हम हो गए ‘अनाथ’ पूर्व मंत्री स्वर्गीय जसवंत सिंह को याद करके बोले लोग, सिंध को हिंद से जोड़ने के लिए किया था ये काम

Agency: Rajasthan
Last Updated:February 09, 2025, 17:22 IST
पाकिस्तान से विस्थापित रामसिंह सोढा बताते हैं कि जसवंत सिंह जसोल के बिना पाक विस्थापित आज भी ‘अनाथ’ जैसे महसूस करते हैं. उन्होंने विस्थापितों के लिए हमेशा काम किया और उनकी समस्याओं को सुलझाने में अहम भूमिका निभ…और पढ़ेंX
जसवंतसिंह जसोल की बदौलत ही शुरू हुई थी थार एक्सप्रेस
हाइलाइट्स
जसवंत सिंह जसोल ने थार एक्सप्रेस शुरू की.थार एक्सप्रेस ने सिंध और हिन्द को जोड़ा.पाक विस्थापित जसवंत सिंह को याद कर भावुक होते हैं.
बाड़मेर. भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर के छोटे से गांव जसोल से निकलकर देश की राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले पूर्व वित्त, विदेश और रक्षा मंत्री जसवंत सिंह जसोल को आज भी पाकिस्तान से आए विस्थापित याद करते हैं. उनकी याद आज भी लोगों को भावुक कर देती है. पाक विस्थापित रामसिंह सोढा आज जसवंत सिंह जसोल को याद करके भावुक हो जाते है. वह बताते है कि उनके बिना पाक विस्थापित आज भी ‘अनाथ’ जैसे हैं.
भारत के पूर्व केंद्रीय मंत्री को याद करके पाकिस्तान के विस्थापितों की आंखों में आंसू आने की वजह जसोल द्वारा उन्हें दी गई वह सौगात थी जिसने सिंध को फिर से हिन्द का अपना बना दिया था. वह जसवंत सिंह जसोल ही थे जिनके प्रयासों से बाड़मेर पहले दिल्ली से ब्रॉडगेज से जुड़ा और इसी पटरी पर अमन की ट्रेन के रूप में भारत और पाकिस्तान के बीच थार एक्सप्रेस चली. कभी बेटी और रोटी के नाते के रूप में सिंध और हिन्द के रिश्ते की पहचान थी.
जस्सू…अब कभी हम भी अपने पीहर जा पाएंगे?सरहद के इस पार और उस पार दोनों तरफ जसवंत सिंह जसोल के रिश्तेदार और जान पहचान के हजारों-लाखों लोग भी थे. इस मरुस्थल की थालियों में बचपन में खेलते-खेलते उन्होंने अमरकोट, मिठी, छाछरो, थारपारकर, सिंध को सुन रखा था. बुआ, मौसी, मामी, नानी को कई बार उन्होंने आंसू पोंछते हुए यह कहते हुए सुना होगा जस्सू…अब कभी हम भी अपने पीहर जा पाएंगे?
बिछड़े परिवारों को मिलाने का किया कामयह छोटा सा जस्सू जब बड़ा होकर भारत के ऊंचे ओहदे पर पहुंचा तो अपने करीबी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कानों तक यह दर्द पहुंचाया. उनको उसी लहजे में सुनाया कि दर्द कितना गहरा है. कितने लोग जुड़े हुए हैं. यह रेल जुड़ गई तो मुल्कों का तो पता नहीं लेकिन बिछड़े हुए परिवारों का मिलन होगा. बाड़मेर से पाकिस्तान के लिए साल 2006 में थार एक्सप्रेस का संचालन के लिए जसवंत सिंह जसोल को विशेष याद किया जाएगा. उन्होंने दोनों देशों में पाक विस्थापितों के रिश्तों को जोड़ने के लिए यह रेल प्रारंभ की थी. दोनों जगहों के बीच पहले समझौता एक्सप्रेस चलती थी जिसके साल 1965 में बन्द होने के बाद हिन्द से सिंध की दूरी बढ़ गई थी. जसवंत सिंह जसोल ने सरहद के इस पार और उस पार के हजारों परिवारों के नाते और रिश्तेदारी में खिंची सरहद की दीवार को थार एक्सप्रेस से दूर कर दिया था. अब जब थार एक्सप्रेस के पहिए थमे हुए है तो पाक विस्थापित लोग स्वर्गीय जसवंत सिंह जसोल को उनकी सौगातों की वजह से याद करके भावुक हो जाते हैं.
Location :
Barmer,Barmer,Rajasthan
First Published :
February 09, 2025, 17:22 IST
homerajasthan
हम हो गए ‘अनाथ’ पूर्व मंत्री स्वर्गीय जसवंत सिंह को याद करके बोले लोग