टीले वाली माता मंदिर की अनोखी कहानी, जहां डाकू भी लेते थे मां का आशीर्वाद, अब आस्था और शांति का है केंद्र

Last Updated:October 17, 2025, 11:38 IST
Bharatpur Chamunda Mata Mandir: भरतपुर जिले के थाना डांग गांव के पास मिट्टी के विशाल टीलों के बीच स्थित टीले वाली चामुंडा माता मंदिर रहस्यमयी इतिहास और अटूट आस्था का प्रतीक है. कभी यह स्थान डाकुओं का ठिकाना हुआ करता था, जो हर लूट के बाद माता के दर्शन कर आशीर्वाद लेते थे. आज यहां हर मंगलवार और नवरात्रि पर हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं. यह मंदिर भक्ति और शांति का अद्भुत अनुभव कराता है. अब यह जगह डाकुओं की कहानी से आगे बढ़कर आस्था और विश्वास का केंद्र बन चुकी है.
भरतपुर. राजस्थान के भरतपुर जिले से करीब 55 किलोमीटर दूर थाना डांग गांव के पास मिट्टी के विशाल टीलों के बीच प्रसिद्ध चामुंडा माता का मंदिर स्थित है. जिसे लोग श्रद्धा से टीले वाली माता के नाम से पुकारते हैं. यह मंदिर अपनी रहस्यमयी इतिहास, प्राकृतिक सौंदर्य और अटूट आस्था के कारण आस-पास के क्षेत्रों में विशेष पहचान रखता है. कहा जाता है कि काफी समय पहले यह इलाका डाकुओं का गढ़ हुआ करता था. चारों ओर फैले घने जंगल और ऊबड़-खाबड़ डांग क्षेत्र के कारण यह जगह बाहरी दुनिया से काफी दूर और डाकुओं के लिए सुरक्षित मानी जाती थी.
मंदिर से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित डांग क्षेत्र में कभी डाकुओं के ठिकाने हुआ करते थे. पुराने लोगों के अनुसार, जब डाकू लूटपाट से लौटते थे तो सबसे पहले चामुंडा माता के दर्शन करने आते थे. वे माता के चरणों में घंटा चढ़ाकर अपनी सफलता का आशीर्वाद लेते थे और यह मानते थे कि माता की कृपा से ही वे हर बार बच निकलते हैं. समय के साथ डाकुओं का युग भले ही समाप्त हो गया, लेकिन टीले वाली माता की आस्था आज भी उतनी ही मजबूत है.
सुख-समृद्धि की कामना लेकर आते हैं श्रद्धालु
अब धीरे-धीरे डाकुओं का डर खत्म को गया है. अब यहां हर मंगलवार और नवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या उमड़ती है. आस-पास के गांवों के लोग अब यहां दर्शन करने पैदल या वाहनों से पहुंचते हैं. भक्त यहां माता से अपने परिवार की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और रक्षा की कामना करते हैं. मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह मिट्टी के ऊंचे-ऊंचे टीलों के बीच स्थित है, जो इसे एक अलग ही रूप देते हैं. चारों ओर का सन्नाटा और प्राकृतिक शांति यहां आने वालों को आध्यात्मिक अनुभव कराता है.
डाकुओं की कहानी से आगे बढ़कर आस्था का बन चुका है प्रमुख केन्द्र
वहीं डांग क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क बहुत कमजोर होने के कारण यहां आने वाला व्यक्ति मानो बाहरी दुनिया से कुछ समय के लिए कट जाता है और केवल भक्ति और शांति का अनुभव करता है. डाकूओं के समय यह इलाका उनके लिए काफी अच्छा होता था. स्थानीय लोगों का मानना है कि टीले वाली माता शक्ति की प्रतीक है और जिन्होंने भी सच्चे मन से माता से प्रार्थना की है, उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है. यह स्थान अब डाकुओं की कहानी से आगे बढ़कर आस्था विश्वास और शांति का केंद्र बन चुका है. टीले वाली चामुंडा माता का यह मंदिर आज भी भरतपुर के इतिहास, रहस्य और लोक आस्था की जड़ों से जुड़ा एक जीवंत प्रतीक है.
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दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट… और पढ़ें
Location :
Bharatpur,Rajasthan
First Published :
October 17, 2025, 11:38 IST
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टीले वाली माता मंदिर की अद्भुत है कहानी, डकैत भी लेने आते थे मां का आशीर्वाद