Rajasthan

Vishvraj Singh Mewar: चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर 493 साल बाद होगी ‘राजतिलक’ की रस्म, उससे पहले उठ खड़ा हुआ यह विवाद

चित्तौड़गढ़. राजस्थान के ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर लगभग 493 साल बाद सोमवार को ‘राजतिलक’ की रस्म होगी. यह रस्म दुर्ग के फतह प्रकाश महल प्रांगण में होगी. इसमें उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद अब उनके बेटे नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ की राजतिलक रस्म की जाएगी. विश्वराज सिंह मेवाड़ इस गद्दी पर बैठने वाले एकलिंगनाथजी के 77वें दीवान होंगे. इस समारोह के होने से पहले ही विवाद भी उठ खड़ा हुआ है. कुछ संगठनों ने आजादी के बाद राजतिलक की परंपरा का विरोध जताया है.

दुर्ग के फतह प्रकाश महल में सुबह 10 बजे से आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में मेवाड़ के राव, उमराव और ठिकानेदार पारंपरिक वेशभूषा में आएंगे. वहीं देश के कई पूर्व राजपरिवारों के मुखिया या प्रतिनिधि, सामाजिक, शिक्षा, राजनीतिक, सांस्कृतिक आदि क्षेत्रों से जुड़े कई प्रमुख चेहरे शामिल होंगे. इसमें मेवाड़ के कई संत-महात्मा और विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे.

सभी समाजों के प्रमुख लोग नजराना पेश करेंगेइतिहासकारों के अनुसार 16वीं सदी में चित्तौड़गढ़ के राजटीले पर महाराणा सांगा के बेटे महाराणा विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था. अब विश्वराजसिंह के साथ चित्तौड़ के मेवाड़ की प्राचीन राजधानी होने का गौरव जीवंत होगा. मेवाड़ की परंपरा अनुसार सलूंबर रावत देवव्रत सिंह राजतिलक की इस परंपरा निभाएंगे. उसके बाद उमराव, बत्तीसा, अन्य सरदार और सभी समाजों के प्रमुख लोग नजराना पेश करेंगे.

विश्वराज सिंह उदयपुर सिटी पैलेस में धूणी के दर्शन करेंगेइस कार्यक्रम के बाद विश्वराज सिंह उदयपुर जाएंगे और रैली के रूप में उदयपुर सिटी पैलेस में धूणी के दर्शन करेंगे. वहां से एकलिंगनाथजी के मंदिर पहुंचेंगे. एकलिंगनाथजी को मेवाड़नाथ माना जाता है. मेवाड़ के सभी पूर्व महाराणाओं ने उनके दीवान के रूप में अपने कार्य का निर्वहन किया है. वहां पंडितों की ओर से शोक भंग की रस्म निभाई जाएगी. महाराणा की सफेद पाग को बदलकर रंगीन पाग पहनाई जाएगी. रंग दस्तूर का यह कार्यक्रम उदयपुर के समोर बाग पैलेस में होगा. इस रस्म में महाराणा अपने परिवारजनों, सभी उमरावों और बत्तीसा को रंग सौंपते हैं ताकि सभी ठिकानेदार रंग वाली मेवाड़ी पाग पहन सकें.

लोकतंत्र में राजशाही को फिर से जिंदा करने का प्रयास निंदनीयवहीं डॉक्टर अंबेडकर अनुसूचित जाति अधिकारी कर्मचारी संगठन ने दुर्ग पर हो रहे हैं इस समारोह का विरोध जताया है. संगठन का कहना है कि आजादी के 75वीं सालगिरह देश में ‘अमृत काल’ के रूप में मनाई जा रही है. देश में संवैधानिक लोकतांत्रिक प्रणाली लागू है जो कि विश्व के सभी प्रशासन प्रणालियों में सबसे सर्वोत्तम एवं मजबूत है. उनका कहना है कि लोकतंत्र में राजशाही को फिर से जिंदा करने का प्रयास निंदनीय है.

राजतिलक को लेकर जबर्दस्त तरीके से बहस छिड़ी हुई हैउनका आरोप है कि यह आयोजन भारतीय पुरातत्व संरक्षण के तहत आने वाले एक स्मारक के अंदर किया जा रहा है. भारत सरकार ओर से राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासतों के पुरातात्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिए इसका गठन किया गया है. यह कोई निजी संपत्ति ना होकर सार्वजनिक एवं राजकीय संपत्ति है. वहीं इस मसले को लेकर इलाके के कुछ संगठन इसे पूर्व राज परिवार की परंपरा बताकर इसका स्वागत कर रहे हैं. बहरहाल इस राजतिलक को लेकर सोशल मीडिया में जबर्दस्त तरीके से बहस छिड़ी हुई है.

Tags: Big news, Royal Traditions

FIRST PUBLISHED : November 24, 2024, 13:55 IST

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