी पशुधन को एक दिन पहले रंग कर तैयार किया गया. हर साल की तरह इस साल भी रस्म को निभाया गया. कीरवा गांव में चरवाहों ने परंपरानुसार पशुधन गाय, भेड़-बकरियों को सतरंगी रंगो से रंगकर बाड़े से बाहर निकाला और बाद में हाथों में बर्तन और डण्डे लिए पहले से ही मौजूद बच्चों व महिलाओं ने रेवड को भड़काकर खूब दौड़ाया.
पूर्वजों से विरासत में मिली यह परपंरा गांव के भावाराम देवासी ने बताया कि प्राचीन काल से पशुओं की पूजा अर्चना कर पशुओं को रंगने से साल भर पशुओं को बीमारी की आशंका नहीं रहती है. पुजारी राणाराम देवासी की मानें तो यह परंपरा हमारे पूर्वजों से हमें विरासत में मिली है. जिसे आज भी हम उत्साह से निभा रहे हैं.
FIRST PUBLISHED : November 5, 2024, 11:46 IST