अंडरआर्म बॉल, लैंगर की बेईमानी और सहवाग को इरादतन नोबॉल, क्रिकेट मैदान पर जब शर्मसार हुई खेलभावना
नई दिल्ली. खेल के मैदान पर हार और जीत से कहीं अधिक महत्व खेलभावना दिखाने को दिया जाता है. आज के पेशेवर समय, जब जीत पर बहुत कुछ दांव पर लगा होता है,यह भावना खत्म हो रही है. क्रिकेट को ही लें, कुछ वर्ष पहले तक विपक्षी बैटर के अंपायर के गलत फैसले का ‘शिकार’ होने की स्थिति में फील्डिंग टीम का कप्तान पवेलियन लौट रहे खिलाड़ी को वापस बुलाने से भी गुरेज नहीं करता था. भारतीय टीम के कप्तान विश्वनाथ, एमएस धोनी और पाकिस्तान के इमरान खान ऐसा कर चुके हैं. बहरहाल अब ऐसा कम ही देखने में आता है.
इससे उलट, क्रिकेट मैदान पर ऐसे भी वाकये सामने आए हैं जब खेलभावना तार-तार हुई है. मैच जीतने के लिए टीमों और उनके कप्तान ने ऐसे हथकंडे अपनाए कि खेलप्रेमियों को इनकी कामयाबी, हार से भी बदतर लगी. इंग्लैंड की ओर से ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ अपनाई गई ‘बॉडीलाइन रणनीति’ इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. हाल ही में वर्ल्डकप 2023 (World Cup 2024) के दौरान बांग्लादेश के कप्तान शाकिब अल हसन (Shakib Al Hasan) की ओर से श्रीलंका के बैटर एंजेलो मैथ्यूज (Angelo Mathews) के खिलाफ ‘टाइम आउट’ की अपील इसका ताजा उदाहरण मानी जा सकती है. मैच में हेलमेट की स्ट्रिप टूटने के कारण मैथ्यूज क्रीज पर पहुंचने के बावजूद तय समय में स्ट्राइक नहीं ले पाए थे, ऐसे में शाकिब ने ‘टाइम आउट’ की अपील की. अंपायरों के आग्रह के बावजूद जब वे अपील वापस लेने को तैयार नहीं हुए तो ग्राउंड अंपायर को मैथ्यूज को आउट घोषित करना पड़ा. टाइम आउट नियम वर्षों से क्रिकेट में हैं लेकिन सद्भावना के तौर पर इंटरनेशनल क्रिकेट में मैथ्यूज से पहले इसे कभी इस्तेमाल नहीं किया गया. इस मामले में शाकिब को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा था.
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नजर डालते हैं खेल मैदान की उन खास घटनाओं पर जिनसे खेलभावना की धज्जियां उड़ीं..
न्यूजीलैंड के खिलाफ इंडीज बॉलर्स की ‘मनमानी’
1980 में न्यूजीलैंड के खिलाफ क्राइस्टचर्च टेस्ट में वेस्टइंडीज के माइकल होल्डिंग और कॉलिन क्रॉफ्ट जैसे स्पीडस्टर ने जमकर मनमानी की और अंपायर इनके सामने असहाय दिखे. कप्तान क्लाइव लॉयड ने भी अपने बॉलर्स को अनुशासित करने का प्रयास नहीं किया. अंपायर के एक फैसले से नाराज होकर होल्डिंग ने गुस्से में बॉलर एंड के स्टंप्स को ठोकर मारकर गिरा दिया. इसके बाद कॉलिन क्रॉफ्ट ने भी बदसलूकी पर उतरते हुए गालीगलौज की. जब अंपायर गुडाल ने इसकी शिकायत लॉयड से की तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा, ‘यदि आपको बॉलर्स से शिकायत है तो खुद उनसे बात करें.’ इससे क्रॉफ्ट और निरंकुश हो गए,उन्होंने ‘लंबी’ नोबॉल फेंकी और बेल्स गिरा दी. यही नहीं, उन्होंने अंपायर के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल भी किया था.
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ग्रेग ने भाई ट्रेवर चैपल से फिंकवाई थी ‘अंडरआर्म बॉल’
क्रिकेट को शर्मसार करने वाली एक अन्य घटना फरवरी 1981 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच मेलबर्न वनडे में हुई थी जब कीवी टीम को जीत से वंचित करने के लिए ग्रेग चैपल ने छोटे भाई ट्रेवर को अंडरआर्म बॉल फेंकने का आदेश दिया. मैच टाई करने के लिए कीवी टीम को आखिरी गेंद पर 6 रन की दरकार थी. छक्का न लगे, इसलिए ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रेग चैपल ने ट्रेवर को अंडरआर्म गेंद (लुढ़काकर गेंद करना) फेंकने को कहा. बैटर ब्रायन मैक्नी इस पर बड़ा शॉट नहीं लगा सके और न्यूजीलैंड मैच हार गया. हालांकि उस समय केनियम के अनुसार, अंडरऑर्म बॉल अवैध नहीं थी लेकिन ऐसा करना खेलभावना के खिलाफ था. मैच में कमेंट्री कर रहे ग्रेग चैपल के बड़े भाई इयान के अलावा कई क्रिकेट दिग्गजों ने भी इस पर नाराजगी जताई थी. इस घटना के बाद अंडरआर्म बॉलिंग को तत्काल प्रभाव से बैन कर दिया गया.
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जस्टिन लेंगर ने बेल्स गिरा दी फिर..
ऑस्ट्रेलिया के ज्यादातर क्रिकेटरों को अनुशासनहीन माना जाता है. 2004 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट में फील्डिंग के दौरान जस्टिन लैंगर (Justin Langer) ने बेल्स गिराकर बेईमानी की कोशिश की थी जो सफल नहीं हो सकी. मैच के आखिरी दिन श्रीलंका के प्लेयर्स ने दिनभर बैटिंग की जिससे ऑस्ट्रेलियाई फील्डर झुंझला गए. इस दौरान ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट ने बेल्स गिरी हुई देखी तो अंपायर से इस बारे में पूछा. शेन वॉर्न तो यह कहने से भी नहीं चूके कि यहां कोई नहीं था और मैंने बेल्स को विकेट पर गिरा हुआ देखा. संभवत: हसन तिलकरत्ने के बैट से यह गिरी है. अंपायर्स ने जब रिप्ले देखा तो पता चला कि लैंगर ने विकेट के करीब से गुजरने के दौरान इरादतन यह बेल्स गिराई और तेजी से आगे निकल गए. उनकी बेईमानी सामने आने से ऑस्ट्रेलियाई टीम को शर्मसार होना पड़ा.
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फील्डर से टकराकर गिरे बैटर के खिलाफ रनआउट अपील
2008 में न्यूजीलैंड के खिलाफ ओवल वनडे में कॉलिंगवुड ने अपील को वापस नहीं लिया और कीवी बैटर ग्रांट इलियट को रन आउट होना पड़ा. इस वनडे मैच में न्यूजीलैंड को एक समय जीत के लिए 39 गेंदों पर 26 रन की दरकार थी. इसी दौरान कीवी बैटर इलियट की रन लेने की कोशिश में इंग्लैंड के रियान साइडबॉटम से टक्कर हो गई और वे मैदान में ही गिर गए. इंग्लैंड के फील्डर्स ने उन्हें रन आउट कर दिया. ऐसी स्थिति में बहुधा खेल भावना दिखाते हुए फील्डिंग टीम अपील वापस ले लेती है. ग्राउंड अंपायर्स ने जब इंग्लैंड के कप्तान पॉल कॉलिंगवुड से पूछा-क्या आप टीम की अपील पर पुनर्विचार करना चाहते हैं तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया. ऐसे में अंपायर को इलियट को रनआउट घोषित करना पड़ा. मैच में कॉलिंगवुड के खेलभावना के विपरीत व्यवहार का बदला न्यूजीलैंड ने मैच में एक विकेट से जीत हासिल करके चुकाया.
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वीरू शतक न बना सकें इसलिए रणदिव ने फेंकी नोबॉल
16 अगस्त 2010 को त्रिकोणीय सीरीज के अंतर्गत भारत-श्रीलंका के बीच दाम्बुला में हुए वनडे के दौरान वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) को शतक पूरा करने से रोकने के लिए सूरज रणदिव (Suraj Randiv) ने जानबूझकर नोबॉल फेंकी थी. इस नोबॉल से मिले एक रन के सहारे भारत 6 विकेट से मैच जीत गया लेकिन सहवाग को 99 रन पर नाबाद रहकर पवेलियन लौटना पड़ा. सहवाग ने इस नोबॉल पर छक्का लगाया था. चूंकि नोबॉल के कारण भारत पहले ही एक रन मिलने से मैच जीत गया था, ऐसे में छक्का वीरू के स्कोर में नहीं जोड़ा गया और वे 99 रन पर ही अटक गए. बाद में खुद रणदिव और श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने इस घटना के लिए सहवाग से माफी मांगी थी.
6yrs ago on this day,Hewa Kaluhalamullage Suraj Randiv Kaluhalamulla did this,was hit fr a 6,but I remained 99notout pic.twitter.com/iwhOFdtQNL
— Virender Sehwag (@virendersehwag) August 16, 2016