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नहीं हुआ पानी का इंतजाम, गांव के लोगों को याद आया पुरखों का अविष्कार, ऐसे निकली जलधारा

Last Updated:April 20, 2025, 22:41 IST

Udaipur news in hindi today: देश में विभिन्न राज्यों में कई ऐसे इलाके हैं जहां पानी की भारी दिक्कत होती है. नहाने और कपड़े धुलने की बात छोड़ दीजिए लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं मिलता है. राजस्थान जैसे कु…और पढ़ेंX
ग्रामीणों
ग्रामीणों का प्रयास 

उदयपुर: गर्मी के सीजन में देश की बहुत बड़ी आबादी बूंद-बूंद पानी के लिए तरसती है. लोगों का पूरा दिन पानी के इंतजाम में बीत जाता है. इतनी मेहनत के बाद भी लोग मुश्किल से सिर्फ पीने और खाना पकाने भर के पानी का ही इंतजाम कर पाते हैं. कुछ ऐसी ही समस्या राजस्थान के उदयपुर के बीड़ा गांव की है. यहां के लोगों को भी हर सुबह पानी के लिए एक नई लड़ाई लड़नी पड़ती थी. कहीं से कोई मदद न मिलने के बाद नया बीड़ा गांव के लोगों ने उम्मीद का एक रास्ता खुद ही खोज निकाला.

जयसमंद क्षेत्र की सल्लाड़ा पंचायत के इस छोटे से गांव ने दिखा दिया कि सामूहिक संकल्प, परिश्रम और आपसी सहयोग से कुछ भी किया जा सकता है. गांव के 55 घरों के करीब 400 लोग गर्मी की मार और सूखे हैंडपंपों की बेबसी से जूझ रहे थे. बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सभी को पानी के लिए रोजाना एक से दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था. कोई कुएं तक पहुंचता तो किसी को हैंडपंप की लाइन में इंतजार करना पड़ता था.

थकने के बाद भी नहीं मानी हारपानी की समस्या के लिए पंचायत में कई बार गुहार लगाई गई, लेकिन हर बार बजट का बहाना बताकर पानी की दिक्कत को आज तक हल नहीं किया गया. ऐसे में गांव के युवाओं ने अपने पुरखों की छोड़ी हुई बावड़ी को फिर से संवारने का बीड़ा उठाया. बावड़ी बरसों से उपेक्षित पड़ी थी. धूल और सूखे पत्थरों में दबी हुई बावड़ी ही लोगों के लिए एक उम्मीद थी.

नारायण मीणा, नाथूलाल मीणा, देवीलाल मीणा, शिवराम मीणा, भीमलाल खराड़ी और भैरा हरमोर जैसे ग्रामीणों ने गांव के बाकी लोगों को इकट्ठा किया. किसी ने फावड़ा उठाया, तो किसी ने बाल्टी. बूढ़े हाथों ने भी युवाओं के इस काम में साथ दिया. युवा कंधों ने जिम्मेदारी उठाई और सभी की मेहनत रंग लाई.

कई दिनों तक बावली में काम करने के बाद फिर एक दिन उसकी सीली दीवारों से पानी झलकने लगा. इससे लोगों की आंखों में चमक आ गई और चेहरों पर मुस्कान लौट आई. अब यही बावड़ी गांव की प्यास बुझा रही है. यह सिर्फ एक जलस्रोत नहीं, बल्कि गांववासियों की आस्था, आत्मबल और एकता का प्रतीक बन गई है.

नया बीड़ा गांव ने मिलकर अपनी पानी की समस्या को हल कर एक साथ कई कहावतों को साबित कर दिया. इसमें एकता में शक्ति से लेकर हौसला हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है जैसी लाइनें सटीक बैठती हैं.

Location :

Udaipur,Rajasthan

First Published :

April 20, 2025, 22:41 IST

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नहीं मिल रहा था पानी, गांव के लोगों को याद आया पुरखों का अविष्कार, निकली जलधार

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