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170000 साल पहले नीली आंखों वाला बच्चा कैसा था, कैसे मरा? DNA ने खोले राज, वैज्ञानिकों पर भी नहीं हो रहा यकीन

नई दिल्ली: अक्सर मन में सवाल होता है कि पहले के लोक कैसे रहते थे, कैसे होते थे. हिम युग में इंसान का क्या रंग-रूप था, कैसी उसकी जिंदगी थी. अब इसे लेकर वैज्ञानिकों ने एक बड़ी जानकारी दी है. जी हां, वैज्ञानिकों को हिमयुग के एक बच्चे के बारे में नई जानकारी मिली है. यह बच्चा लगभग 17 हजार साल पहले आज के समय के दक्षिणी इटली में रहता था. साल 1998 में आर्कियोलॉजिस्ट यानी पुरातत्वविद् मौरो कैलाटिनी को मोनोपोली के ग्रोटा डेल्ले मूरा गुफा में बच्चे के अवशेष मिले थे. अब उन अवशेषों के डीएनए ने बड़े राज से दुनिया को वाकिफ कराया है. जी हां, उस बच्चे के अवशेषों से पता चलता है कि उस बच्चे की मृत्यु जन्मजात हृदय रोग से हुई होगी.

साइंस अलर्ट की खबर के मुताबिक, डीएनए विश्लेषण से पता चला कि यह बच्चा एक मेल था. इसकी आंखें नीली, त्वचा सांवली और बाल घुंघराले गहरे भूरे या लगभग काले रंग के रहे होंगे. छोटे से कंकाल से यह भी पता चला कि बच्चे का विकास ठीक से नहीं हो पाया था और उसके माता-पिता में रक्त संबंध रहा होगा. बच्चे की कब्र दो चट्टानी स्लैब के नीचे मिली थी. कब्र में कोई भी सामान नहीं मिला. गुफा में मिली यह एकमात्र कब्र है.

‘नेचर कम्युनिकेशन्स’ में 20 सितंबर को प्रकाशित एक शोध पत्र में इस बच्चे के जीवन और उसके रूप-रंग के बारे में जानकारी दी गई है. इससे दक्षिणी यूरोप की शुरुआती मानव आबादी के बारे में बहुमूल्य सुराग मिले हैं. फ्लोरेंस यूनिवर्सिटी की मोलीक्यूलर एंथ्रोपॉलिजिस्ट एलेसेंड्रा मोदी के मुताबिक, जेनेटिक एनालिसिस यानी आनुवंशिक विश्लेषण से पता चला है कि बच्चे के माता-पिता में नजदीकी रिश्ता था. उनके पहले कजिन होने की संभावना है. पुरापाषाण काल ​​में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता था, लेकिन नवपाषाण काल ​​में यह आम था.’

बोलोग्ना यूनिवर्सिटी में फिजिकल एंथ्रोपॉलॉजी के प्रोफेसर स्टेफानो बेनाजी के मुताबिक, हमारा काम ऊपरी पुरापाषाण काल ​​में जीवन के शुरुआती चरणों को समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यह एक अनोखा अध्ययन है, जिसमें कंकाल के अवशेषों के विश्लेषण के लिए अलग-अलग तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है. इससे उस बच्चे के विकास और रहन-सहन के बारे में अभूतपूर्व जानकारी मिली है, जो इतालवी प्रायद्वीप में बसावट के लिए एक महत्वपूर्ण समय में रहता था.

Tags: World news

FIRST PUBLISHED : December 25, 2024, 12:32 IST

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