Vanshvardhan Singh Kapren to be 26th king of bundi pag samiti Bhupesh Singh Hada dispute of princely state rjsr
बूंदी. बूंदी रियासत के उत्तराधिकारी को लेकर विवाद गहरा गया है. हाल में बूंदी रियासत के 26वें उत्तराधिकारी के तौर पर ब्रिगेडियर भूपेश सिंह हाड़ा (Bhupesh Singh Hada) की ताजपोशी की गई थी. लेकिन बूंदी रिसायत के भाणेज पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह (Jitendra Singh) ने अब इस मामले में दखल दिया है. उन्होंने बूंदी रियासत के उत्तराधिकारी के तौर पर कापरेन के पूर्व राजपरिवार के पौत्र कुंवर वंशवर्धन सिंह (Vanshvardhan Singh) को बूंदी की पाग का असली हकदार बताया है. कोटा के पूर्व महाराज बृजराज सिंह ने भी वंशवर्धन सिंह के नाम का सुझाव दिया था. जितेन्द्र सिंह ने उसका अनुमोदन किया है. इससे अब उत्तराधिकार का मामला विवादों में घिर गया है.
जानकारी के मुताबिक बूंदी रियासत के पूर्व महाराव रणजीत सिंह के निधन के बाद से ही बूंदी रियासत के उत्तराधिकारी को लेकर उठापटक चल रही थी. इसी बीच 12 दिसंबर 2021 को पाग समिति और राजपूत समाज के लोगों ने ब्रिगेडियर भूपेश सिंह के पाग का दस्तूर कर दिया. इस दौरान राजघराने से जुड़े लोग, क्षत्रिय समाज और आमजन कांग्रेस नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री बूंदी दरबार के भाणेज भंवर जितेंद्र सिंह के बयान का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. मंगलवार को भंवर जितेंद्र सिंह ने अपना बयान जारी कर मामले में नया मोड़ ला दिया है.
7 जनवरी 2010 को हो गया था महाराव रणजीत सिंह का निधन
पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने बयान जारी कर कहा कि बूंदी के महाराव रणजीत सिंह का निधन 7 जनवरी 2010 को हो गया था. उनके कोई संतान नहीं थी. सदियों से चली आ रही बूंदी राजघराने की परंपरा को निरंतर आगे चलाने के लिए बूंदी राजघराने का भाणेज होने के नाते यह मेरा कर्तव्य एवं दायित्व है कि बूंदी राज परिवार के रीति रिवाज की परंपरा का निर्वहन करने के लिए आगे आऊं.
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वंशवर्धन सिंह को माना बूंदी की पाग का असली हकदार
उन्होंने कहा कि मैं महाराजा ईश्वर सिंह की ओर से शुरू की गई परंपरा को आगे बढ़ाते हुए महाराजा बहादुर सिंह के छोटे भाई महाराज केसरी सिंह कापरेन के पौत्र कुंवर वंशवर्धन सिंह को बूंदी की पाग का असली हकदार मानते हुये उनके नाम का अनुमोदन करता हूं. वे कोटा के पूर्व महाराज बृजराज सिंह के सुझाव का अनुमोदन करते हैं.
सिंह अपनी उपस्थिति में करना चाहते हैं पाग दस्तूर
उन्होंने मीडिया को भेजे पत्र में कहा कि पाग का दस्तूर एक परिवारिक रीति रिवाज होता है. हिंदू रीति रिवाज के अनुसार किसी भी परिवार की पगड़ी उसी परिवार के व्यक्ति को बांधी जाती है. रीति रिवाज के अनुसार किसी परिवार से बाहर के व्यक्ति को पगड़ी नहीं बांधी जा सकती. इसलिए मेरे अनुसार कुंवर वंशवर्धन सिंह कापरेन ही पाग के एकमात्र उपयुक्त व्यक्ति हैं. कुंवर वंशवर्धन सिंह के पाग का दस्तूर भी में अपनी उपस्थिति में करना चाहता हूं.
कोटा के पूर्व महाराव बृजराज सिंह ने दिया ये बयान
वहीं कोटा के पूर्व महाराव बृजराज सिंह ने मीडिया में भी बयान जारी कहा कि पगड़ी की रस्म कुल रीति और कुल परिपाटी के अनुरूप संपन्न की जाती है. उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा के अनुरूप किसी घर के स्वामी के निधन के बाद उस परिवार के वरिष्ठ व्यक्ति को उत्तराधिकारी घोषित करने की औपचारिकता की जाती है. इस औपचारिकता को जनभाषा में पगड़ी दस्तूर कहा जाता है.
पगड़ी की औपचारिकता का यह है मुख्य उद्देश्य
पगड़ी की औपचारिकता का मुख्य उद्देश्य परिवार की निरंतरता को बनाए रखना तथा परिवार द्वारा प्रतिपादित मर्यादाओं का सुचारु रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी अनुपालन किया जाता है. सामूहिक पगड़ी आयोजन जनसामान्य की स्वीकृति को भी इंगित करता है. इस परिपाटी को जनसामान्य पुरातन काल से अनुसरण करते आए हैं. बृजराज सिंह ने कहा कि यही सिद्धांत राज परिवारों की पगड़ी के संदर्भ में भी विशेष रूप से लागू होते हैं.
पगड़ी की रस्म एक धार्मिक रस्म है
पगड़ी की रस्म एक धार्मिक रस्म है जिसे मतदान से निर्मित नहीं किया जा सकता है। पगड़ी की यह रस्म कुल रीति और कुल परिपाटी के अनुरूप संपन्न की जाती है. बूंदी राजघराने के शौर्य और पराक्रम की कथाओं का अंकन भारत और राजस्थान के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में किया गया है. इस राजकुल की पगड़ी परंपरा को विवादित एवं हास्यप्रद बनाना इस राज्य की परंपरा के अनुकूल नहीं है.
सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया है
इस दुष्प्रचार से खिन्न होकर बूंदी राजवंश से जुड़े पूर्व हाड़ा सामंत एवं बूंदी के पूर्व उमराव एवं जागीरदारों ने 5 दिसंबर को बूंदी में सामूहिक रूप से सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर बूंदी राज्य की कापरेन शाखा के कुमार वंशवर्धन सिंह जो पूर्व महाराजा बहादुर सिंह के छोटे भाई महाराज ईश्वर सिंह के पौत्र हैं को बूंदी की गद्दी का असली वारिस माना है. इन सभी सामंतों ने मुझे भाणेज भंवर जितेंद्र सिंह अलवर से अनुरोध किया कि वे इस सुझाव को अनुमोदित कर बूंदी के राजकुल की निरंतरता को जीवंत रखने में अपना योगदान प्रदान करें.
बूंदी का कापरेन सामंत परिवार निकटस्थ है
बूंदी की पाग के लिए बूंदी का कापरेन सामंत परिवार निकटस्थ है. इसका निर्धारण महाराजा ईश्वर सिंह जी ने 90 वर्ष पूर्व कापरेन शाखा के बहादुर सिंह जी को गोद लेकर कर दिया है. इसी नजीर के अनुरूप वंशवर्धन सिंह को बूंदी की पाग का असली हकदार मानने का बूंदी पूर्व सामंतों का प्रस्ताव पुरातन प्रतिपादित परंपरा के अनुकूल होने के कारण इस प्रस्ताव का अनुमोदन करने के लिए मान्यता दी है.
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