Health

क्या है कैमल पॉक्स जो गर्मी-बारिश में ऊंटों को करती है परेशान, पशुपालन विभाग से लें पूरी जानकारी

सिरोही. राजस्थान का मुख्य पशु है ऊंट. रेगिस्तान के इस जहाज की बारिश में बहुत देखभाल करना पड़ती है. गर्मी और बारिश के उमस भरे मौसम में ऊंटों में कैमल पॉक्स होने लगता है. पशुपालन विभाग लगातार कैंप लगाकर पशुपालकों को जागरुक और ट्रेंड कर रहा है ताकि ऊंटों को बीमारियों से बचाया जा सके.

राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र बीकानेर जनजातीय उप योजना (TSP) के तहत जिले के आदिवासी क्षेत्रों में पशुपालकों की आय बढ़ाने का प्रयास कर रहा है. केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. श्याम सुंदर चौधरी का कहना है पशुपालकों को पशुओं के जनन, प्रजनन, स्वास्थ्य, आहार पोषण, रखरखाव की पूरी जानकारी होना चाहिए. खासकर पशुओं के स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता बरतनी चाहिए, ताकि नुकसान से बच सकें.

कैमल पॉक्स से बचेंइस पूरे इलाके में एक से दो साल के ऊंट के टोरडियों में चमड़ी रोग का प्रकोप अधिक देखने में आया है. कैमल पॉक्स गर्मी और बारिश के मौसम में 6 माह से 2 साल के बच्चे में होने का खतरा रहता है. ये रोग 2-4 सप्ताह तक रहता है. एक बार ये रोग होने पर इसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है. इस बीमारी में ऊंट के होंठ, गुदा, जननांगों और पैरों के चारों ओर छोटी फुंसियां हो जाती हैं. इन्हें पैप्यूल्स कहते हैं. कई बार रोग ठीक होने के बाद भी पैरों में कम्पन्न रह जाती है. ऊंट बहुत कमजोर हो जाता है. चारा खाना छोड़ देता है और बुखार रहता है.

बीमार ऊंट को अलग रखेंपशुपालकों को मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए आवश्यक उपाय करना जरूरी है. कैमल पॉक्स होने पर रोगी ऊंट को अन्य ऊंटों से अलग कर देना चाहिए और नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र में जांच करवानी चाहिए. ऊंट के गीले घाव पर केलेमाइन लोशन लगाना चाहिए, जबकि सूखे खरूंट पर पोविडोन आयोडीन, एंटीसेप्टिक मल्हम लगाना चाहिए.

911 पशुओं की जांचजनजातीय उप योजना के तहत जिले के अचपुरा में पशु स्वास्थ्य शिविर और कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम किया गया. इसमें 135 से अधिक किसानों सहित करीब 62 महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया. चिकित्सा शिविर में लाए गए विभिन्न पशुओं 243 ऊंट, 131 गाय, 122 भैंस, 415 भेड़-बकरियों समेत कुल 911 पशुओं की जांच की गई. ऊंटों में सर्रा (तिबरसा) बीमारी की रोकथाम के लिए टीके लगाए गए. केन्द्र वैज्ञानिकों ने पशुओं के खून-स्किन और मिंगणी की जांच के लिए 49 नमूने लिए. केन्द्र के निदेशक डॉ. आरके सावल ने कहा पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए संगोष्ठी के माध्यम से संबंधित जानकारी दी जाती है, ताकि पशुपालक इनका लाभ उठा सकें.

Tags: Animal husbandry, Local18, Sirohi news

FIRST PUBLISHED : August 1, 2024, 20:21 IST

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj