‘हम आपके लिए ट्रेन रोक देंगे’, भोजपुरी क्वीन का जब खतरनाक डाकुओं से हुआ सामना, कर दी थी ऐसी फरमाइश

Last Updated:October 27, 2025, 06:46 IST
कल्पना पटवारी भोजपुरी सिनेमा की वो क्वीन हैं जिन्होंने अपनी आवाज से सबको दीवाना बना लिया है. उन्होंने अपने पूर करियर में 30 से ज्यादा भाषाओं में गाने गाए हैं. उन्होंने 4 साल की उम्र से ही गाने गाना शुरू कर दिया था.
असम में हुआ था भोजपुरी सिंगर का जन्म.
नई दिल्ली. कल्पना पटवारी की आवाज में वह मिठास है, जो भोजपुरी संगीत को नई पहचान देती है. उन्होंने असमिया, बंगाली, हिंदी, मराठी समेत 30 से अधिक भाषाओं में गाने और गीत गाए हैं. कल्पना पटवारी का जन्म असम के बरपेटा जिले में एक छोटी-सी जगह सोनितपुर में 27 अक्टूबर 1978 को हुआ था. उनके पिता बिपिन नाथ पटवारी लोक गायक थे.
सिर्फ चार साल की उम्र में कल्पना उनके साथ स्टेज पर चढ़ीं और तब से संगीत उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया. शिक्षा में भी उन्होंने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक किया और लखनऊ से शास्त्रीय संगीत में विशारद की डिग्री हासिल की.अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंची आवाज
उनका दिल हमेशा लोक संगीत में रहा. खड़ी बिरहा, छपरहिया, कजरी, सोहर और नौटंकी, इन विधाओं को उन्होंने न सिर्फ अपनाया, बल्कि इन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाया. भोजपुरी सिनेमा में प्लेबैक सिंगिंग की दुनिया में कल्पना पहली ऐसी गायिका हैं, जिन्होंने पारंपरिक खड़ी बिरहा को आधुनिक अंदाज में पेश किया. कल्पना भिखारी ठाकुर को अपना गुरु मानती हैं. उनके गीतों में पूर्वी शैली का प्रभाव साफ झलकता है.
बॉलीवुड के लिए गाए गाने
बॉलीवुड के आइटम सॉन्ग से लेकर डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘बिदेसिया इन बॉम्बे’ तक, उनकी आवाज हर जगह अपनी छाप छोड़ती है. संगीत के साथ-साथ कल्पना ने सामाजिक और राजनीतिक मंचों पर भी कदम रखा. 2018 में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुईं और 2020 में असम गण परिषद का हिस्सा बनीं. लेकिन उनकी असली पहचान लोक संगीत की उस विरासत में है, जो वह सहेज रही हैं.
डाकू भी करते थे सम्मान
एक गायक की आवाज कभी-कभी हजारों लोगों की भीड़ से निकलकर समाज के सबसे खतरनाक कोनों तक पहुंच जाती है. क्या आपने कभी सुना है कि किसी कलाकार की लोकप्रियता ऐसी हो कि जंगल के डाकू भी उसके सम्मान में अपना रास्ता बदल दें? असम की धरती से निकलकर भोजपुरी संगीत पर राज करने वाली कल्पना पटवारी के करियर की शुरुआत का ऐसा ही एक अविश्वसनीय किस्सा है, जो बिहार के उन बीहड़ों से जुड़ा है, जहां डर और दबंगई का बोलबाला था. यह कहानी सिर्फ संगीत की ताकत नहीं बताती, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कला का जादू हर सीमा, यहां तक कि कानून की सीमा को भी पार कर जाता है.
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