Wayanad landslides: वायनाड हादसे का खौफनाक सच, इसरो की ओर से जारी तस्वीरें देखकर दहल उठेगा दिल
केरल के वायनाड में लैंंडस्लाइड के बाद भारी तबाही मची. इसमें 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. अभी भी 206 लोग लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है. सेना के खोजी कुत्ते भेजे गए हैं, जो मलबे में दबे लोगों को ढूंढ रहे हैं. इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने कुछ तस्वीरें जारी की हैं, जो बेहद डरावनी हैं.
हादसे में लापता लोगों की तलाश के लिए इंडियन आर्मी, एनडीआरएफ और पुलिस प्रशासन लगा हुआ है. कीचड़ में लोगों की तलाश की जा रही है. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि बचाव अभियान अभी कुछ और दिन तक चलेगा. इस पर निगरानी रखने के लिए चार मंत्रियों की एक टीम बनाई है. ये चारों मंत्री हादसे वाली जगह 24 घंटे मौजूद रहेंगे.
मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि अब किसी के जिंदा बचने की संभावना न के बराबर है. क्योंकि सेना का कहना है कि जिन लोगों को बचाया जा सकता था, उन्हें बचा लिया गया है. अभी भी बहुत सारे लोग लापता हैं. हमने क्षेत्र के कई हिस्सों से बहुत सारे शव बरामद किए हैं. चालियार नदी से भी कई शव बरामद किए गए हैं. कई शवों के अंग भी मिले हैं. इसलिए अभी कुछ दिन और लगेगा.
मुख्यमंत्री विजयन ने कहा, ‘‘यह बचाव प्रयास ऐसा नहीं है, जो चंद दिन में पूरा हो जाएगाः अब भी 12 मंत्री वायनाड में डेरा डाले हुए हैं. सर्वदलीय बैठक में अब फैसला लिया गया है कि बचाव अभियान में समन्वय के लिए चार मंत्री यहीं रहेंगे. शुरू में बचाव अभियान के लिए बड़ी मशीनें ले जाना संभव नहीं था, लेकिन अब जब सेना बेली ब्रिज का निर्माण पूरा कर लेगी तो अभियान आसान हो जाएगा.
अब इसरो के हैदराबाद सेंटर ने कार्टोसैट-3 ऑप्टिकल सैटेलाइट और रीसेट सैटेलाइट से यहां की कुछ तस्वीरें कैद की हैं. इससे पता चला है कि भारी बारिश के कारण लैंडस्लाइड 1,550 मीटर की ऊंचाई पर हुआ. एनआरएससी की रिपोर्ट के अनुसार, चूरलमाला शहर और उसके आसपास मूसलाधार बारिश के कारण बड़े पैमाने पर मलबा आने से लैंडस्लाइड और भी बढ़ गया. लैंडस्लाइड 86,000 वर्ग मीटर में फैला.
सैटेलाइट से मिली इमेज में लैंडस्लाइड से पहले और बाद की स्थिति को दिखाया गया है. आप देख सकते हैं जैसे ही मलबा नदी में गिरा उससे नदी काफी चौड़ी होकर बहने लगी. इसकी वजह से नदी के किनारे बसे घरों को काफी नुकसान पहुंचा. लैंडस्लाइड के ऊपरी हिस्से का 3D इमेज बताता है कि पूरी पहाड़ी कैसे टूट गई. सैटेलाइट डेटा से यह भी पता चला है कि उसी स्थान पर पहले भी लैंडस्लाइड हुआ था. यह बताता है कि कैसे इस क्षेत्र में अक्सर लैंडस्लाइड होता रहता है.
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FIRST PUBLISHED : August 1, 2024, 22:40 IST