तुर्की और अजरबैजान से थे भारत के अच्छे रिश्ते, फिर ये कैसे बिगड़े… दोनों देशों में कितने भारतीय

India’s Relations with Turkey and Azerbaijan: अंकारा और बाकू द्वारा इस्लामाबाद का समर्थन करने के कारण तुर्की और अजरबैजान के साथ भारत के संबंधों में तनाव आ गया है. इन दोनों देशों ने पाकिस्तान में आतंकवादी शिविरों पर भारत के हालिया हमलों की निंदा की थी. पाकिस्तान को उनके समर्थन के बाद पूरे देश में तुर्की के सामान और पर्यटन के बॉयकाट की मांग उठने लगी. ऑनलाइन ट्रैवल प्लेटफार्मों ने इन देशों की यात्रा न करने की सलाह जारी की है. भारतीय व्यापारियों ने भी सेब और संगमरमर जैसे तुर्की उत्पादों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है. अजरबैजान भी भारतीयों के निशाने पर है, उसके सामान के बहिष्कार की भी मांग उठी है.
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 भारतीय पर्यटकों की हत्या कर दी गई. भारत ने हमले के जवाब में 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकवादी बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया. इस अचानक हुई कार्रवाई से बौखलाए पाकिस्तान ने भी भारत के हमलों का जवाब दिया. इसके बाद भारत और पाकिस्तान ने पिछले शनिवार को घोषणा की थी कि वे उस दिन शाम 5 बजे से जमीन, हवा और समुद्र पर सभी प्रकार की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयों को रोकने के लिए सहमति पर पहुंच गए हैं. संघर्ष के दौरान, पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के असफल प्रयास में तुर्की में बने ड्रोन का इस्तेमाल किया था.
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दोनों देशों के साथ रिश्ते थे मजबूतहाल के सालों में पर्यटन के क्षेत्र में तुर्की और अजरबैजान के साथ भारत के संबंध मजबूत हुए थे. 2023 में लगभग तीन लाख भारतीयों ने तुर्की और 1.15 लाख भारतीयों ने अजरबैजान का दौरा किया था. 2024 में यह संख्या और बढ़ी, अजरबैजान में लगभग 2.4 लाख भारतीय पर्यटक पहुंचे. हालांकि, हालिया तनाव के बाद कई भारतीय यात्रियों ने अपनी यात्राएं रद्द कर दी हैं या अन्य देशों की ओर रुख कर रहे हैं. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर किसी भी देश के साथ व्यापार या यात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है. हालांकि, सार्वजनिक भावना और कुछ व्यापारिक संगठनों द्वारा उठाए गए कदमों का असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ सकता है.
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किन मसलों पर तुर्की हमारे खिलाफभारत के तुर्की और अजरबैजान के साथ ऐतिहासिक रूप से अच्छे संबंध रहे हैं. ये संबंध प्राचीन सिल्क रोड से जुड़े सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों पर आधारित हैं. हालांकि, हाल के सालों में इन देशों के साथ भारत के रिश्तों में खटास आई है. पहले बात तुर्की की. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दे को उठाया है और पाकिस्तान का समर्थन किया है. भारत ने इसे अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप माना है और इस पर कड़ी आपत्ति जताई है. भारत आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान पर दबाव बनाने की उम्मीद करता है, लेकिन तुर्की ने इस मुद्दे पर भारत का समर्थन नहीं किया है. तुर्की और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य संबंध भी भारत के लिए चिंता का विषय हैं. यह सामने आया है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे ड्रोन सहित कुछ सैन्य उपकरण तुर्की से खरीद रहा है.
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तुर्की ने की निंदा तो उठी बैन की मांगहाल ही में भारत द्वारा पाकिस्तान में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत किए गए आतंकी शिविरों पर किए गए हवाई हमलों की तुर्की ने कड़ी निंदा की और इसे ‘उकसाने वाली कार्रवाई’ बताया. इसके बाद भारत में तुर्की के सामानों के बहिष्कार और यात्रा प्रतिबंधों की मांग उठी है. भारत ने एक तुर्की फर्म की सुरक्षा मंजूरी भी रद्द कर दी है जो भारतीय हवाई अड्डों पर ग्राउंड सेवाएं प्रदान करती थी. कई भारतीय विश्वविद्यालयों ने तुर्की के शैक्षणिक संस्थानों के साथ अपने समझौते रद्द कर दिए हैं. जबकि भारत ने 1920 के दशक में तुर्की की स्वतंत्रता और तुर्की गणराज्य के गठन में भी समर्थन दिया. महात्मा गांधी ने प्रथम विश्व युद्ध के अंत में तुर्की पर हुए अन्याय के खिलाफ उसका साथ दिया. 5 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता की घोषणा के बाद तुर्की ने भारत को मान्यता दी और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए.
अजरबैजान के साथ संबंधों में गिरावट अजरबैजान ने भी भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की आलोचना की और पाकिस्तान में नागरिकों के मारे जाने पर चिंता व्यक्त की. अजरबैजान की सरकार ने भारत के सैन्य अभियान की आलोचना करते हुए एक आधिकारिक बयान जारी किया, जिसमें नागरिकों के हताहत होने की चिंता जताई गई और कूटनीतिक समाधान का आग्रह किया गया. इसके बाद भारत में अजरबैजान के सामानों के बहिष्कार और यात्रा प्रतिबंधों की मांग उठी है. अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच क्षेत्रीय विवाद रहा है. भारत द्वारा आर्मेनिया को हथियारों की आपूर्ति से अजरबैजान नाखुश है. वहीं दूसरी ओर अजरबैजान की पाकिस्तान और चीन से कथित बढ़ती नजदीकी भी भारत के लिए चिंता का कारण है.
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तुर्की और अजरबैजान के साथ कितना व्यापार?अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान तुर्की को भारत का निर्यात 5.2 बिलियन डॉलर रहा, जबकि 2023-24 में यह 6.65 बिलियन डॉलर था. यह भारत के कुल 437 बिलियन डॉलर के निर्यात का केवल 1.5 प्रतिशत है. अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान अजरबैजान को भारत का निर्यात केवल 86.07 मिलियन डॉलर रहा, जबकि 2023-24 में यह 89.67 मिलियन डॉलर था. यह भारत के कुल निर्यात का मात्र 0.02 प्रतिशत है. अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान तुर्की से भारत का आयात 2.84 बिलियन डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह 3.78 बिलियन डॉलर था. यह भारत के कुल 720 बिलियन डॉलर के आयात का केवल 0.5 प्रतिशत है. अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान अजरबैजान से आयात 1.93 मिलियन डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह 0.74 मिलियन डॉलर था. यह भारत के कुल आवक शिपमेंट का मात्र 0.0002 प्रतिशत है.
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दोनों देशों में कितने भारतीय?तुर्की में लगभग 3,000 भारतीय नागरिक रहते हैं, जिनमें लगभग 200 छात्र शामिल हैं. इनमें से अधिकांश इस्तांबुल और उसके आसपास रहते हैं. अजरबैजान में भारतीय समुदाय तुलनात्मक रूप से छोटा है, लेकिन महत्वपूर्ण है. यहां 1,500 से अधिक भारतीय रहते हैं.