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‘6 दिसंबर 1992 को मसूरी में हमने मनाया था जश्न…’ IAS अफसर ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस को किया याद

मुंबई. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) 1992 बैच की एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने और उनके कई सहयोगियों ने छह दिसंबर को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस का जश्न मनाया था. फेसबुक पर ‘जय श्री राम’ के नारे के साथ रविवार को एक पोस्ट में राज्य की अतिरिक्त मुख्य सचिव (लोक निर्माण विभाग) मनीषा पाटणकर म्हैसकर ने अयोध्या में ढहाई गई मस्जिद की जगह राम मंदिर के उद्घाटन का संदर्भ देते हुए बैच के प्रशिक्षण के समय को याद किया.

म्हैसकर ने पोस्ट में लिखा है, ‘छह दिसंबर 1992 को मसूरी में एक बहुत ठंडा दिन था. 1992 बैच के आईएएस अपने फाउंडेशन कोर्स में थे. धीरे-धीरे अयोध्या में राम जन्मभूमि से संबंधित घटनाक्रम की खबरें आ रही थीं. तुरंत एक बैठक आयोजित की गई थी. बेहद सावधानी से इसका आयोजन करने के साथ केवल निमंत्रण के द्वारा इसमें शामिल होने के लिए बुलाया गया.’

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म्हैसकर ने पोस्ट में कहा, ‘नागपुर से जुड़ाव के कारण मुझे भी आमंत्रित किया गया. बैठक स्थल पर कुछ प्रशिक्षु अधिकारी ‘जय श्री राम’ का नारा लगा रहे थे. मुझे याद है कि मैंने एक पूरा केसर पेड़ा खाया था. छह दिसंबर 1992 की बेहद ठंडी रात में, मुझे यह पता था अयोध्या में जो कुछ हुआ, वह बहुत सकारात्मक, बहुत जोरदार और बहुत शुभ चीज की शुरुआत थी.’ नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुख्यालय है. विदर्भ के सबसे बड़े इस शहर का हिंदुत्व से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख स्थान है.

आईएएस अधिकारी ने कहा कि उनके जश्न की खबर हालांकि लीक हो गई और बैठक में शामिल होने वालों को नोटिस जारी किया गया. पाटणकर म्हैसकर ने पोस्ट में कहा, ‘1992 के बैच को निराशाजनक करार दिया गया था, जिसमें मुख्य रूप से सहज ही उग्र होने वाले छोटे शहरों के युवा थे. लुटियंस के पॉश, स्मार्ट, विशेषाधिकार प्राप्त बच्चों और उनके जैसे लोगों के साथ क्या हुआ था? धर्मनिरपेक्षता के साथ क्या हो रहा है?’

'6 दिसंबर 1992 को मसूरी में हमने मनाया था जश्न...' IAS अफसर ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस को किया याद

म्हैसकर ने कहा कि जीवन ‘अपने सभी उतार-चढ़ावों के साथ’ जारी रहा, लेकिन ‘विश्वास कायम रहा’ कि छह दिसंबर, 1992 की घटनाएं ‘कुछ जोरदार, कुछ सकारात्मक, कुछ शुभ’ की शुरुआत थीं. आईएएस अधिकारी ने पोस्ट को यह कहते हुए समाप्त किया कि उन्होंने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की पूर्व संध्या पर केसर पेड़ा खाया और ‘छह दिसंबर के महत्वपूर्ण क्षण’ को सकारात्मक तरीके से याद किया.

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