नौकरी चली गई तो खाद तैयार कर शुरू की नर्सरी, आज हो रहा अच्छा खासा मुनाफा

नरेश पारीक/ चूरू.मन के हारे हार है मन के जीते जीत. जीवन में जय पराजय केवल मन की भावनाएं हैं. यदि मनुष्य मन में हार गया- निराश हो गया तो पराजय है और यदि उसने मन को जीत लिया तो वह विजेता है. कुछ ऐसा ही उदाहरण चूरू में देखने को मिला है. जहां कोरोना काल में लगे लॉक डाउन में जॉब चली गई. लेकिन उदास और निराश ना होकर चूरू के लोकेश शर्मा ने कुछ नया करने की ठानी और यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म की सहायता से पहले केंचुआ खाद(वर्मी कम्पोस्ट )बनाने का काम शुरू किया और अब नर्सरी लगा पौधे बेच रहे हैं. 35 वर्षीय लोकेश शर्मा बताते हैकि वह ऑटो मोबाइल सेक्टर में थे और लॉक डाउन में जॉब चली गई और नई जॉब की तलाश शुरू की लेकिन जॉब नहीं मिली फिर स्वयं का व्यापार शुरू करने के लिए पूंजी नहीं थी. जिसके बाद मन में केंचुआ खाद बनाने का आईडिया आया और सोशल मीडिया प्लेटफार्म की सहायता से केंचुआ जैविक खाद बनाने की विधि सीखी और अब नर्सरी चला रहा है. लोकेश बताते है कि जॉब जाने पर एक बार निराशा जरूरी लगी लेकिन आज वह स्वयं का कारोबार संभाल रहे हैं और कलकत्ता, बैगलोर और पुणे से प्लांट मंगा नर्सरी संचालित कर रहे है.
पौध कर रहे स्वयं तैयार
लोकेश बताते है कि उन्होंने 40 हजार रुपए इन्वेस्ट कर नर्सरी शुरू की थी जिसका उन्हें अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. इसके साथ ही वह स्वयं भी पौध तैयार कर रहे है. शर्मा बताते है कि उन्होंने सोशल मीडिया की सहायता से ही पौध तैयार करनी सीखी और अब वह बड़ी संख्या में फ्लॉवर प्लांट और डेकोरेशन प्लांट तैयार कर रहे है.केंचुआ खाद के साथ ही उनका अब ये नर्सरी का कारोबार रफ्तार पकड़ रहा है. जिससे उन्हें अच्छे मुनाफे की उम्मीद है.
10 हजार रुपए में शुरू किया केंचुआ खाद का काम
लोकेश बताते हैकि उनके पास व्यवसाय में इन्वेस्ट करने के लिए अधिक पैसे नहीं थे.ऐसे में महज 10 हजार रुपए से उन्होंने केंचुआ खाद बनाने का काम शुरू किया और 10 हजार रुपए के केंचुए खरीदकर लाए.उन्होंने दो बेड मेंकेंचुआ खाद बनानी शुरू की थी और आज 16 बेड में वहकेंचुआखादतैयार कर रहे है. शर्मा बताते है किइसके लिए वह गौशालाओं से गोबर खरीदते हैऔर गोबर को 15 दिन तक ठंडा करने के लिए छोड़ते है ताकि उसकी मीथेन गैस बाहर निकल सके और उसके बाद उसमें केंचुए छोड़े जाते हैं.
ऐसे होती है केंचुआ खाद तैयार
केंचुआ खाद बनाने के लिए तीन फुट चौड़ाई, 10 से 12 फुट लंबाई और दो से ढाई फुट गहराई का गड्ढा खोदकर उसमें अपशिष्ट गोबर भरते है. फिर उसमें केंचुए छोड़ते हैं. गड्डे की फर्श को कंकरीट से पक्का करते है. जल निकासी के लिए पिट में एक छिद्र बनाया जाता है. दो गड्ढों का निर्माण एक साथ किया जाता है. बीच में दीवार रखते हैऔर उसमें छिद्र छोड़ देते है.ताकि आसानी से केंचुए एक से दूसरे गड्ढे में जा सकें. एक माह बाद उस ढेर को लोहे के पंजे की सहायता से पलटते है. पिट में नमी बनाए रखने के लिए प्रतिदिन पानी का छिड़काव भी करते हैं. इस तरह 45 से 60 दिन में वर्मी कम्पोस्ट बनकर तैयार हो जाती है.
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FIRST PUBLISHED : August 29, 2023, 22:24 IST