अचानक मरने लगें लोग या आ जाए आपदा तो क्या करें? देश के ये 4 एम्स बताएंगे टैक्निक, WHO कर रहा मदद
भारत में अक्सर सार्वजनिक जगहों पर भगदड़, आपदा या दुर्घटना जैसी स्थितियां आती रहती हैं, जिनमें सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है. हालांकि अब इन मौतों को रोकना आसान हो जाएगा. भारत में ऐसी दुर्घटनाओं या मास कैजुअल्टी में, जिसमें लोग घायल होने लगें या मरने लगें, ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अब वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने बीड़ा उठाया है. डब्ल्यूएचओ भारत में पहली बार 4 एम्स के इमरजेंसी स्टाफ को ट्रेंड करने का काम कर रहा है, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में ज्यादा से ज्यादा जानों को बचाया जा सके.
दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ट्रॉमा सेंटर में देश के चार सेंटरों, एम्स दिल्ली, एम्स पटना, एम्स जम्मू और एम्स जोधपुर से आए डॉक्टर, नर्स सहित फ्रंटलाइन वर्कर्स को डब्ल्यूएचओ एकेडमी की ओर से मास कैजुअल्टी मैनेजमेंट प्रोग्राम की ट्रेनिंग देनी जा रही है. पहली बार डब्ल्यूएचओ की ओर से एक कोर्स तैयार कर इन्हें सिखाया जा रहा है कि अगर ऐसा होता है तो अस्पतालों में मौजूद संसाधनों का इस्तेमाल कैसे ज्यादा से ज्यादा किया जाए और ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाया जा सके.
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इस बारे में जेपीएनएटीसी एम्स ट्रॉमा सेंटर के चीफ डॉ. कामरान फारूक ने बताया कि डब्ल्यूएचओ की जो टीम इन चार एम्स के स्टाफ को ट्रेंड कर रही है वह सोमालिया और ईराक जैसे देशों में ट्रेनिंग ले चुकी है. यह डब्ल्यूएचओ का पेटेंट किया हुआ मास कैजुअल्टी कोर्स है, जो पहले एम्स के डॉक्टरों और स्टाफ को कराया जा रहा है, इसके बाद एम्स ट्रॉमा सेंटर में ट्रेंड हो चुके डॉक्टर्स इस ट्रेनिंग को देश के बाकी हिस्सों में अस्पतालों और मेडिकल इंस्टीट्यूट्स में देंगे. ताकि किसी भी आपात स्थिति को सिर्फ एम्स ही नहीं, देशभर के अन्य अस्पताल भी बेहतर तरीके से हैंडल कर सकें.
यह पांच दिन का कोर्स है, जिसमें तीन दिन का कोर्स और दो दिन की ट्रेनिंग शामिल है. इसमें डॉक्टरों, नर्स और अन्य स्टाफ को यह सिखाया जा रहा है कि अगर कोई मास कैजुअल्टी होती है तो वे मौजूद संसाधनों का सबसे पहले लाभ उन लोगों को दें, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है. इस दौरान अस्पतालों को अपने नॉर्मल पेशेंट रूटीन को बदलकर मास कैजुअल्टी मैनेजमेंट मॉडल से बदलना होगा, ताकि एक ही समय पर ज्यादा से ज्यादा क्रिटिकल कंडीशन से जूझ रहे लोगों को इलाज मिल सके.
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FIRST PUBLISHED : October 2, 2024, 17:46 IST