Rajasthan

Teacher-Students Win Global Science Competition With Banana Leaf Glove – केले के पत्तों से बनाये इको फ्रेंडली ग्लव्स, इस्तेमाल के बाद पौधों में बदल जायेंगे

ये दस्ताने पूरी तरह एंटी-बैक्टीरियल और ईको-फ्रेंडली हैं।

मलेशिया के 28 वर्षीय विज्ञान के शिक्षक के. थिपनराज और उनके 14 छात्रों की टीम ने हाल ही केले के पत्तों के रेशों का उपयोग कर खास ईको-फ्रेंडली ग्लव्ज बनाया है। ग्लव्ज को आधिकारिक तौर पर ‘सस्टेनेबल एंड प्लांटेबल एंटीबैक्टीरियल बनाना लीफ हर्बल ऑर्गेनिक ग्लव्ज’ (Sustainable And Plantable Antibacterial Banana Leaf Herbal Organic Glove) नाम दिया गया है।

केले के पत्तों से बनाये इको फ्रेंडली ग्लव्स, इस्तेमाल के बाद पौधों में बदल जायेंगे

थिपनराज और उनकी टीम ने हाल ही तुर्की में अयोजित ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान परियोजना प्रतियोगिता में 21 देशों के 180 प्रतिभागियों को हराकर अपने इनोवेशन के दम पर गोल्ड मेडल भी जीता है। थिपनराज के अनुसार केले के ग्लव्ज का प्रोटोटाइप तैयार करने में टीम को करीब एक महीने का समय लगा। थिपन को इसका आइडिया फिलीपींस में केले के पत्तों से बनने वाले कपड़ों और भारत में उपयोग होने वाले केले के कप और स्ट्रॉ से आया।

केले के पत्तों से बनाये इको फ्रेंडली ग्लव्स, इस्तेमाल के बाद पौधों में बदल जायेंगे

ये दस्ताने पूरी तरह एंटी-बैक्टीरियल और ईको-फ्रेंडली हैं। थिपन और उनके छात्रों ने इन दस्तानों में बीज भी सिले हैं। यानी जब इनका उपयोग हो जाएगा तब मिट्टी में मिलने के बाद ये बीज फिर से पौधों के रूप में उग आएंगे। दस्ताने बनाने के लिए, केले के पत्तों को हल्दी पाउडर, दालचीनी, लहसुन, अदरक, शहद, नारियल तेल और नीम के साथ उबाला गया ताकि यह जीवाणुरोधी और त्वचा के लिए कम हानिकारक हो। इसके अतिरिक्त, टीम ने दस्तानों के भीतर बीज भी सिल दिए, और जब उनका उपयोग कर उन्हें फेंक दिया जायेगा या मिटटी में गाड़ दिया जायेगा तो ये बीज पौधों के रूप में फिर से उग आएंगे।

केले के पत्तों से बनाये इको फ्रेंडली ग्लव्स, इस्तेमाल के बाद पौधों में बदल जायेंगे






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