धर्मेंद्र के साथ विलेन बने दो एक्टर, दोनों की पलटी किस्मत, रातोंरात बन गए हीरो, तीसरे ने तो हिला दी इंडस्ट्री – vinod khanna Shatrughn sinha 3 Bollywood actors who worked with Dharmendra as Villain turn superstar third ruling industry last 53 year surprisingly

Last Updated:November 03, 2025, 16:48 IST
Bollywood Villain turn Heroes : बॉलीवुड में ‘ही-मैन’ के नाम से मशहूर सुपरस्टार धर्मेंद्र को बतौर एक्शन हीरो इंडस्ट्री में जबर्दस्त सफलता मिली. धर्मेंद्र ने 1960 के दशक की शुरुआत में बॉलीवुड में एंट्री ली थी. हैंडसम लुक और एक्शन-पैक्ड रोल से उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई. बहुत कम लोग यह जानते हैं कि उन्होंने 1964 में आई फिल्म ‘आई मिलन की बेला’ में विलेन का रोल निभाया था.  इस सुपरहिट फिल्म में धर्मेंद्र ने राजेंद्र कुमार के भाई की भूमिका निभाई थी. दिलचस्प बात यह है कि धर्मेंद्र के साथ विलेन का किरदार निभाने वाले दो एक्टर्स की किस्मत रातोंरात चमकी. वो विलेन से हीरो बन गए. अपने दम पर सुपरस्टार का स्टेटस भी हासिल किया और सालों तक बॉलीवुड में राज किया. ये दो एक्टर कौन हैं और वो विलेन से हीरो कैसे बने, आइये जानते हैं दिलचस्प कहानी…… 
सुपरस्टार धर्मेंद्र ने 1960 में आई फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से बॉलीवुड में एंट्री ली थी. हालांकि यह फिल्म उतनी बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं दिखा पाई लेकिन उनके काम को सराहा गया. अगले साल 1961 में उनकी फिल्म ‘शोला और शबनम’ हिट रही. 1966 में उनकी फिल्म ‘फूल और पत्थर’ ब्लॉकबस्टर रही. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इतना ही नहीं, धर्मेंद्र ने अपने साथ काम करने वाले कई एक्टर-विलेन की किस्मत चमका दी. दो एक्टर तो विलेन से हीरो बन गए और फिर सुपरस्टार का स्टेटस पाया. एक एक्टर तो बॉलीवुड का महानायक बनकर उभरा. ये तीन एक्टर्स हैं : विनोद खन्ना, शत्रुघ्न सिन्हा और अमिताभ बच्चन.

सबसे पहले बात करते हैं विनोद खन्ना की. विनोद खन्ना के पिता नहीं चाहते थे कि वो फिल्मों में काम करें. पाकिस्तान के पेशावर प्रांत में जन्में विनोद खन्ना बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे. उन्हें सुनील दत्त फिल्मों में लाए थे. 13 अगस्त 1971 को रिलीज हुई फिल्म ‘मेरा गांव मेरा देश’ फिल्म में हमें धर्मेंद्र, आशा पारेख और विनोद खन्ना नजर आए थे. फिल्म का डायरेक्शन राज खोसला ने किया था. कहानी अख्तर रोमानी ने लिखी थी. स्क्रीनप्ले जीआर कामत ने लिखा था. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का म्यूजिक था. इस फिल्म के दो गाने ‘मार दिया जाए, या छोड़ दिया जाए..’ और ‘हाय शर्माऊं, किस-किसको बताऊं, अपनी प्रेम कहानियां’ बहुत मकबूल हुए थे. फिल्म में विनोद खन्ना ने जब्बर सिंह ठाकुर (डकैत) का रोल निभाकर धर्मेंद्र को कड़ी टक्कर दी थी.

विनोद खन्ना ने मार्च 1998 में अपने एक इंटरव्यू में बताया था, ‘सुनील दत्त ने मुझे फिल्मों में इंट्रोड्यूस किया था. शुरुआत हीरो के तौर पर होनी थी. एक फिल्म थी जिसमें दो हीरो थे. एक हीरो सुनील दत्त के भाई सोमदत्त थे और दूसरा रोल मुझे दिया गया था लेकिन सुनील दत्त को वो स्क्रिप्ट मिली नहीं. फिर उन्होंने जो अगली फिल्म दी, उसमें मेरा रोल विलेन का था. यह फिल्म थी : ‘मेरा गांव, मेरा देश’. यह उस समय की सबसे बड़ी हिट फिल्म थी. छह माह के भीतर ही मुझे हीरो के रोल मिलने लगे. एक समय तो ऐसा भी आया जब मैं हीरो-विलेन दोनों रोल कर रहा था.’

1971 में आई एक और फिल्म ‘मेरे अपने’ में विनोद खन्ना के किरदार को खासा पसंद किया गया. उनकी लोकप्रियता बढ़ गई. विनोद खन्ना बेहद हैंडसम लुक वाले एक्टर थे. उनका स्टारडम 1973 से शुरू हुआ. अमर-अकबर-एंथोनी (1977) और कुर्बानी (1980) के समय विनोद खन्ना अपने स्टारडम के पीक पर थे. उनकी पॉप्युलैरिटी अमिताभ बच्चन से कम ना थी. विनोद निजी जिंदगी में दो शादियां रचाईं. विनोद खन्ना की पहली शादी गीतांजलि खन्ना से 1971 में हुई थी. उनके दो बेटे, राहुल और अक्षय खन्ना हैं. यह रिश्ता 1985 तक चल पाया. जब विनोद खन्ना ओशो के आश्रम से लौटे तो उनका परिवार बिखर गया. दोनों ने आपसी सहमति से तलाक ले लिया. गीतांजलि से तलाक के बाद 1990 में फिर विनोद खन्ना ने कविता दफ्तरी से दूसरी शादी की थी.

सुपरस्टार विनोद खन्ना की तरह शत्रुघ्न सिन्हा ने भी अपने करियर की शुरुआत में विलेन के रोल निभाए. विलेन के रोल में उन्हीं खासी पहचान मिली. यह भी दिलचस्प है कि विनोद खन्ना की तरह शत्रुघ्न सिन्हा ने भी धर्मेंद्र के साथ एक फिल्म में विलेन का किरदार निभाकार वाहवाही लूटी थी. यह फिल्म थी ब्लैकमेल जिसका निर्देश विजय आनंद ने किया था. फिल्म 30 नवंबर 1973 में रिलीज हुई थी. फिल्म में धर्मेंद्र-शत्रुघ्न सिन्हा के अलावा राखी लीड रोल में थीं. कल्याण जी -आनंद जी का म्यूजिक था. फिल्म की कहानी विजय आनंद और विनोद कुमार ने लिखी थी. फिल्म का एक गाना आज भी प्रेमी गुनगुनाते हैं. ये सॉन्ग था : ‘पल-पल दिल के पास, तुम रहती हो..’ हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही थी लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा की किस्मत ऐसी चमकी कि वो हीरो बन गए.

शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने करियर की शुरुआत देवानंद की फिल्म प्रेम पुजारी से एक छोटे से रोल से की थी. प्रोड्यूसर्स को उनकी संवाद अदायगी बहुत पसंद आई. विलेन के किरदार से करियर शुरू करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा जल्द ही लीड रोल निभाने लगे. 1976 में आई ‘कालीचरण’ वो पहली फिल्म थी जब शत्रुघ्न सिन्हा हीरो के रोल में नजर आए. सुभाष घई ने फिल्म का निर्देशन किया था. प्रोड्यूसर एनएन सिप्पी थे. फिल्म में रीना रॉय, प्रेमनाथ, अजित, मदन पुरी, डैनी डेन्जोंगपा अहम भूमिकाओं में थे. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही. फिर शत्रुघ्न सिन्हा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

शॉटगन के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मुझे सही मायने में अपनी आवाज की कद्र कालीचरण के बाद हुई. यही फिल्म मेरे करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई. मुझे याद है कि मैं जब कई घंटे की शूटिंग के बाद घर लौटा तो देखा कि सुभाष गई मेरे घर पर बैठे हैं. मैंने उनसे कहानी सुनी. नैरेशन के दौरान मैं सो गया था. सुबह 4 बजे वो मुझे कहानी सुना रहे थे. मैं अपने संघर्ष के दिनों के साथी अमिताभ बच्चन से बहुत प्रभावित हुआ. मैं मनमोहन देसाई की टीम का हिस्सा कभी नहीं बन सका इस बात की मुझे टीस है.’

शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने करियर में ‘नसीब, खुदगर्ज, दोस्ताना, इंसानियत के दुश्मन, काला पत्थर, बेताज बादशाह, तीसरी आंख, हथकड़ी और दोस्त जैसी कई हिट फिल्में दीं. उनकी निजी जिंदगी विवादों में घिरी रही. शत्रुघ्न सिन्हा का नाम रीना रॉय के साथ जोड़ा जाता है. दोनों की जोड़ी को दर्शक खूब पसंद करते थे. 1980 में उन्होंने पूनम सिन्हा से शादी की. दो बेटे लव-कुश बॉलीवुड में हैं. बेटी सोनाक्षी सिन्हा भी एक्ट्रेस हैं.

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की किस्मत चमकाने में भी धर्मेंद्र के नाम का जिक्र जरूर होता है. प्रकाश मेहरा ने ‘जंजीर’ फिल्म पहले धर्मेंद्र को ऑफर की थी. अमिताभ उस समय बॉलीवुड में स्ट्रगल कर रहे थे. 10 फ्लॉप फिल्में दे चुके थे. उन्हीं दिनों धर्मेंद्र के भाई अजित देओल ‘प्रतिज्ञा’ फिल्म बना रहे थे. ऐसे में धर्मेंद्र ने प्रकाश मेहरा से छह माह का समय मांगा लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं थे. प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन को जंजीर फिल्म के लिए साइन कर लिया. जया भादुड़ी को उनके अपोजिट कास्ट किया गया. फिल्म ने रिलीज के बाद होते ही इतिहास रच दिया. यह फिल्म मस्ट वॉच लिस्ट में शामिल है. अमिताभ को इस फिल्म के बाद वो स्टारडम हासिल हुआ, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी.
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।First Published :
November 03, 2025, 16:48 IST
homeentertainment
धर्मेंद्र के साथ विलेन बने दो एक्टर, दोनों की पलटी किस्मत, रातोंरात बन गए हीरो
 


