Rajasthan

Udaipur Royal Family Dispute: क्या है धूणी दर्शन? जिससे शुरू हो गया बवाल, दो मेवाड़ सड़क पर भिड़े

उदयपुरः मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद सोमवार को उनके बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ की चित्तौड़ के केले में परंपरा के मुताबिक राजतिलक की रस्म हुई. मेवाड़ के 77वें दीवान के तौर पर राजगद्दी पर आसीन हुए. इसके बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ उदयपुर के सिटी पैलेस में स्थित धूणी के दर्शन करने पहुंचे. हालांकि उन्हें दर्शन करने नहीं दिया गया, जिसके चलते बवाल शुरू हो गया. ऐसे में यह सवाल उठता है कि धूणी दर्शन क्या होता है? जिसको लेकर हंगामा मचा हुआ है…

क्या होता है धूणी दर्शन?आपको बता दें कि मेवाड़ में परंपरा रही है कि नए दीवान के राजगद्दी पर आसीन होने के बाद धूणी के दर्शन किए जाते हैं. इसके बाद एकलिंग जी के दर्शन कर शोक को भंग किया जाता है. जिसके लिए उदयपुर के नए मेवाड़ विश्वराज सिंह सिटी पैलेस पहुंचे. लेकिन उनके चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ ने रोक लिया. उन्होंने कहा कि विश्वराज सिंह महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल ट्रस्ट के सदस्य नहीं हैं ऐसे में वह अंदर नहीं आ सकते. इसके बाद दोनों पक्षों में समझौते का दौर चलता रहा. लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ.

धूणी दर्शन पर विवादराजतिलक कार्यक्रम के ऐलान के साथ ही कार्यक्रम के आयोजकों ने ऐलान किया कि विश्वराज सिंह मेवाड़ राज तिलक के बाद धूणी दर्शन करने सिटी पैलेस जाएंगे. सिटी पैलेस पर कब्जा अरविंद सिंह मेवाड़ का है. महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट के चैयरमैन हैं अरविंद सिंह मेवाड़. अरविंद सिंह मेवाड़ ने एक सार्वजनिक सूचना प्रकाशित करवा दी कि विश्वराज सिंह सिटी पैलेस ट्रस्ट के सदस्य नहीं. इसलिए सिटी पैलेस में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. लेकिन राज तिलक के बाद समर्थकों के साथ विश्वराज सिंह धूणी दर्शन के लिए सिटी पैलेस पहुंचे. साथ में समर्थकों की भारी भीड़। समर्थकों ने सिटी पैलेस की बैरिकेटिंग हटा दी. विश्वराज तीन गाड़ियों के काफिले के साथ घुसे। लेकिन पूरा काफिला अंदर चाहते थे. इसलिए समर्थक और पुलिस आमने सामने हो गई.

एकलिंग जी के दर्शनदरअसल मेवाड़ के महाराणा खुद को एकलिंगजी के दीवान मानते हैं. महाराणा की छड़ी इसी मंदिर में दर्शन के बाद पुजारी सौंपते हैं यानी शासन करने की छड़ी. एक तरह से महाराणा की मान्यता इसी मंदिर से मिलती है. विश्वराज सिंह चितौड़ में राज तिलक के बाद मंदिर जाना चाहते थे. एकलिंगजी मंदिर भी इसी ट्रस्ट के अधीन है. इसलिए अरविंद सिंह मेवाड़ ने विश्वराज के मंदिर में प्रवेश पर पांबदी लगा दी औऱ बैरिकैटिंग करवा दी.

FIRST PUBLISHED : November 26, 2024, 08:06 IST

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj