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UPSC Success Story: पिता की कैंसर से मृत्यु, स्टेट बोर्ड से की पढ़ाई, MBBS टॉपर, ऐसे UPSC क्रैक करके बने IAS Officer

UPSC IAS Success Story: अगर कुछ करने का जुनून हो तो उसे कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता है. अक्सर कई बार देखा गया है कि पहले उम्मीदवार नीट की परीक्षा (NEET Exam) को पास करके MBBS की पढ़ाई करते हैं. इसके बाद वह संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा को पास करने की तैयारी में लग जाते हैं और इसे पास करने में भी सफल हो जाते हैं. आज हम एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो यूपीएससी 2023 की परीक्षा में 78 रैंक हासिल की हैं. इससे पहले वह मेडिकल कॉलेज में भी टॉपर रहे हैं. इस शख्स का नाम डॉ. एस प्रशांत हैं.

यूपीएससी में हासिल की 78वीं रैंकयूपीएससी की परीक्षा में 78 रैंक लाने वाले एस प्रशांत (S. Prashanth) ने अपनी स्कूली पढ़ाई स्टेट बोर्ड से की है. उन्होंने डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल गोपालपुरम से स्कूली शिक्षा हासिल की हैं. वह मेडिकल की पढ़ाई के लिए आयोजित होने वाली नीट के लिए भी योग्यता प्राप्त की हैं. प्रशांत मूल रूप से तमिलनाडु के मदुरै से ताल्लुक रखते हैं. मद्रास मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस टॉपर एस. प्रशांत ने 36 मेडल भी जीते हैं. उन्हें राज्य बोर्ड के छात्र के रूप में मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिला था.

मेडिकल कॉलेज में भी रहे टॉपरप्रशांत (S. Prashanth) ने वर्ष 2022 में मद्रास मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस टॉपर रहे हैं. उन्होंने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा को पास करने में सफल रहे थे. वह नीति निर्धारण निर्णयों का हिस्सा बनने की इच्छा भी रखते थे. 24 वर्षीय छात्र ने परीक्षा पास करने के लिए ‘नान मुधलवन’ स्कीम, अपने परिवार और शिक्षकों को उनके अटूट समर्थन का श्रेय दिया है. उन्होंने मेडिकल साइंस को अपने वैकल्पिक पेपर के रूप में लिया था क्योंकि उनकी पृष्ठभूमि के कारण इसमें कम से कम तैयारी की आवश्यकता होगी.

डॉ. प्रशांत बताते हैं कि एक डॉक्टर के रूप में लगभग 60-70 रोगियों को देखता और मिलता हूं. लेकिन एक सिविल सेवक के रूप में मैं लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता हूं. मैं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और यूनेस्को बायोएथिक्स काउंसिल की राज्य शाखा का हिस्सा था. उन्होंने नीतिगत निर्णयों का हिस्सा बनने की इच्छा पैदा की. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपनी दादी जयलक्ष्मी, मां शांति रामकृष्णन और ऑफिसर्स आईएएस अकादमी में अपने गुरुओं को दिया.

यह सरकारी योजना बनी सहाराप्रशांत (S. Prashanth) अपने परिवार में एकमात्र पुरुष मेंबर थे, जिनसे सभी को उम्मीदें थी. वह जब कक्षा 12वीं में थे तब उनके पिता की कैंसर से मृत्यु हो गई थी और उनकी माँ ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी. “इस तरह, ‘नान मुधलवन’ योजना के लाभार्थी के रूप में कोई मौद्रिक दबाव नहीं था और मैं अपने लक्ष्य को प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित कर सका.”

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Tags: IAS Officer, NEET, Success Story, UPSC

FIRST PUBLISHED : May 24, 2024, 13:24 IST

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