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TriAD Anti-Drone System AI Picks Best Weapon | ड्रोन का काल आ गया! साउथ अफ्रीका ने बनाई ऐसी मशीन जो खुद चुनती है हथियार और फिर करती है टारगेट का विनाश

Last Updated:November 27, 2025, 04:34 IST

Anti Drone System: युद्ध का तरीका अब पूरी तरह बदल चुका है. अब जंग सरहदों पर नहीं बल्कि टेक्नोलॉजी से लड़ी जा रही है. आसमान में छोटे-छोटे ड्रोन सबसे बड़ा खतरा बन गए हैं. लेकिन साउथ अफ्रीका ने इसका तोड़ निकाल लिया है. वहां की एक कंपनी ने एक ‘ऑल-इन-वन’ सिस्टम बनाया है. इसका नाम ट्रायड (TriAD) है. यह कोई साधारण मशीन नहीं है. यह एआई की मदद से चलती है. यह खुद दुश्मन को खोजती है और खुद ही मारने का फैसला लेती है. इसमें रडार और हथियार एक ही गाड़ी पर लगे हैं. यह सिस्टम बताता है कि भविष्य की लड़ाई कैसी होगी. अब इंसान नहीं बल्कि एआई तय करेगा कि कौन सा हथियार चलाना है.ड्रोन का काल आ गया! यह मशीन खुद चुनती है हथियार, फिर करती है टारगेट का विनाश
आजकल एंटी-ड्रोन सिस्टम बहुत भारी भरकम होते हैं. रडार अलग होता है और हथियार अलग. लेकिन ट्रायड ने यह समस्या खत्म कर दी है. इसे साउथ अफ्रीका की कंपनी सेंटौरी टेक्नोलॉजीज ने बनाया है. उन्होंने रडार और सेंसर को एक साथ जोड़ दिया है. यह सब एक ही वाहन पर फिट हो जाता है. इसका मतलब इसे कहीं भी ले जाना आसान है. यह सिस्टम जंग के मैदान में बहुत तेजी से काम करता है. इसमें कमांड और कंट्रोल सिस्टम भी साथ में है. यानी फौजी को कहीं और से ऑर्डर लेने की जरूरत नहीं है. गाड़ी में बैठा ऑपरेटर सब कुछ देख सकता है.

इस सिस्टम की सबसे बड़ी ताकत इसका एआई है. ट्रायड में रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी सेंसर लगे हैं. इसके अलावा इसमें इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल कैमरे भी हैं. ये सब मिलकर काम करते हैं. रडार 360 डिग्री नजर रखता है. जैसे ही कोई ड्रोन दिखता है एआई एक्टिव हो जाता है. अक्सर रडार पक्षी को ड्रोन समझ लेते हैं. लेकिन ट्रायड का एआई बहुत स्मार्ट है. यह असली और नकली में फर्क कर लेता है. यह सिस्टम ‘फाल्स पॉजिटिव’ को हटा देता है. इससे असली खतरे की पहचान बहुत तेजी से होती है.

ट्रायड सिर्फ देखता नहीं है बल्कि मारता भी है. इसके पास हथियारों की कमी नहीं है. खतरे के हिसाब से यह हथियार चुनता है. इसमें 7.62 मिमी की लाइट मशीन गन लगी है. इसके अलावा 40 मिमी का ग्रेनेड लॉन्चर भी है. अगर खतरा बड़ा है तो 113 मिमी की तोप भी मौजूद है. यह एक चलता-फिरता किला है. यह छोटे ड्रोन से लेकर बड़े हवाई हमलों को रोक सकता है. हर हथियार अलग-अलग तरह के खतरे के लिए है. यह ‘टेलर मेड’ फायरपावर देता है. यानी जैसा दुश्मन वैसा हथियार.

सबसे हैरान करने वाली बात इसका काम करने का तरीका है. जब कोई ड्रोन आता है तो एआई उसे स्कैन करता है. वह देखता है कि खतरा कितना बड़ा है. फिर वह ऑपरेटर को सलाह देता है. अगर ड्रोन छोटा है तो वह मशीन गन चलाने को कहेगा. अगर ड्रोन बड़ा है तो ग्रेनेड लॉन्चर या तोप का सुझाव देगा. कंपनी के चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर जेंडर लौ ने इसे समझाया. उन्होंने कहा कि यह सिस्टम खतरों की लिस्ट बनाता है. यह खुद बताता है कि किस हथियार से हमला करना सबसे सही होगा. ऑपरेटर को बस एआई की बात माननी होती है.

हाल ही में ट्रायड का कड़ा इम्तेहान लिया गया. इसके कई ‘प्रूफ-ऑफ-कांसेप्ट’ ट्रायल हुए. इन टेस्ट्स में सिस्टम ने शानदार प्रदर्शन किया. रडार ने हवा में लक्ष्यों को ट्रैक किया. कैमरों ने उनकी पहचान की. और हथियारों ने उन्हें मार गिराया. जेंडर लौ ने बताया कि हमने सिस्टम की कमियों को सुधारा है. यह टेस्ट यह दिखाने के लिए थे कि मशीन तैयार है. यह एक ही सिस्टम है जो ड्रोन को ढूंढता है और खत्म करता है. यह सब एक साथ होता है और बहुत तेजी से होता है.

ट्रायड अब अगले चरण में जा रहा है. इसका ‘एक्सेप्टेंस टेस्ट’ शुरू होने वाला है. कंपनी इसे और भी घातक बना रही है. आने वाले समय में इसमें और अपग्रेड किए जाएंगे. यह इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर से भी लड़ सकेगा. आजकल दुश्मन जीपीएस जैम कर देते हैं. ट्रायड को ऐसा बनाया जा रहा है कि यह बिना जीपीएस के भी काम करे. इसे सेना के काफिलों के साथ जोड़ा जाएगा. इससे चलते हुए वाहनों को सुरक्षा मिलेगी. यह युद्ध के मैदान में लचीलापन लाएगा.

Deepak Verma

दीपक वर्मा न्यूज18 हिंदी (डिजिटल) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में काम कर रहे हैं. लखनऊ में जन्मे और पले-बढ़े दीपक की जर्नलिज्म जर्नी की शुरुआत प्रिंट मीडिया से हुई थी, लेकिन जल्द ही उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म…और पढ़ें

दीपक वर्मा न्यूज18 हिंदी (डिजिटल) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में काम कर रहे हैं. लखनऊ में जन्मे और पले-बढ़े दीपक की जर्नलिज्म जर्नी की शुरुआत प्रिंट मीडिया से हुई थी, लेकिन जल्द ही उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म… और पढ़ें

First Published :

November 27, 2025, 04:34 IST

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