छोटी दिवाली पर कुत्तों की पूजा की अनोखी परंपरा

Last Updated:October 20, 2025, 17:59 IST
राजस्थान के करौली जिले में छोटी दिवाली के दिन एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है, जिसे “कुत्तों की दिवाली” कहा जाता है. इस दिन महिलाएं घरों के बाहर आटे से चौमुखा दीपक बनाकर कुत्तों के नाम समर्पित करती हैं और उनका पूजन कर उन्हें भोजन व मिठाई खिलाती हैं. यह परंपरा यमराज के दूत माने जाने वाले कुत्तों को प्रसन्न करने की मान्यता से जुड़ी है. लोगों का विश्वास है कि इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और यमराज की कृपा प्राप्त होती है. यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था, बल्कि इंसान और पशु के बीच प्रेम और सह-अस्तित्व का भी प्रतीक है.
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करौली. राजस्थान के करौली जिले में दिवाली के पर्व पर एक ऐसी परंपरा निभाई जाती है, जो पूरे देश में अलग और अनोखी मानी जाती है. जहां देशभर में छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी को भगवान कृष्ण और यमराज की पूजा से जोड़ा जाता है, वहीं करौली में इस दिन कुत्तों का पूजन किया जाता है. यही वजह है कि यहां छोटी दिवाली को कुत्तों की दिवाली के नाम से भी जाना जाता है.
स्थानीय परंपरा के अनुसार, छोटी दिवाली की रात करौली के हर घर के बाहर महिलाएं आटे से बना चौमुखा दीपक तैयार करती हैं. इस दीपक को जलाकर कुत्तों के नाम समर्पित किया जाता है. माना जाता है कि यह दीपक यमदूतों के लिए मार्गदर्शक होता है और उन्हें प्रसन्न करता है, इस दिन महिलाएं न केवल दीपक जलाती हैं, बल्कि कुत्तों का पूजन कर उन्हें मिठाई और भोजन भी खिलाती हैं.
यह परंपरा करौली में सदियों पुरानी
करौली के ज्योतिषाचार्य और कर्मकांडी पंडित मनीष उपाध्याय बताते हैं कि यह परंपरा करौली में सदियों पुरानी है और इसके पीछे धार्मिक मान्यता जुड़ी हुई है. मान्यता है कि कुत्ता यमराज का वाहन और दूत माना जाता है, इस दिन अगर कोई व्यक्ति कुत्तों का पूजन करता है तो यमराज प्रसन्न होते हैं और उसके परिवार पर किसी भी प्रकार का संकट नहीं आता. यही कारण है कि करौली में छोटी दिवाली को यमराज की कृपा प्राप्त करने का विशेष पर्व माना जाता है.
कहते हैं कि जिस घर के बाहर कुत्तों के लिए दीपक जलाया जाता है, उस घर में पूरे वर्ष सुख, समृद्धि और सुरक्षा बनी रहती है. इस रात करौली की गलियां कुत्तों के लिए जलाए गए दीपों से जगमगाने लगती हैं. दृश्य इतना मनमोहक होता है कि ऐसा लगता है मानो शहर खुद कुत्तों की दिवाली मना रहा हो. लोगों का विश्वास है कि यह परंपरा केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं का भी प्रतीक है. यह पर्व इंसान और जानवरों के बीच के प्रेम और सह-अस्तित्व का संदेश देता है. करौली की यह परंपरा न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह भी बताती है कि दिवाली सिर्फ रोशनी का नहीं, बल्कि हर जीव में भगवान को देखने का पर्व भी है.
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें
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Location :
Karauli,Rajasthan
First Published :
October 20, 2025, 17:59 IST
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करौली में छोटी दिवाली पर कुत्तों की पूजा की अनोखी परंपरा, पढ़िए पूरी खबर