Rajasthan

क्या अंता उपचुनाव केवल वसुंधरा राजे के चेहरे पर ही लड़ा गया था, क्यों सुलग रहा है यह सवाल?

जयपुर. राजस्थान में अंता विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव का परिणाम आने से पहले ही इसका सियासी विश्लेषण शुरू हो गया है. 14 नवंबर को आने वाले परिणाम बताएंगे कि जनता ने किसको आशीर्वाद दिया है. कांग्रेस और भाजपा के साथ निर्दलीयों ने अंता के मुकाबले को रोचक बना दिया था. भाजपा और कांग्रेस बड़े नेता दमखम के साथ चुनाव प्रचार में लगे रहे. भाजपा ने अपने प्रत्याशी मोरपाल सुमन के पक्ष में प्रचार के लिए 40 स्टार प्रचारकों की मजबूत फौज को जिम्मा दिया था. लेकिन इस फौज के आधे से भी कम स्टार प्रचारक चुनाव प्रचार करने नहीं पहुंचे. अब इसके मायने निकाले जा रहे हैं. पार्टी बिहार चुनाव का जिक्र कर अपना बचाव करने की कोशिश कर रही है.

अंता विधानसभा सीट झालवाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र में आती है. वहां से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह सासंद है. इस क्षेत्र को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का मजबूत गढ़ माना जाता है. यही वजह है कि इस सीट पर उम्मीदवार मोरपाल सुमन भी वसुंधरा राजे की पसंद का मैदान में उतारे गए. संगठन और सरकार एक साथ चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे. चुनाव का प्रभारी स्थानीय सांसद दुष्यंत सिंह को बनाया गया. दुष्यंत सिंह ने पहले दिन से चुनाव प्रचार की कमान संभाल ली थी.

अंता उपचुनाव के प्रभारी राजे के बेटे दुष्यंत सिंह थे.

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प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने तीन बार अंता का दौरा कियाचुनाव प्रचार आगे बढ़ा तो पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की एंट्री हुई. उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने तीन बार अंता का दौरा किया. चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने वसुंधरा राजे और मदन राठौड़ के साथ रोड शो करके पार्टी की एकजुटता दिखाने की कोशिश की. सीएम भजनलाल के एक के बाद एक दो रोड शो हुए. अब भाजपा सियासी गलियारों में चर्चा उन नेताओं की हो रही है जो पार्टी में बड़ी हैसियत तो रखते हैं लेकिन उन्होंने चुनाव प्रचार से दूरी क्यों बनाये रखी?

केवल करीब 10 स्टार प्रचारक ही पहुंचेराजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार मिथिलेश जैमनी का कहना है कि अंता चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के चेहरे पर लड़ा गया था. क्योंकि उम्मीदवार उनकी पसंद का था. यही वजह थी कि किस नेता का कब दौरा होगा? कौन कितने दिन किस क्षेत्र में प्रवास करेगा वो सब उनकी मॉनेटरिंग के लिहाज से चल रहा था. प्रचार के लिए 40 नेताओं की सूची जारी की गई और लेकिन उनमें से महज 10 के करीब ही पहुंचे. यह भी इस और इशारा करता है कि भाजपा भले ही सब कुछ सामान्य दिखाने की कोशिश करें, लेकिन पार्टी में कुछ तो अजीब हलचल हो रही है.

राजे और सीएम भजनलाल शर्मा ने दो रोड शो किए थे.

इन नेताओं ने रखी उपचुनाव से दूरीप्रदेश प्रभारी राजमोहन दास अग्रवाल, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, केंद्रीय मंत्री भागीरथ चौधरी, डिप्टी सीएम दीया कुमारी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी चुनाव प्रचार से दूर रहे. इनके साथ ही राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर, कैबिनेट मंत्री किरोड़ीलाल मीणा, राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, कैबिनेट मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़, मंत्री अविनाश गहलोत, मंत्री कन्हैयालाल चौधरी, मंत्री हेमंत मीणा, मंत्री हीरालाल नागर, मंत्री गौतम दक और मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने भी अंता की तरफ रुख नहीं किया.

ये स्टार प्रचारक भी चर्चा का विषय बने हुए हैंइनके अलावा कोटा संभाग के मंत्री मदन दिलावर और हीरालाल नागर ने भी उपचुनाव से दूरी बनाई रखी. पूर्व सांसद कनकमल कटारा, पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय, प्रदेश उपाध्यक्ष प्रभु लाल सैनी, विधायक कल्पना सिंह, सासंद मन्नालाल रावत, प्रदेश उपाध्यक्ष मोतीलाल मीणा, पूर्व मंत्री बाबूलाल वर्मा, प्रदेश महामंत्री जितेंद्र कुमार गोठवाल ये वो नाम है जिन्हें स्टार प्रचारक बनाया था लेकिन ये सब भी उपचुनाव से दूरी बनाए रहे. ये स्टार प्रचारक अब चर्चा का विषय बने हुए हैं.

अंता राजे के प्रभाव वाला इलाका है.

स्थानीय नेता ही नहीं गए चुनाव प्रचार मेंस्टार प्रचारकों में कोटा के लाडपुरा से विधायक कल्पना सिंह और प्रदेश उपाध्यक्ष मोतीलाल मीणा सहित कुछ नेता ऐसे भी है जो हाड़ौती के स्थानीय होने के बावजूद चुनाव प्रचार में नहीं गए. इनके साथ डिप्टी सीएम और कई कैबिनेट तथा राज्यमंत्री भी ऐसे हैं जो जयपुर या अपने स्थानीय क्षेत्र में होने के बावजूद अंता विधानसभा प्रचार के लिए नहीं गए.

कई नेताओं के पास बिहार चुनाव का जिम्मा थास्टार प्रचारकों की इस चुनाव से दूरी पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कार्यालय प्रभारी मुकेश पारीक का कहना है कि प्रदेश में सिर्फ एक सीट पर उपचुनाव हुआ है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ सहित कई नेताओं चुनाव प्रचार किया है. केंद्रीय मंत्री या कुछ बड़े नेता इस लिए चुनाव में नही आये क्योंकि इनके पास बिहार चुनाव का जिम्मा था. जैसे जैसे आवश्यकता हुई वैसे वैसे नेताओं को जिम्मेदारी दी गई थी.

चुनाव परिणाम पर तय होगा नेताओं का भविष्यपारीक ने दावा कि अंता चुनाव पार्टी ने एकजुटता के साथ लड़ा है. अंता में भाजपा का प्रत्याशी ही जीत हासिल करेगा. बहरहाल राजनीति के पंडितों का मानना है कि जिन नेताओं ने इस चुनाव में बढ़चढ़ कर भाग लिया और जो नेता चुनाव में हिस्सा लेने से पीछे हटे उनका इस चुनाव परिणाम के आधार पर ही पार्टी में और सरकार में स्थान तय होगा.

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