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₹1187000000 की पेंटिंग, M.F. हुसैन की ‘ग्राम यात्रा’ में ऐसा क्या है खास? रच डाला इतिहास

Last Updated:March 21, 2025, 07:38 IST

मशहूर भारतीय चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन (M.F. Husain) की पेंटिंग ‘ग्राम यात्रा’ ने इतिहास रच दिया है. न्यूयॉर्क में आयोजित क्रिस्टीज साउथ एशियन मॉडर्न और कंटेम्पररी आर्ट नीलामी में 118.7 करोड़ रुपये (लगभग 13.7 म…और पढ़ें₹1187000000 की पेंटिंग, M.F. हुसैन की 'ग्राम यात्रा' में ऐसा क्या है खास?

एम एफ हुसैन के पेटिंग ने तोड़े सारे इतिहास.

मुंबई: भारत के दिग्गज पेंटर एम एफ हुसैन की पेंटिंग ने इतिहास रच दिया है. भारतीय मॉडर्न आर्ट गैलरी में उनकी पेंटिंग ‘ग्राम यात्रा’ को न्यूयॉर्क में निलामी की गई. यह पेंटिंग क्रिस्टीज साउथ एशियन मॉडर्न + कंटेम्पररी आर्ट के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए नीलामी में 118.7 करोड़ रुपये (लगभग 13.7 मिलियन डॉलर) में बेचा गया. यह नीलामी 19 मार्च को आयोजित हुई थी.

बताते चलें कि हुसैन की इस पेंटिंग की अनुमानित कीमत 2.5 मिलियन डॉलर से 3.5 मिलियन डॉलर (21 से 31 करोड़ रुपये) के बीच आंकी गई थी. लेकिन, इसकी कीमत उस अनुमान से कहीं अधिक पहुंच गई. इससे पहले हुसैन की सबसे महंगी पेंटिंग ‘अनटाइटल्ड (रीइन्कार्नेशन)’ थी, जो 1957 में बनाई गई थी. यह पेंटिंग पिछले साल लंदन में सोथबीज की नीलामी में 26.75 करोड़ रुपये (लगभग 3.1 मिलियन डॉलर) में बेची गई थी.

वहीं, इससे पहले भारत के इतिहास में सबसे महंगी बिकने वाली पेंटिंग अमृता शेरगिल की ‘द स्टोरी टेलर’ थी. सितंबर 2023 में सैफरनार्ट की नीलामी में 61.8 करोड़ रुपये (लगभग 7.4 मिलियन डॉलर) में बेचा गया था. चलिए जानते हैं ‘ग्राम यात्रा’ का ऐतिहासिक महत्व-

‘ग्राम यात्रा’ एक 14 फुट लंबी ऑइल ऑन कैनवास पेंटिंग है.

हुसैन ने 1954 में पूरा किया था. यह भारत के स्वतंत्रता के बाद के ग्रामीण जीवन को दर्शाती है. इसमें 13 अलग-अलग दृश्यों को दर्शाया गया है, जिसमें भारत के गांवों की झलक मिलती है.

इस पेंटिंग में हुसैन ने स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र निर्माण के अपने दृष्टिकोण को उकेरा है.

हुसैन ने इस पेंटिंग के पीछे लिखा था:- 25.D.बदर बाग/बालाराम स्ट्रीट/बॉम्बे

यह पेंटिंग पहली बार हुसैन के गृहनगर में ऑल इंडिया फाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स सोसाइटी द्वारा प्रदर्शित की गई थी. चलिए जानते हैं कैसे बनी यह पेंटिंग कैसे ऐतिहासिक बनी. इसे एक नॉर्वेजियन सर्जन लीऑन एलियास वोलोडार्स्की ने खरीदा था, जो उस समय विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख के रूप में नई दिल्ली में तैनात थे. बाद में वोलोडार्स्की ने इसे ओस्लो मेडिकल इमरजेंसी यूनिट में अपने मित्र प्रोफेसर क्रिस्टियन क्रिस्टियानसन को इसे भेंट किया था.

भारतीय कला बाजार पर प्रभाव कला विशेषज्ञों का मानना है कि इस बिक्री का प्रभाव भारतीय कला जगत पर व्यापक रूप से पड़ेगा. क्रिस्टी के साउथ एशियन मॉडर्न एंड कंटेम्परेरी आर्ट के प्रमुख निषाद अवारी ने एक बयान में कहा, ‘हम मकबूल फ़िदा हुसैन और पूरी श्रेणी के काम के लिए एक नया बेंचमार्क बना दिया है. यह एक ऐतिहासिक क्षण है. आधुनिक और समकालीन दक्षिण एशियाई कला बाजार के असाधारण ऊपर की ओर प्रक्षेपवक्र को जारी रखता है.’

हुसैन के करियर का टर्निंग पॉइंट हुसैन ने एक बार बताया था कि 1948 में उन्होंने और एस.एच. रज़ा ने नई दिल्ली में वायसराय लॉज में भारतीय शास्त्रीय चित्रों और मूर्तियों की प्रदर्शनी देखी थी. यह जीवन का “टर्निंग पॉइंट” बताया था. हुसैन ने कहा था कि उन्होंने भारतीय इतिहास के तीन कालखंडों को अपनाया:1. गुप्त काल – स्त्री के शरीर की सुंदरता को दर्शाना.2. बशोली काल – मजबूत रंगों का उपयोग.3. लोक कला – सीधे-साधे रूपों का उपयोग.

विवादों से जुड़ा नामहुसैन को अपने जीवन के अंतिम वर्षों में विवादों का सामना करना पड़ा. हिंदू देवी-देवताओं के चित्रण के कारण उनके खिलाफ बजरंग दल और अन्य संगठनों ने आपत्ति जताई थी. हुसैन ने 2006 में भारत छोड़ दिया और लंदन और दोहा में रहने लगे. हुसैन का निधन 2011 में हुआ.


Location :

Mumbai,Maharashtra

First Published :

March 21, 2025, 07:38 IST

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