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मशहूर एक्टर मनोज कुमार का वो किस्सा, जिसे सुनाकर क्यों भावुक हो गए डायरेक्टर हैदर काजमी, देखें Video

जहानाबाद. बिहार के जहानाबाद का नाम एक वक्त नक्सली गतिविधियों के लिए काफी चर्चित था. यहां का नाम सुनकर लोगों के कलेजे कांप जाते थे. भय से कोई आना नहीं चाहता था, लेकिन इस मिथक को तोड़ने के लिए अब बहुत अच्छा काम किया गया है. यह जिला जितना अशांत था, अब उतना ही बेहतर हो गया है. इसका जीता-जागता उदाहरण यह है कि अब मुंबई से बड़े-बड़े कलाकार पहुंच रहे हैं.

जहानाबाद में अब बॉलीवुड से लेकर भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग तक होने लगी है. ऐसे ही मौके पर एक हिंदी फिल्म की शूटिंग के लिए मुंबई से अभिनेता, निदेशक समेत कई बड़े कलाकार काको पाली फिल्म सिटी पहुंचे हैं.

मनोज कुमार को गुरू मानता है यह एक्टर

इस फिल्म सिटी की परिकल्पना करने वाले एक छोटे से गांव से मुंबई तक का सफर करने वाले भोजपुरी एवं बॉलीवुड एक्टर सह निर्माता हैदर काजमी ने लोकल 18 से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने अपनी जिंदगी के सबसे अनमोल किस्से को शेयर किया. वे मशहूर अभिनेता भारत कुमार यानी मनोज कुमार को अपना गुरु मानते हैं, जो आज हमारे बीच नहीं रहे. उनके साथ बिताए अपने लम्हे को वो याद करते हुए कहा कि मनोज कुमार पिता समान थे और एक गुरु भी रहे. उनका जाना बहुत ही दुखद है. जब पहली बार मुंबई में अपना कदम रखा था, तो उन्होंने ही पहला ब्रेक दिया था. मनोज कुमार का एक टीवी सीरियल ‘भारत के शहीद’ था, उसका निदेशक खुद थे. उसका हीरो हैदर काजमी ही थे, जिसमें शहीद खुदीराम बोस का किरदार निभाया था.

अभिनेता मनोज कुमार से जुड़ा बताया किस्सा

हैदर काजमी ने कहा कि उनका जाना बहुत ही दुखद है. उनकी कमी पूरी नहीं की जा सकती है. बॉलीवुड में उनके जैसा तकनीशियन बहुत ही कम है. काफी अफसोस है कि वहां पर नहीं हैं. यह देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है, क्योंकि वह भारत कहलाते थे. उनका फिल्म शहीद हो या क्रांति कोई नहीं पूरा कर सकता है. उन्होंनें एक किस्से को याद करते हुए कहा कि मनोज जी के साथ शूट कर रहे थे तो उन्होंने एक गीत बोला था कि हैदर पर पिक्चराइज करो, खुदीराम बोस को फांसी लग रही है. अपने राइटर को कहा कि लिखो, ये लाइन कुछ इस तरह है…आजादी को चला ब्याहने तन पर मली न हल्दी, इस शादी को पड़ी हुई थी इसको कितनी जल्दी…गीत सुहाग के गाओ, रहे सलामत जोड़ी, मेरा बेटा आज चढ़ेगा फांसी वाली घोड़ी. इस गाने पर ही खुदीराम बोस को फांसी हो रही थी. यह  गीत मेरे सामने में लिखा गया. इसका मैं गवाह हूं. मनोज जी ने कहा कि जाओ इसको रिकॉर्ड करवा लो. ये गीत रिकॉर्ड किया गया था. इससे बड़ी बात और क्या ही कह सकते हैं.

जानें काको फिल्म सिटी को लेकर क्या कहा

उन्होंने जहानाबाद में फिल्म सिटी बनाने की किस्सा बताते हुए कहा कि 10 साल से यह प्रयास रहा था और अभी बहुत काम बाकी है. यहां पर बिहार स्कूल ऑफ ड्रामा भी खोला गया है, जो बच्चों को काफी ज्यादा मददगार साबित होगी. बिहार में काम करते हुए काफी अच्छा महसूस हो रहा है, क्योंकि ऐसा लगता है कि जब हम मुंबई गए थे, तो काफी दिक्कत हुई थी. यह चाहते हैं कि यहां से कोई बच्चे मुंबई न जाए, इसके लिए पहल कर रहे हैं. यदि मुंबई चला भी जाए, तो इतना तजुर्बा प्राप्त कर ले कि उसको वहां से वापस घर आने की जरूरत न पड़े.

गांव से मुंबई तक के सफर का सुनाया किस्सा

हैदर काजमी कहते हैं कि एक छोटे से गांव से मुंबई तक का जो सफर रहा है, वो काफी ज दुखदाई रहा है. बहुत ही ज्यादा मेहनत करना पड़ा.  यही कहना चाहूंगा कि कोई भी व्यक्ति शॉर्टकट तरीका न अपनाए. वो मेहनत करे और खूब मेहनत करे, ताकि वो जब मंच पर पहुंचे तो उससे नीचे न उतरे. उन्होंने मजाकिया लहजे में अपने जीवन से जुड़े कुछ अनसीन किस्से के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि वो अनसीन किस्से शेयर तो नहीं करना चाहेंगे. उसको फिल्म के माध्यम से ही लेकर आयेंगे. ऐसी बहुत सारी कहानियां हैं जिसपर काम किया जा रहा है. बिहार में भी कई अच्छी कहानियां है, जिस पर काम किया जाए तो बढ़िया फिल्म बन सकता है.

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