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बहुत कड़वी है ट्रंप की दवाई! मंदी के मुहाने पर खड़ी हो गई दुनिया, भारत की विकास दर पर कितना असर

नई दिल्‍ली. डोनाल्‍ड ट्रंप की एक जिद दुनिया पर कितनी भारी पड़ रही है, इसका सीधा असर देखकर भी अमेरिका के राष्‍ट्रपति आंखें मूंदे हुए हैं. एक तरफ जहां दुनियाभर के एक्‍सपर्ट ट्रंप के टैरिफ वॉर की आलोचना कर रहे हैं तो वहीं अमेरिकी राष्‍ट्रपति इसे ‘दवाई’ का नाम दे रहे. दुनियाभर के 60 देशों पर टैरिफ लगाने के बाद जहां अमेरिका सहित एशिया, यूरोप के बाजारों भयंकर गिरावट दिख रही है तो दूसरी ओर ट्रंप अपने फैसले को जबरिया सही साबित करने पर तुले हुए हैं.

डोनाल्‍ड ट्रंप के टैरिफ वाले फैसले से दुनिया पर क्‍या असर पड़ा और क्‍या पड़ेगा, इसकी बात करने से पहले यह जानते हैं कि इससे अमेरिका को अभी तक क्‍या नुकसान उठाना पड़ा है, जबकि यह टैरिफ अभी प्रभाव में आया भी नहीं है. बात सिर्फ अमेरिकी शेयर बाजारों की करें तो टैरिफ लगाने के बाद से पिछले सप्‍ताह तक अमेरिकी शेयर बाजारों का मार्केट कैप करीब 6 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 516 लाख करोड़ रुपये, जो भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के आकार से भी दोगुना रकम है, अभी तक स्‍वाहा हो चुका है. इस गिरावट पर डोनाल्‍ड ट्रंप से सवाल पूछा गया तो उनका टका सा जवाब था, ‘मैं किसी चीज में गिरावट नहीं चाहता लेकिन चीजें ठीक करने के लिए दवाई देनी पड़ती है.’

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टैरिफ बहुत सुंदर चीज : ट्रंपडोनाल्‍ड ट्रंप यहीं पर नहीं रुके, उन्‍होंने साफ कहा कि टैरिफ बहुत खूबसूरत चीज है. उन्‍होंने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म पर लिखा, ‘चीन, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों के साथ हमारा विशाल वित्तीय घाटा है. इस समस्या का समाधान सिर्फ टैरिफ़ से ही संभव है. इससे अमेरिका में अरबों डॉलर आ रहे हैं.’ उन्‍होंने कहा कि उनकी कई यूरोपीय और एशियाई देशों से बात हुई है और वे अब अमेरिका के साथ ‘डील’ करना चाहते हैं. जाहिर है कि इसका फायदा सीधे तौर पर अमेरिका और यहां के लोगों को होगा. नौकरियां और निवेश अमेरिका में वापस आ रहे हैं. दुनिया जल्द ही अमेरिका के साथ बुरा व्यवहार करना बंद कर देगी.

बाकी दुनिया का क्‍या होगाट्रंप को तो सिर्फ अमेरिका की चिंता है, भले ही उनकी यह चिंता अब अमेरिका के लिए ही चिंता विषय बन गई है. तमाम अमेरिकी विशेषज्ञ साफ कह चुके हैं कि ट्रंप के टैरिफ का अमेरिका पर भी काफी बुरा असर पड़ेगा. तात्‍कालिक प्रभाव से शेयर बाजार ने 6 लाख करोड़ डॉलर तो गंवा ही दिए हैं, जो अमेरिका की अर्थव्‍यवस्‍था का करीब 20 फीसदी है. भारत में भी 20 लाख करोड़ से ज्‍यादा की गिरावट सिर्फ टैरिफ के ऐलान के बाद से आ चुकी है, जबकि एशिया के अन्‍य बाजारों और यूरोपीय बाजारों का आंकड़ा मिलाकर देखें तो यह गिनती हमारी सोच से भी कहीं आगे दिखेगी.

मंदी के मुहाने पर अमेरिकाएक्‍सपर्ट ने साफ कह दिया है कि ट्रंप ने टैरिफ लगाकर बैकफायर कर दिया है. इसका सबसे ज्‍यादा और जल्‍दी असर तो अमेरिकी अर्थव्‍यवस्‍था पर ही दिख रहा है. गोल्‍डमैन सॉक्‍स ने तो अमेरिका में मंदी की 60 फीसदी आशंका जताई है. इकनॉमिक एक्‍सपर्ट शरद कोहली का कहना है कि भारतीय और अमेरिकी बाजारों में मंदी की आशंका 60 फीसदी को भी पार कर चुकी है. ऐसी कंपनियां, जो अमेरिका को अपने प्रोडक्‍ट भेजती हैं, उनके कारोबार और बाजार मूल्‍यांकन में तगड़ी गिरावट गिरावट देखी जा रही है. इससे नौकरियों पर भी संकट आ गया है.

दुनिया पर क्‍या असर होगागोल्‍डमैन सॉक्‍स का कहना है कि कोरोना जैसी महामारी से अभी दुनिया उबरकर बाहर आई ही थी कि ट्रंप ने टैरिफ युद्ध छेड़कर फिर पीछे धकेल दिया है. अगर अमेरिकी बाजार में मंदी आती है तो इससे दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था भी अछूती नहीं रहेगी और ग्‍लोबल मंदी का खतरा गहरा जाएगा. साल 2008 की मंदी की शुरुआत भी अमेरिका से ही हुई और जल्‍द ही इसने पूरे विश्‍व को अपनी चपेट में ले लिया था. खासकर छोटी अर्थव्‍यवस्‍थाओं के लिए तो उबरना मुश्किल ही हो जाएगा.

भारत को कितना खामियाजा भुगतना पड़ेगाभारत का शेयर बाजार सीधे तौर पर अमेरिका से लिंक है. वहां की गिरावट यहां के सबसे बड़े सेक्‍टर यानी आईटी सेक्‍टर को धराशायी कर देता है. इसका असर पिछले कुछ दिनों में साफ तौर पर देखने को मिला है. गोल्‍डमैन सॉक्‍स का कहना है कि टैरिफ की वजह से भारत की विकास दर 0.40 फीसदी गिरकर 6.3 फीसदी के आसपास रह सकती है. देसी रेटिंग एजेंसी क्‍वांटइको रिसर्च ने भी विकास दर में 30 आधार अंक की गिरावट की आशंका जताई है. इससे महंगाई की आशंका भी बढ़ेगी, जो फिलहाल आरबीआई के दायरे में चल रही है. पिछले दिनों ग्‍लोबल रेटिंग एजेंसी ने अनुमान लगाया था कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को टैरिफ से करीब 2.50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.

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