tribal women are making herbal gulal from flowers and leaves – News18 हिंदी

निशा राठौड़/उदयपुर. होली के त्योहार को कुछ ही दिन बाकी है. लेकिन बाजारों में इसकी धमक दिखने लगी है. खासकर रंग और गुलाल का बाजार लगातार चढ़ रहा है. शहर में सजी दुकानें इसकी गवाह हैं, जहां बड़ी तादाद में लोग अभी से रंग और गुलाल खरीदने लगे हैं. रंग-गुलाल की खरीदारी के दौरान सबसे ज्यादा जोर हर्बल कलर्स पर होता है, यानी प्राकृतिक चीजों से बने रंग जो आपकी त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाते.
राजस्थान के उदयपुर में खास तरीके से तैयार हर्बल गुलाल भी बाजार में दिखने लगे हैं. ये गुलाल इस इलाके की आदिवासी महिलाएं बना रही हैं. फूलों और पत्तियों से तैयार होने वाले अलग-अलग रंग के ये गुलाल न सिर्फ प्राकृतिक हैं, बल्कि ये आपके शरीर की त्वचा के लिए भी नुकसानदेह नहीं होते. उदयपुर के आदिवासी इलाकों की ये महिलाएं होली से पहले ही हर्बल गुलाल बनाकर बाजारों में बेच रही हैं.
पलाश, गुलाब और गेंदे के फूल का गुलाल
वनपाल नर्मदा शंकर मेनारिया ने बताया कि उदयपुर शहर के आदिवासी अंचल में इन दिनों ग्रामीण महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. यह हर्बल गुलाल पलाश, गुलाब और गेंदे के फूलों और पत्तियों से तैयार किये जा रहे हैं. यहां विभिन्न रंगों के लिए अलग-अलग प्रकार के फूलों और पत्तियों का प्रयोग कर हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है.
महिलाओं के आय का जरिया
उदयपुर के करीब चौगड़िया गांव की राजिविका मिशन के तहत महिला एवं वन विभाग की ओर से करीब 8 महिलाओं का ग्रुप हर्बल गुलाल बना रहा है. वन विभाग की आय का 80% हिस्सा इन महिलाओं के ग्रुप को दिया जाता है. वहीं हर्बल गुलाल की कीमत की बात की जाए, तो बाजार में प्रति पैकेट इसकी कीमत ₹50 है. हर पैकेट में ढाई सौ ग्राम गुलाल होता है.
क्या है हर्बल गुलाल
हर्बल गुलाल प्राकृतिक तरीके से तैयार किया जाने वाला गुलाल है. इसमें किसी भी तरीके का केमिकल नहीं होता. यह स्किन के लिए हानिकारक नहीं होता है. फूलों को सुखाकर उसमें अरारोट का पाउडर मिलाया जाता है. इसके बाद इन्हें चक्की में पीसकर गुलाल तैयार किया जाता है. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा ही इन गुलाल की बिक्री भी की जाती है.
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FIRST PUBLISHED : March 13, 2024, 18:42 IST