Gangour Special: राजस्थानी संस्कृति का प्रत्येक गणगौर का त्योहार शुरू,जानिए क्या है घुड़ला परंपरा

Last Updated:March 17, 2025, 09:56 IST
Gangour Special: गणगौर का त्यौहार राजस्थानी संस्कृति का प्रतीक है. इसमें ईसर और गणगौर की पूजा के अलावा घुड़ला की परंपरा भी निभाई जाती है. यह गणगौर का पूजन करने वाली कुंवारी लड़कियों और महिलाओं की आजादी और आत्मस…और पढ़ेंX
गणगौर का त्यौहार राजस्थानी संस्कृति का प्रतीक है.
गणगौर का त्योहार राजस्थान की संस्कृति का प्रतीक है. इसमें कुंवारी लड़कियां, नवविवाहिता और महिलाएं 16 दिन तक गणगौर पूजती है. धार्मिक मान्यता है कि जो महिलाएं ये व्रत रखती हैं, उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कुंवारी लड़कियां को अच्छा वर मिलता है और विवाहिताओं के पति की उम्र लंबी होती है. यह त्यौहार राजस्थान के सभी जिलों में बहुत सादगी पूर्ण तरीके से मनाया जाता है.
यह राजस्थान की संस्कृति को प्रदर्शित करने वाला त्यौहार है. इसलिए इसे देखने के लिए देसी विदेशी पर्यटक भी आते हैं. इस त्यौहार पर ईसर के रूप में भगवान शिव और गणगौर के रूप में माता पार्वती की पूजा होती है. 16 दिन ईसर और गणगौर की पूजा अर्चना करने के बाद महिलाएं सामूहिक रूप से पूजन करती है. व्रत को समाप्त करती है. इस त्योहार के समय छिद्रयुक्त मटकी में दीपक रखकर गीत गाते हुए. आसपास के घरों में घुमा जाता है, इसे घुड़ला कहा जाता है.
ऐसे शुरू हुई घुड़ला की परंपरा गणगौर का त्यौहार राजस्थानी संस्कृति का प्रतीक है. इसमें ईसर और गणगौर की पूजा के अलावा घुड़ला की परंपरा भी निभाई जाती है. यह गणगौर का पूजन करने वाली कुंवारी लड़कियों और महिलाओं की आजादी और आत्मसम्मान का प्रतीक है. इसको लेकर मान्यता है कि एक बार गणगौर पूजन के समय मुगल सूबेदार घुड़ले खां गणगौर की पूजा करने वाली को उठा कर ले गया था. जिसके बाद जोधपुर के राजा राव सातल ने महिलाओं को छुड़ाने के लिए युद्ध किया था. जिसमें राजा राव सातल ने घुड़ले खां का सिर धड़ से अलग कर दिया था. उसी घुड़ले खां के सिर को लेकर आक्रोशित तीजणियां घर-घर घूमी थी. इस परंपरा के अनुसार आज भी महिलाएं मटकी में छिद्र निकाल कर उसके अंदर दीपक जलाकर गीत गाते हुए घर-घर जाती है.
घर घर जाकर लाती हैं अनाज घुड़ला परम्परा में गणगौर का पूजन करनी वाली लड़कियां और महिलाएं रोजाना छिद्रयुक्त मटकी में दीपक रखकर गीत गाते हुए आसपास के घरों में जाती है. इसमें जिस घर में भी ये जाती है वहां से वे अनाज लेकर आती हैं. ऐसा कई दिनों तक लगातार होता है. इसके बाद जब 16 दिन बाद गणगौर का व्रत समाप्त होता है तब इस अनाज को पशु पक्षियों को खिलाया जाता है.
Location :
Jaipur,Rajasthan
First Published :
March 17, 2025, 09:56 IST
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संस्कृति का प्रत्येक गणगौर का त्योहार शुरू, जानिए क्या है घुड़ला परंपरा