Unique miracle This place was turned upside down by evil spirits remains foun know whole matter

जयपुर:- सभी धर्म के ग्रंथों में चमत्कारों का वर्णन मौजूद रहा है. इस्लाम धर्म में अल्लाह के चमत्कार व उनके बंदों की जगह को पवित्र माना जाता है. जयपुर ग्रामीण जिले के सांभर शहर के नजदीक नरैना रोड पर स्थित हजरत मखदूम शाह साहब की दरगाह चमत्कारिक और पवित्र मानी जाती है. यहां बड़ी संख्या में जयरीन आते हैं और मन्नत मांगते हैं. खादिम नदीम बताते हैं कि मखदूम शाह अल्लाह के बंदे थे, उन्हें अल्लाह की रहमत प्राप्त थी.
मखदूम शाह आमजन की परेशानी को दूर करने वाले अल्लाह के प्यारे बंदे थे. सांभर क्षेत्र में यहां हजारों सालों पहले बुरी आत्मा वाले जादूगरों का निवास था. बुरे जादूगर आमजन को बहुत परेशान करते थे. ऐसे में अल्लाह के बंदे मखदूम शाह साहब ने जादूगरों को समझाया, लेकिन वह नहीं माने. तब जादूगरों के सभी घरों को उल्टा कर दिया, जिनके अवशेष आज भी मौजूद हैं.
इमली के पेड़ की भी खास मान्यताखादिम लोकल 18 को बताते हैं कि जो जायरीन अजमेर दरगाह जियारत करने आते हैं, वह सांभर दरगाह आने से पहले मखदूम शाह साहब की आसताना शरीफ दरगाह में भी जियारत करने जरूर आते हैं. दरगाह परिसर में हजारों साल पुराना इमली का पेड़ है, जहां मन्नत का धागा बांधा जाता है. दरगाह में कई कमरे बरामदा बने हुए हैं.
कौन थे मखदूम शाह साहबआसताना शरीफ दरगाह के खादीम बताते हैं कि मखदूम शाह साहब अल्लाह के नेक बंदे थे. 5000 सालों पहले इस क्षेत्र में बुरी आत्माओं वाले जादूगरों का निवास था. वह अपने जादू के प्रभाव से हर किसी को वो परेशान करते थे. अल्लाह के नेक बंदे मखदूम शाह साहब ने जादूगरों को समझाया, लेकिन वह नहीं माने. मजबूरन मखदूम शाह ने जादूगरों के सभी घरों को उल्टा कर दिया, जिनके अवशेष आज भी मौजूद हैं. उल्टा किए हुए गांव से आज भी 7 किलोमीटर दूरी पर कोई बड़ा गांव या शहर नहीं बसा हुआ है. आज मखदूम शाह को अल्लाह का बंदा मानकर लोग जियारत करने आते हैं.
क्या है उलटे गांव का माजरा जयपुर ग्रामीण के सांभर नमक झील से नरैना रोड़ पर स्थित आसताना शरीफ दरगाह के खादिम बताते हैं कि दरगाह परिसर के पीछे वाले हिस्से में जादूगरों का गांव था. बुरी आत्मा वाले जादूगर जब राहगीरों को परेशान करने लगे, तो मखदूम शाह, जो अल्लाह के बंदे थे, उन्होंने उनके घरों को उल्टा कर दिया. वहीं दूसरा पक्ष यह है कि दरगाह परिसर के पीछे वाले बड़े क्षेत्र को पुरातत्व विभाग ने संरक्षित क्षेत्र घोषित कर रखा है. इस क्षेत्र की सारी देख-रेख पुरातत्व विभाग करता रहा है.
सबसे पहले इस क्षेत्र की खुदाई 1884 ई.पू. में टी.एच. हैंडले ने करवाई थी. उसके बाद इतिहासकार दयाराम साहनी ने 1936-1938 में इस क्षेत्र की पुनः खुदवाई कराई. ऐतिहासिक शोधों से पता चलता है कि यह क्षेत्र तीसरी सदी ईसा पूर्व से आठवीं सदी ई.पू. तक आबाद क्षेत्र रहा था.
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खुदाई में मिली ये चीजेंऐतिहासिक खुदाई में यहां 200 पुरातत्वकाल के सिक्के और शुंग- कुषाण काल, गुप्तकालीन मृगंमूर्तियां प्राप्त हुई हैं. इतिहासकार दया राम साहनी ने 1936-1938 में इस क्षेत्र की पुनः खुदाई करवाई थी, वह अवशेष आज भी मौजूद है. दरगाह परिसर क्षेत्र के पीछे वाले हिस्से में बने हुए भवन के अवशेष पुरातत्व शुंग कुषाण गुप्त काल सभ्यता के अवशेष बताए गए हैं. यहां लोग अपने-अपने हिसाब से अलग-अलग मतों को मानते रहे हैं. दरगाह में जियारत करने आए जायरीन समझते हैं कि यह जगह मकसूद शाह के प्रभाव से जादूगरों के घर उल्टे किये जाने वाला हिस्सा है. वहीं इतिहासकार इसे सभ्यता का हिस्सा बताते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 2, 2024, 14:33 IST
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