अशोक गहलोत सरकार के गाय पर जारी फरमान से मचा सियासी बवाल, बीजेपी ने कहा-तुगलकी फैसला
जयपुर. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के एक नये फरमान से शहरों में गाय पालने (Cow rearing) वालों के सामने तो मुसीबत खड़ी हुई ही है लेकिन इसके साथ ही गाय पर एक फिर से प्रदेश में सियासत (Politics) भी शुरू हो गई है. दरअसल सरकार ने शहरों में गाय पालने पर करीब-करीब रोक लगा दी है. सरकार के नये फरमान के अनुसार आप शहर में सिर्फ एक गाय या भैंस पाल सकते हैं. लेकिन इसके लिये लाइसेंस और पशुबाड़ा समेत इतनी शर्तें थोप दी गई है कि 90 फीसदी लोगों के लिए उनकी पालना करना मुमकिन ही नहीं है.
गाय पालकों ने गहलोत सरकार पर आरोप लगाया कि ये हिंदुओं को गाय से दूर करने की साजिश है. अगर बकरे रख सकते हैं और उनसे गंदगी होती है तो फिर गाय क्यों नहीं? बीजेपी ने इस आदेश को हिंदू विरोधी करार दिया है. बीजेपी ने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार एक के बाद हिंदू विरोधी फैसले कर रही है.
नये फरमान में ये हैं गाय रखने की शर्तें
नये फरमान के अनुसार राजस्थान के शहरों में घरों में सिर्फ एक गाय रख सकते हैं लेकिन उसके लिए लाइसेंस लेना होगा. 100 वर्ग गज के मकान के अलावा अलग से पशुबाड़ा जरुरी है. उसका दूध नहीं बेच सकते. गाय या भैंस की टैगिंग जरुरी होगी. सरकार के इस फरमान से गाय पालने वाले गौपालक सत्यनारायण गुस्से में हैं. जयपुर के सोडाला इलाके में बरसों से गायें पाल रहे सत्यनारायण ने सवाल किया कि अगर बकरे रख सकते हैं तो फिर गाय से आपत्ति क्यों? सत्यनारायण ने आरोप लगाया कि ये हिंदूओं को गाय से दूर करने की साजिश है.
बीजेपी ने कहा-हिन्दू विरोधी फैसला
दूसरी तरफ बीजेपी ने भी इसे तुगलकी फरमान करार दिया है. बीजेपी के मीडिया समन्वयक पंकज जोशी ने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है और गाय को मोहरा बना रही है. बीजेपी ने कहा गहलोत सरकार ने पहले रमजान में मुस्लिम इलाकों में बिजली कटौती न करने के आदेश जारी किया तो अब गाय पर शहरों में पांबदी का. बीजेपी ने आरोप लगाया कि ये हिंदू विरोधी फैसला है.
मंत्री खाचरियावास ने किया सरकार का बचाव
दूसरी तरफ राजस्थान की गहलोत सरकार ने इस फरमान का बचाव किया है. गहलोत सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि पहले तो मुश्किल थी कि गायें ले जाते थे. अधिकतर लोगो की मांग थी कि एक गाय तो पालने दी जाए. अब एक गाय पालने की इजाजत दे दी. अब कोई तंग नहीं कर सकता. ये गौ सैवा के लिए बड़ा फैसला है.
राजस्थान में दूध के लिए गाय रखने की परंपरा है
अपने तर्क देते हुये मंत्रीजी ये भूल गए कि एक गाय पालने की इजाजत में इतनी शर्तें थोप दी कि आम शहरी के लिए उनकी पालना करना बेहद मुश्किल है. राजस्थान के अधिकतर शहरों में दूध के लिए गाय रखने की परंपरा है. हालांकि शहरों में पशुओं से गंदगी एक बड़ी चुनौती है. इसी वजह से जयपुर समेत अधिकतर शहरों की परिधि से डेयरियों को पहले ही बाहर कर दिया गया.
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