unique story of this mahamaya temple in jaipur

Last Updated:April 06, 2025, 18:03 IST
महामाया धाम में श्रद्धालु की भारी भीड़ रहती है. यहां हजारों की भीड़ माता के दर्शन करने के लिए आती है. मंदिर में माता के रात्रि जागरण में शामिल होकर मनोकामना की अरदास करते हैं. इस स्थान की कहानी काफी अनोखी और रह…और पढ़ेंX
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प्रतिवर्ष छ: से सात बार महामाया के लगती हैं जात
हाइलाइट्स
जयपुर से 45 किमी दूर स्थित है महामाया का मंदिर.मंदिर में 700 साल पुरानी इंद्र की परियों की कथा है.भक्तों की मान्यता: 7 बार जात लगाने से मनोकामना पूरी होती है.
जयपुर:- राजधानी जयपुर से 45 किलोमीटर दूर चौंमू अजीतगढ स्टेट हाइवे सामोद रोड के बंदौल की घाटी में शक्तिपीठ महामाया का मंदिर मौजूद है. इस महामाया मंदिर को सात बहनों के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथाओं में इस मंदिर की व्याख्यान बडी रोचक है. मंदिर के महन्त मोहनदास महाराज ने Local 18 को बताया कि लगभग 700 वर्ष पहले इस मंदिर की स्थापना हुई थी.
तब यहां संत द्वारका दास धूणा लगाकर तपस्या किया करते थे. संत की तपस्या के समय इंद्रलोक से इंद्रदेव की 7 परिया खोला बंदौल की बावडी में स्नान करने आती थी. स्नान करते समय 7 इन्द्र की परिया शोरगुल व हल्ला गुल्ला कर रही थी. परियों की शोरगुल व अठखेलियों से संत की तपस्या में विघ्न पड़ता था.
रोजाना परियां करती अठखलियांसंत द्वारका दास ने कई बार इन्द्र की परियों को समझाया, लेकिन इन्द्र की परियां अपनी शोरगुल हरकतों से बाज नहीं आई. रोजाना संत तपस्या करने बैठते और इन्द्र की परियां बावडी पर स्नान करते वक्त अठखेलियां करती. परियों की इन हरकतों से संत द्वारका दास क्रोधित हो गए और संत ने परियों को सबक सिखाना ही उचित समझा. इन्द्र की परिया रोजाना की तरह नहाने के लिए अपने वस्त्र उतारकर बावड़ी में उतर गई.
संत ने छुपा दिए परियों के कपड़ेबहुत तेज शोरगुल करते अठखेलियां करने लगी और तभी तपस्वी संत द्वारका दास बावड़ी के पास आए और परियों के वस्त्र छुपा दिए. परियों ने जब तपस्वी के पास अपने कपड़े देखेस तो अपने कपड़े महाराज से मांगने लगी. लेकिन महाराज द्वारका दास ने परियों को वस्त्र वापस नहीं दिए. संत द्वारका दास ने इन्द्र की परियों को श्राप देते हुए कहा कि तुम सभी सातों परियां हमेशा के लिए यहीं आबाद रहोगी.
आज से तुम सातो यहीं बस जाओ और लोगों की सेवा व मुरादें पूरी करो. तब से बंदोल के खोला में सातों बहनें जो इन्द्र की परियां हैं, यहीं निवास करती हैं. जो भी भक्त सपरिवार अपनी सच्ची आस्था व श्रद्धा के साथ मंदिर में मनोकामना लेकर आता है, उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है.
प्रतिवर्ष 6 से 7 बार महामाया को लगती है जातमहन्त मोहनदास महाराज ने लोकल 18 को आगे बताया कि महामाया धाम में श्रद्धालु की भारी भीड़ रहती है. यहां हजारों की भीड़ माता के दर्शन करने के लिए आती है. माता को प्रसन्न करने के लिए भक्त लाल चुनरी, लाल ओढ़ना, बरी, नारियल, प्रसाद, धूप व इत्र आदि माता को अर्पित करते हैं. साथ ही मंदिर में माता के रात्रि जागरण में शामिल होकर मनोकामना की अरदास करते हैं. भक्तों की मान्यता के अनुसार, एक साल में माता को 6 बार से अधिक जात लगाने से मनोकामना पूरी होती है.
Location :
Jaipur,Rajasthan
First Published :
April 06, 2025, 18:03 IST
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संत की तपस्या के समय परियां करती थी तंग, फिर क्रोधित हुए और दे दिया ये श्राप!
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.